• November 4, 2020

( बाल यौन शोषण )— चुप न रहों ! बेटियों , खतरा अपनों से है –वीणा चौधरी

( बाल यौन शोषण )— चुप न रहों ! बेटियों , खतरा अपनों से है –वीणा चौधरी

बच्चे देवदूत होते हैं. वयस्क मानवों के वे लघु स्वरुप होते हैं. भारतीय संस्कृति में बच्चों को पुरातन काल से ही सममान जनक स्थान प्राप्त है. खासकर बेटितियों को तो आद्य शक्ति और आदि शक्ति का अवतार माना जाता है. लेकिन बदलते सामाजिक परिवेश में महिलाओं एवं वालिकाओं के विरुद्ध विविध प्रकार के अपराध एवं हिंसा सूचित हो रहे है. यह भी सच है की राष्ट्रिय एवं अंतर राष्ट्रिय स्तर पर महिला एवं बालिकाओं के सुरक्षा एवं संरक्षा को पुख्ता करने के विविध वैधानिक संवैधानिक एवं कार्यात्मक निदान (यथा बालाधिकारी सम्मेलन -1989, महिलाओं के मताधिकारी से संबन्धित सम्मेलन 1979) ढूँढे गए हैं और उनको नियमित किया गया है। तथापि वर्तमान मे बाल यौन शोषण एक प्रमुख सामाजिक विकृति के रूप में उभरा है. आइये इस पर जरा विस्तार से बात करें:

बाल यौन शोषण क्या है ?

बाल यौन शोषण समाज की सबसे गंभीर समस्या बनती जा रही है. बाल यौन शोषण, शोषण का एक प्रकार है जिसमे एक वयस्क या बडा किशोर अपने आनंद के लिए एक बच्चें का यौन शोषण करता है. ये इसलिए होता है क्योंकि बच्चो को अश्लील या गलत तरीके से छूने के बारे में नही पता होता है और फिर जब बच्चें किसी तरह की छेडछाड का शिकार होते है तो इसे पहचानने में वे असक्षम होती है.बाल यौन शोषण जितना घृणित सुनने में लगता है, वास्तविकता में उससे कही ज्यादा शर्मनाक है. बाल यौन शोषण केवल भारत की ही नही बल्कि पूरे विश्व की समस्या है. इसकी उपेक्षा के कारण यह बहुत तेजी से बढ़ रही हैं.

बाल यौन शोषण पूरी तरह से शारीरिक संपर्क तक ही प्रतिबंधित नहीं है है बल्कि इसमें कई तरह के शोषण शामिल हैं

जैसे : अपने आप को किसी नाबालिग के सामने नग्न करना, फोंडलिंग, संभोग , नाबालिग की उपस्थिती में की हस्तमैथुन करना या नाबालिग को हस्तमैथुन करने के लिए मजबूर करना, अश्लील फोन कॉल, मैसेज या डिजिटल इंटरेकषण, पोर्नोग्राफीक फोटो या बच्चों की फिल्मों का निर्माण या इसी को दिखाना। सेक्स ट्रेफिकिंग – एक नाबालिग के साथ किसी भी तरह यौन आचारण जो उसके मानसिक,, भावनात्मक, या शारीरिक कल्याण के लिए हानिकारक हो.

बाल यौन शोषण के लक्षण और प्रभाव

ज्यादातर मामले में बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार करने वाले बच्चे के नजदीकी ही होते हैं और यौन शोषण के शिकार बच्चे जिंदगी भर कुंठित सकते हैं, उन्हें रिश्ते जोडने में दिक्कत हो सकती है और अवसाद के शिकार भी होने की सम्भावना रहती है. महत्वपूणा लक्षणो में हैं : अवसाद, अनिद्रा , भूख ना लगना, डर, गुमसुम सा रहना, बाहर या घर जाने से डरना, डेली लाइफ स्टाइल में परिवर्तन हो जाना, तनावग्रस्त रहना इत्यादि . इसका एक ज्वलंत उदाहरण हिन्दी फिल्म ”हाईवे” है जिसमें साफ तौर पर दिखाया गया हैं कि कैसे और किन हालातो में बच्चे अपना बचपन खो जाते हैं और बचपन अमीरी गरीबी नहीं देखता और ना ही ऐसे होने वाले अपराध कोई स्टेट्स देखते हैं। ये छेडछाड की घटना बच्चे के मानसिक विकास पर बुरा प्रभाव डालती है.

मानवाधिकारवादी दृटिकोण

मानवधकर विशेषज्ञ डी0पी0 कर्ण के शब्दों में — बाल यौन शोषण विक्षिप्त मानसिकता कि उपज है। अधिकांश बच्चियाँ इससे पीड़ित हैं। यह बच्चो – बालिकाओं एवं महिलाओं के मानवअधिकारों का घोर उल्लंघन है और समुचित विकास तथा बच्चों की एक स्वस्थ पीढ़ी तैयार करने में महत्वपूर्ण बाधा है. इस सामाजिक विकृति के प्रति समाज, शाषण, प्रशासन और न्यायपातलका को संवेदनशील बनने की जरुरत है.

बाल यौन शोषण से निपटने के लिए कानून

यद्यपि भारतीय दंड संहिता , 1860, महिलाओं के खिलाफ होने वाले बहुत प्रकार के यौन अपराधों से निपटने के प्रावधान (जैसे: धारा 376, 354 आदि) प्रदान करती है और महिला या पुरुष दोनो के खिलाफ किसी भी प्रकार के अप्राकृतिक यौन संबंध के लिए धारा 377 प्रदान करती है, लेकिन दोनों ही लिंगों के बच्चों (लडका/लडकी) के साथ होने वाले किसी प्रकार के यौन शोषण या उत्पीडन के लिए कोई विशेष वैधानिक प्रावधान नही है.

वर्ष 2012 में संसद ने यौन ( लैंगिक) अपराधो से बच्चो की सुरक्षा अधिनियम , 2012 इस सामाजिक बुराई से दोनो लिंगों के बच्चो की रक्षा करने और अपराधियों को दंडित करने के लिए एक विशेष अधिनियम बनाया। इस अधिनियम से पहले, गोवा बाल अधिनियम, 2003 के अंतर्गत व्यवहारिकता में कार्य लिया जाता था. इस नए अधिनियम में बच्चों के खिलाफ बेशर्मी या छेडछाड के कृत्यो का अपराधीकरण किया गया है.

बाल यौन शोषण के विरुद्ध समसामयिक विकास

एनसीईआरटी भी बच्चो को गुड टच और बैड टच के बीच अंतर बताने हेतु उन्हें किताबों में यह पढ़ाने की कोशिश में है ताकि यौन शोषण की स्थिति में वे सही निर्णय ले सकें . बाल अधिकार कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्याथी ने बच्चो के यौन शोषण पर चुप्पी तोड़ने का का आह्वान किया है और बच्चो के लिए एक सशक्त एवं प्रभावी न्याय पालिका की आवश्यकता जताई है.

पुलिस , चाइल्ड लाइन एवं स्वयं सेवी संस्थाएं बच्चो को सुरक्षा एवों संरक्षा , उचित सलाह तथा कानूनी सेवाएँ उपलब्ध कराती है. हाल ही “ मी टू ” कैंपेन चला जिसमे लड़कियों और और लडकों से कहा गया कि यदि वो कभी भी इस तरह के स्थिति से गुजरे हैं तो आवाज़ उठाएँ. इसमें कई सेलिब्रिटीज ने अपने साथ हुए बाल यौन शोषण की घटना को मुक्त कंठ से स्वीकारा.

ऐसे में माता- पिता क्या करें ?

• अगर आपको यौन दुर्ववहार का संदेह हैं तो अपने बच्चे से बात करें।

• आप यौन संबंधो या आपकी चिंताओं के बारे में सभी के साथ बैठक कर वार्तालाप करें।

सभी को यह बताएं कि यौन के बारे में सवाल पूछना गलत नही है। परिवार में हर किसी को यौन के बारे में शिक्षित करें।

• स्वस्थ यौन व्यवहारों के बारे में बात करके और यौन दुर्व्यवहार के बारे में बोलकर उन्हें अवगत कराएों।

• बच्चो में स्वस्थ यौन विकास के साथ-साथ यौन दुर्व्यवहार के विषय को समझाएँ । यौन शोषण के साथ-साथ यौन दुर्व्यवहार के संकेतों और लक्षण के बारे में बताएं ।

• बच्चों को शरीर के अंगों के नाम बताएं और उन्हें यह समझाएँ कि अगर कोई उन्हें यौन तरीके से स्पर्श करने की कोशिश करता है तो उन्हें क्या करना चाहिए ।

• यह सुनिश्चित करें कि जिन स्थानों : जैसे स्कूल, पार्क , आस-पास, पडोस आदि में बच्चे समय बिताते हैं, वे सुरक्षित हो।

• यदि कोई बच्चा किसी विशेष वयस्क या किसी के साथ सहज नहीं है तो आप अपने बच्चे को उससे दूर रहने की सलाह दें।

• अपने बच्चो को किसी भी प्रकार की समस्या के समय किसी किसको संपर्क करना है यह जरुर बताएं ।

• बच्चों को यौन शोषण के विषयों जैसे गुड टच और बैड टच के बारे में बताया जाए।

• निन्म्लिखित संकेत के बारे में समझाएों : शारीररक संकेत, जननांग क्षेत्र में रक्त स्राव, या चोट सूजन.

• खूनी, फटे हुए या दाग वाले कपडे, चलाने या बैठने में कठिनाई , लगातार मूत्र या संक्रमण, जननांग क्षेत्र में दादा, खुजली या जलन।

बेटियो तुम्हे जो करना चाहिए

• अपने माता – पिता से यौन शोषण से संबन्धित कोई बात नही छुपाएं।

• संदिग्ध संबंधियों एवं व्यक्तियों से दूर रहें.

• गुड टच ( स्नेह स्पर्श ) और बैड टच ( कामुक स्पर्श ) को समझाना चाहिए।

• अपनी यौन चिंताओं एवं उत्कंठाओ को अपने माता – पिता के साथ साझा करें.

• अपनी सुरक्षा एवों संरक्षा के प्रति सचेत रहें.

• आवश्यकतावश महिला हेल्प लाइन, पुलिस या चाइल्ड लाइन से संपर्क करें.

अंतत: यही कहना चाहूंगी कि बच्चियों को बाल यौन शोषण कि स्थिति मे डरने एवं चुप रहने कि वजाय अपने माता – पिता से बात साझा करनी चाहिए ताकि सम्यक कदम उठाया जा सके ।

चुप न रहों ! बेटियों , खतरा अपनों से है ।

संपर्क —
वीणा चौधरी
परामर्शी
महिला हेल्प लाइन
मधुबनी , बिहार
मोब0 – 7679929007

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