न्यायाधीश जी0एस0 नेताम द्वारा फ़रियादी पर मामला वापस लेने का दवाव

न्यायाधीश जी0एस0 नेताम द्वारा फ़रियादी पर मामला वापस लेने का दवाव

संगरौली (नीरज गुप्ता)—- माननीय जिला एव सत्र न्यायाधीश अमर नाथ महोदय वैढन द्वारा मामला क्र0 500088/16 में आज दिनांक 25/07/17 को कर रहे सुनवाई में पाया की फ़रियादी नीरज गुप्ता द्वारा माननीय जी0एस0 नेताम महोदय अपर जिला न्यायालय देवसर के खिलाफ़ लगाये गये सारे आरोप शतप्रति शत सत्य हैं|

माननीय न्यायाधीश जी0एस0 नेताम का बहुत ही अच्छा संबंध प्रत्यर्थी अजीम प्रेमजी से रहा हैं| जिस कारण ही माननीय न्यायाधीश जी0एस0 नेताम ने माननीय न्यायाधीश की गरिमा को तार-तार करते हुए उक्त मामले में कोई सुनवाई न कर फ़रियादी को मामला वापस लेने की धमकीया दिया

अब मामले की अग्रिम सुनवाई माननीय एस0के0 सिंह न्यायाधीश महोदय अपर जिला न्यायाधीश देवसर द्वारा किया जाना सुनिश्चित किया जाता हैं|

माननीय जिला एव सत्र न्यायाधीश अमर नाथ महोदय द्वारा आदेशित :-

गौरतलब हैं कि माननीय अपर जिला न्यायाधीश जी0एस0 नेताम देवसर द्वारा पुनःविचार मामला क्र0 500088/16 को दवाने व मामला वापस लेने की धमकी मुझ फ़रियादी नीरज गुप्ता को दिया गया था | जिस पर मुझ फ़रियादी द्वारा उक्त मामला को स्थानान्तरण की एक शकायती परिवाद माननीय जिला एव सत्र न्यायालय वैढन मे पेश किया गया हैं| जिस पर आज दिनांक 25/07/17 को सुनवाई कर माननीय जिला न्यायालय द्वारा आदेशित किया गया कि उक्त मामले में माननीय जी0एस0 नेताम अपर जिला न्यायाधीश देवसर के खिलाफ़ सारे आरोप शत-प्रति-्शत सत्य हैं| जिस मामले की अग्रिम सुनवाई माननीय एस0के0 सिंह अपर जिला एव सत्र न्यायाधीश द्वारा किया जायेगा |

उक्त मामले की जांच कर रहे माननीय अपर जिला न्यायाधीश यु0सी0 मिश्रा महोदय वैढन द्वारा जांच में दिनांक 12/07/17 को पाया गया कि :-

माननीय यू0सी0 मिश्रा अपर जिला न्यायालय वैढन द्वारा दिनांक 12/07/17, मुझ फ़रियादी का वयान दर्ज किया गया था| मुझ फ़रियादी द्वारा विप्रो नौकरी फर्जिवाडा मामले में उक्त अहम सबूत भी पेश किया गया| जिसपर माननीय यू0सी0 मिश्रा अपर जिला न्यायालय द्वारा जांच में पाया गया कि मुझ फ़रियादी द्वारा माननीय जी0एस0 नेताम के खिलाफ़ लगाये गये सारे आरोप सत्य और सही हैं जो इस प्रकार हैं :-

1. उक्त पुनःविचार मामला क्र0 500088/16 जिसमें जारी नोटिस का किसी भी अरोपी/प्रत्यर्थीगण द्वारा कोई भी जबाब पेश किया गया, न तो मामला माननीय न्यायालय द्वारा पंजीबध्य किया गया और न ही मामला खारिज किया गया| किंतु माननीय न्यायालय के नियम के बिरुध माननीय जी0एस0 नेताम अपर जिला न्यायाधीश देवसर द्वारा प्रत्यर्थी अजीम प्रेमजी के वकील को मात्र मेमोरेन्डम पेश कर नकल दे दिया गया| जो असंवैधानिक हैं |

2. उक्त मामले में जब माननीय जी0एस0 नेताम न्यायाधीश द्वारा प्रत्यर्थी अजीम प्रेमजी के वकिल को दिये जा रहे नकल की जानकारी पाने पर मुझ फ़रियादी और फ़रियादी के वकील द्वारा माननीय न्यायालय मे मौखिक विरोध दर्ज कराई गई| अज़िम प्रेमजी के वकील दिलीप द्विवेदी जी को तर्क के लिये माननीय न्यायालय में आमंत्रित किया गया| लेकिन वकील दिलीप द्विवेदी ने माननीय न्यायालय में पेश तक नही हुआ |

प्रत्यर्थी अजीम प्रेमजी की ओर से माननीय न्यायाधीश जी0एस0 नेताम महोदय द्वारा मोर्चा सम्भालते हुए, मुझ फ़रियादी को धमकी देते हुए कहा की मुझ फ़रियादी द्वारा प्रत्यर्थी अज़िम प्रेमजी के खिलाफ़ झूठा मुकदमा दर्ज कराई गई हैं| जिसे अगर मुझ फरियादी द्वारा तुरंत वापस न लिया गया, तो प्रत्यर्थी अजीम प्रेमजी 193 के तहत माननीय उच्च न्यायालय में मुझ फ़रियादी के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज कराया जायेगा |

अत: माननीय न्यायाधीश जी0एस0 नेताम महोदय द्वारा प्रत्यर्थी अज़िम प्रेमजी का जिस तरह भरी न्यायालय में तरफ़दारी कर मुझ फ़रियादी को मामला वापस लेने का दवाव बनाते हुए, धमकीया मिली इससे स्पस्ट हैं कि न्यायाधीश जी0एस0 नेताम का प्रत्यर्थी अज़िम प्रेमजी का घनिस्ट संबंध हैं| माननीय जी0एस0 नेताम ने माननीय न्यायाधीश की गरिमा तक को ताक पर रख दिया|

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