- February 11, 2016
पलायन रोकने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास जरूरी- चौधरी वीरेंद्र सिंह
अखिल भारतीय क्षेत्रीय संपादक सम्मेलन में सरकार की इस प्राथमिकता को रेखांकित करते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास, पंचायती राज पेयजल और स्वच्छता मंत्री श्री चौधरी वीरेंद्र सिंह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की जिंदगी में गुणात्मक सुधार लाने के लिए पूरा ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इस संबंध में शुरू किए गए कार्यक्रमों को प्रभावी तरीके से लागू किया जा रहा है और उनकी पहुंच बेहतर की जा रही है। साथ ही ये कार्यक्रम प्रभावी ढंग से ग्रामीण इलाकों में लागू हो रहे हैं और इन पर निगरानी की जा रही है।
ग्रामीण विकास के लिए लागू की जा रही योजनाओं के बारे में बताते हुए श्री सिंह ने कहा कि रूरबन मिशन के तहत 30 से 40 लाख की समन्वित आबादी वाले 15-20 गांव के कलस्टर विकसित किए जाएंगे। ग्रामीण इलाकों को आर्थिक, सामाजिक और भौतिक तौर पर विकसित करने के लिए रूरबन मिशन 28 फरवरी 2016 को शुरू किया जाएगा। यह मिशन केरल से शुरू होगा। पहले साल 100 ररबन विकास कलस्टर विकसित किए जाएंगे।
इस मिशन के तहत तीन साल में 300 ऐसे विकास कलस्टर तैयार विकसित किए जाएंगे। इस स्कीम के तहत कलस्टर में समाहित अन्य स्कीमों के जरिये फंडिंग की जाएगी। कलस्टर में उच्चस्तरीय विकास के लिए 14 तत्व सुझाए गए हैं। इनमें से आर्थिक गतिविधियों से जुड़े कौशल विकास कार्यक्रम शामिल हैं। राज्य सरकारें ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से कार्यक्रम को लागू करने के लिए बनाए गए फ्रेमवर्क के तहत कलस्टरों की पहचान करेंगी। कलस्टर चयन के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय वैज्ञानिक प्रक्रिया अपनाएगा।
मंत्री महोदय ने ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास के लिए आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इससे जीविका के लिए गांवों से पलायन रुकेगा और परिवार का तानाबाना नहीं टूटेगा। हर पंचायत के लिए वार्षिक योजना बनेगी और ग्राम पंचायतों को वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार दिए जाएंगे।
उन्होंने पेयजल का हवाला देते हुए कहा कि मौजूदा समय में भारत पीने के पानी के लिए 85 फीसदी भूजल पर निर्भर है। यह सिर्फ 15 फीसदी सतह के पानी पर निर्भर है। सरकार इस स्थिति को बदलना चाहती है।