- May 19, 2016
दंतेवाड़ा जैविक खेती जिला
रायपुर ———(छ० गढ)————————- कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने दंतेवाड़ा जिले को जैविक खेती जिला बनाने के लिए चरणबद्ध कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सबसे पहले तीन साल के लिए कार्य योजना बनायी जाए। जिसमें जिले को जैविक खेती जिला बनाने का मसौदा शामिल होना चाहिए।
श्री अग्रवाल ने लोक सुराज अभियान दौरे में कल देर रात में जिला पंचायत दंतेवाड़ा के सभा कक्ष में आयोजित जिला स्तरीय समीक्षा बैठक में कहा कि दंतेवाड़ा जिले में जैविक खेती के लिए जिले की भौगोलिक परिस्थितियों, मौसम और खेती के लिए अन्य जरूरी तथ्यों को ध्यान में रखकर कार्य योजना बनाई जाए। अगले पांच साल में जिले में जोत का पूरा क्षेत्र जैविक होनी चाहिए।
कृषि मंत्री ने बैठक में कहा कि सिक्किम की तर्ज पर दंतेवाड़ा को भी संपूर्ण जैविक जिला बनाना है। सिक्किम में खेती केवल जैविक तरीके से नहीं हो रही, वहां पशुपालन और मछली पालन का कार्य भी जैविक तरीके से हो रहा है। सिक्किम में जंगली पत्तों का भी जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल हो रहा है। दंतेवाड़ा में इसके लिए बड़ी संभावनाएं हैं। जैविक खेती को विकसित करने के लिए यहां किसानों को ट्रेनिंग कराना सबसे अहम है। इसके बाद उनके उत्पादों को बेचने के लिए बाजार की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाए।
श्री अग्रवाल ने कहा कि देश में कुछ ऐसी संस्थाएं कार्य कर रही हैं जो किसानों को जैविक खेती के प्रशिक्षण के साथ ही उनके उत्पादों के अच्छा मूल्य दिलाने की व्यवस्था भी करती हैं। इनकी मदद भी ली जा सकती है। श्री अग्रवाल ने कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा देने के साथ ही फलों और सब्जियों के उत्पादन को बढ़ावा देना भी जरूरी है। इस संबंध में उद्यानिकी विभाग अहम भूमिका निभा सकता है।
उन्होंने बताया कि कांकेर जिले में उद्यानिकी विभाग ने पिछले साल सीताफल के उत्पादन को बढ़ावा दिया और अब कांकेर जिले के सीताफल प्रदेश भर में बिकते हैं। ऐसे ही दंतेवाड़ा के अमरूद, केला आदि फलों की मांग प्रदेश में और प्रदेश के बाहर भी बन सकती है। सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण दूसरे राज्यों में इसके बाजार की व्यापक संभावनाएं हैं।
उन्होंने कहा कि आंध्रप्रदेश में मिर्ची की अच्छी मांग है। दंतेवाड़ा जिले में मिर्ची फसल का रकबा बढ़ाना चाहिए। दंतेवाड़ा जिले में आम लोगों की आजीविका और आर्थिक स्थिति बेहतर करने के सबसे अच्छे अवसर कृषि से हैं और इसमें सिंचाई योजनाओं की अहम भूमिका है। उन्होंने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि जिले में मौजूद सिंचाई अधोसंरचनाओं का सर्वे कराकर जो भी मरम्मत या सुधार की जरूरत है। उन्हें पूरा किया जाए।
बरसात के पहले तक ऐसी सभी सिंचाई योजनाओं को ठीक कर लिया जाए, जहां जलभराव नहीं हो रहा। उन्होंने नालों के गहरीकरण और पिंचिंग की जरूरत बतायी ताकि निस्तारी के लिए भी पानी मिल सके और क्षेत्र में जलस्तर भी बढ़ जाए। कृषि मंत्री ने कहा कि दूध उत्पादन के क्षेत्र में दंतेवाड़ा में अच्छा काम हो रहा है। इन्हें और अधिक बढ़ावा दिया जाए।
डेयरी से संबंधित जिन प्रकरणों में बैंकों की ओर से ऋण स्वीकृत नहीं हुआ है। उनकी समीक्षा की जाए तथा ऋण स्वीकृत कराने जरूरी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि पेयजल और बिजली बुनियादी जरूरतें हैं और इनकी आपूर्ति में किसी भी तरह से कोताही नहीं होनी चाहिए।
कलेक्टर श्री सौरभ कुमार ने बैठक में जैविक खेती के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसके लिए कार्ययोजना तैयार की गई है। कमिश्नर श्री दिलीप वासनीकर ने बस्तर संभाग में हो रहे कार्यों के संबंध में मंत्री को अवगत कराया। बैठक में दंतेवाडा विधायक श्रीमती देवती कर्मा, सहित अन्य जनप्रतिनिधि तथा वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।