• November 5, 2020

न्यूटन के 335 वर्ष पुराने तीसरे नियम में संशोधन जरूरी: प्रयोग पर लगभग दस लाख (10,00,000) रूपये खर्च—-अजय शर्मा

न्यूटन के 335 वर्ष पुराने तीसरे नियम में संशोधन जरूरी:  प्रयोग पर लगभग दस लाख (10,00,000) रूपये खर्च—-अजय शर्मा

“ पहले हम देखते है कि इस डिसकस्न या चर्चा का आधार क्या है ? ”

न्यूटन के तीसरे नियम के मुताबिक ’ हर क्रिया के समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है ’ गणित के रूप में, क्रिया = – प्रतिक्रिया. परिभाषा के मुताबिक यह नियम सार्वभौमिक या यूनिवरसल या सभी स्थितियों में सही है। यह नियम वस्तु की हर आकार, आकृति और प्राकृतिक संरचना के लिए सही माना जाता है। पर वस्तुओं के आकार के सम्बंध में न्यूटन के 335 वर्ष पुराने नियम को पूरी तरह से समझा ही नहीं गया है. यहां न्यूटन के नियम के परिमाणात्मक स्वरूप पर तर्को के साथ, प्रश्‍न उठाये गये है। इसके फलस्वरूप, न्यूटन के तीसरे नियम को गणितीय रूप में संशोधित किया गया है।

संशोधन की अन्तिम मान्यता के लिए कुछ संवेदनशील प्रयोगों की ज़रूरत हैं. ये प्रयोग पिछले 335 वर्षों में नहीं हुए हैं . इस आलोचनात्मक अध्यन को अन्र्तराष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिको की सहमति या सपोरट प्राप्त हैं.
‘ वस्तु का आकार या शेप तीसरे नियम में महत्वहीन है. ’

मान लो हम प्लास्टिक या रबड़ की समान भार और एक समान संरचना की वस्तुएं बनाते या फैब्रिकेट करते हैं। इस तरह वस्तुओं के अन्र्तनिहित गुण या विषेशताए एक समान हो जाती है। और रिजल्ट सिर्फ़ आकार पर ही निर्भर करते हैं. मान लो हम आसानी या सादगी के लिए सभी वस्तुओं का भार 1 कि॰ग्रा॰ लेते है।

यहां हम एक समान गुण या विषेशताओं और बराबर भार वाली भिन्न – 2 आकार वाली वस्तुएं बनाते है। ये आकार गोल, अर्धगोल, छतरीनुमा, लम्बी पाइप नुमा, ित्रभुज, शंकु, वर्ग या अनियमित आकार हो सकते हैं। हम यहाँ मानते हैं कि वस्तुएं निर्वात या वैक्यूम में गिरती है ताकि हवा के प्रतिरोध या रैजिस्टैंस का असर न हो।

न्यूटन के तीसरे नियम में ऐक्सन या क्रिया को फोरस द्वारा मापा जाता है। अगर वस्तुंए 1 कि॰ग्रा॰ की है तो उनका भार (mg, संहति x त्वरण) या एक्सन फोरस बराबर होता है . इस का magnitude (मात्रा) 9.8 न्यूटन होता है. इस तरह सभी आकारों के लिए उनकी एक्सन या क्रिया भी बराबर होती है। इस तरह अगर वस्तु का भार बराबर है तो नीचे गिरती हुई वस्तुओं के लिए, उनका आकार पूरी तरह महत्वहीन है. क्योंकि एक्सन फोरस वस्तु के आकार पर निर्भर नहीं करता है.

‘अलग-अलग आकारों की गिरती हुई वस्तुए और न्यूटन का तीसरा नियम’

मान लो हर वस्तु की सहति या मास 1 kg है। तो इस पर लगा एक्सन फोरस या भार (mg = संहति x त्वरण ) 9.8 न्यूटन हुआ। इस तरह अलग-अलग आकारों की वस्तुओं पर लगा एक्सन फोरस बराबर हुआ। यहां पर वस्तुए प्लास्टिक या रबड़ की बनाई गई है, तो उनके गुण या विषेशताएं भी समान हैं। सिर्फ़ आकार ही अलग अलग हैं. मान लो सभी वस्तुए 1मी॰ की ऊचाई से गिराई जाती है। अलग – अलग आकार वाली वस्तुएं, समान एक्सन फोरस (9.8 न्यूटन) से फर्श पर टकराती है। फर्श और वस्तुओं के टकराने से रैक्सन फोरस उत्पन्न होता है और वस्तुए ऊपर की तरफ बाऊंस होती है या उछलती है।

अब न्यूटन के तीसरे नियम के अनुसार,बराबर भार की वस्तुओं का रैक्सन फोरस भी,एक्सन फोर्स के बराबर होगा अर्थात mg (9.8 न्यूटन) के बराबर होगा. इस तरह सभी वस्तुओ का रैक्सन फोरस 9.8 न्यूटन है क्योंकि ऐक्सन फोरस भी 9.8 न्यूटन है। न्यूटन के तीसरे नियम के अनुसार, एक्सन और रैक्सन बराबर होने चाहिए; पर प्रयोगों में ऐसा नहीं होता है, यही न्यूटन के नियम की खामी हैं. इस नियम में आकार का कोई महत्व नहीं है.

‘ कुछ साधारण प्रयोग जो न्यूटन के नियम का सरेआम विरोध करते हैं ‘

न्यूटन के तीसरे नियम के मुताबिक अगर कोई वस्तु 1 मीटर ऊंचाई से गिरती है, तो उसे 1 मीटर ऊंचाई तक ही बाऊंस होना चाहिए या उछलना चाहिए। तभी क्रिया और प्रतिक्रिया या ऐक्सन और रैक्सन बराबर होगे। पर प्रयोग करते समय केवल एक कि॰ग्रा॰ की गोल गेंद, ही अपनी पुरानी स्थिति में उछल कर वापिस आती है। पर इसके लिए गेंद और फर्श की स्थितियां भी अनुकूल होनी चाहिए।

प्रयोगो में अन्य आकारो की वस्तुए जैसे कि अर्धगोलाकार, छतरीनुमा, शंकु, त्रिभुज, चतुर्भुज, स्पाट या अनियमित आकार की वस्तुए पुरानी स्थिति में अर्थात 1 मीटर की ऊंचाई तक वापिस नही उछलती है। इसका मतलब यह हुआ कि ऐक्सन फोरस तो 9.8 न्यूटन है पर रैक्सन फोरस 9.8 न्यूटन से कम है। फ्लैट वस्तु सबसे कम उछलती है। इस का अर्थ यह है कि तरह फ्लैट वस्तु के लिए रैक्सन फोरस भी सब से कम हुआ . पर इसका ऐक्सन फोरस गोल गेंद के बराबर 9.8 न्यूटन है।

इस तरह थ्योरैटिकली न्यूटन के मुताबिक अलग-अलग आकार की सभी वस्तुओं के लिए एक्सन फोरस 9.8 न्यूटन है पर प्रयोगो में, रैक्सन फोरस 9.8 न्यूटन से कम है। प्रयोगात्मक तोर पर यह तीसरे नियम की महवपूर्ण खामी है। अगल-अलग आकारो की वस्तुओ के लिए रैक्सन फोरस, एक्सन फोरस से कम है ओर वस्तुएं अलग-अलग ऊचाइयों तक ऊपर उछलती है। सिर्फ गोल गेंद ही कुछ अवस्थाओं में 1 मीटर ऊंचाई तक उछलती है। तो न्यूटन का नियम सिर्फ़ गोल गेंद के लिए ही सही हुआ.
‘ न्यूटन के तीसरे नियम में संशोधन ‘

इस तरह न्यूटन के नियम से अलग -2 आकारों के लिए रिज़ल्ट सही नहीं निकलते हैं. इन के समाधान के लिए इस अवस्था में नियम में संशोधन ज़रूरी हैं. संशोधित नियम से ग़लत परिणामों की व्याख्या की जा सकती है. न्यूटन के संशोधित नियम के अनुसार
’ हर क्रिया की प्रतिक्रिया तो होती है पर यह प्रतिक्रिया, क्रिया के बराबर, कम या ज्यादा भी हो सकती है।

मैथेमैटिकली, क्रिया = – f प्रतिक्रिया

यहाँ f समानुपात का चिन्ह है ( it is coefficient of proportionality). यह वस्तु के आकार और अन्य विषेशताओं को account for करता है या व्याख्या करता है. इस की वॅल्यू (मान) प्रयोगो द्वारा निकाली जाती है.

भारत, अमेरिका, यूरोप और एशिया के वैज्ञानिकों की राय

वस्तुओं के आकार के सम्बंध में न्यूटन के 335 वर्ष पुराने नियम को पूरी तरह से समझा ही नहीं गया है. इन प्रयोगो की मौलिकता या originality को विष्व के कई वैज्ञानिकों ने स्वीकार किया है। इनमें लोयला यूनिवर्सिटी शिकागों के प्रोफैसर गारडन पी रामसी, जो अमेरिकन ऐसोसिएन आफ फिजिक्स, टीचरज के प्रैजीडैट भी हैं, शामिल है। कांऊसिल आॅफ सांइटिफिक एंड इडस्ट्रियल रिसर्च, नई दिल्ली ने डायरैक्टर नैशनल फिजिकल लैबोरेटरी, और सीनियर प्रिसिपल साइटिस्ट के माध्यम से इन प्रयोगो को उचित ठहराया है। उन्होने इन प्रयोगों को करने की सलाह दी है. इसके अतिरिक्त इन्टरनैशनल जरनलज करंट साइस और फाउंडेशन्स आॅफ फिजिक्स के एडिटरज ने भी न्यूटन के तीसरे नियम को प्रयोगो द्वारा स्पष्ट करने को कहा है। प्रो॰ वीर सिह रागड़ा चेयरमैन डिपारटमैंट आॅफ फिजिक्स, हि.प्र. यूनिवर्सिटी भी प्रयोगो को सुपरवाइज करने को तैयार है।

मेने पहली अगस्त 2018 को यह शोधपत्र अमेरिकन ऐसोसिएसन आफ फिजिक्स टीचरज की समर कान्फरैस वाशिगटन में प्रस्तुत किया। प्रस्तुति के दौरान एक अमेरिकन वैज्ञानिक ने कहा, ’ अजय, अगर आप न्यूटन के तीसरे नियम में प्रयोगो द्वारा  , वस्तु के आकार के प्रभाव , को सिद्ध कर देते है। तो भारत नोबेल प्राइज का हकदार होगा।

इन प्रयोगो पर लगभग दस लाख (10,00,000) रूपये खर्च होगे। अजय शर्मा सरकार से मांग कर रहे है कि यह राशि हि.प्र. यूर्निवार्सिटी के फिजिक्स डिपार्टमैंट के चेयरमैन प्रो॰ वीर सिंह रांगड़ा को दी जाए ताकि वे प्रयोग करवा सकें।

संपर्क

*अजय शर्मा *
*सहायक निदेशक और लेखक *
मोब0 94184 50899, 094183 09989
फोन & फ़ैक्स – 0177 2804546

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