डायलिसिस मशीन की विधान सभा को गलत जानकारी : जिला चिकित्सालय सीधी

डायलिसिस मशीन की विधान सभा को गलत जानकारी : जिला चिकित्सालय सीधी

सीधी ( विजय सिंह )- किडनी रोग से पीड़ित मरीजों हेतु जिला चिकित्सालय सीधी में सन् 2013 में हीमो डायलिसिस मशीन की स्थापना की प्रक्रिया शुरू हुई। कक्ष बना, कक्ष में टी.वी. व दो एयर कंडीशनर लग गये। एक चिकित्सक, नर्स टेक्नीशियन को विशेष प्रशिक्षण दिलाया गया। लेकिन ढाई साल गुजर गये, मशीन का कहीं रता-पता नहीं है। चिकित्सालय के प्रथम तल पर एक कमरे के सामने लिखे हीमो डायलिसिस कक्ष से ही किडनी मरीजों को संतोष करना पड़ रहा है।Dylisis News Photo (1)

                जिला चिकित्सालय के नवागत् सिविल सर्जन सह अधीक्षक डा. व्ही.बी.सिंह ने पहली मर्तबा 10 अगस्त को आयुक्त, स्वास्थ्य सेवायें को पत्र लिखकर डायलिसिस मशीन उपलब्ध कराने हेतु पत्र लिखा है। जबकि इसके पूर्व तक विधान सभा के गत् वर्षा कालीन सत्र में ध्यानाकर्षण सूचना क्रमांक 111 एवं वरिष्ठ अधिवक्ता सोमेश्वर सिंह द्वारा मुख्य मंत्री के जन शिकायत निवारण विभाग में की गई शिकायत के जवाब में एक ही रटा-रटाया उत्तर दिया गया कि ‘‘ कक्ष का निर्माण हो चुका है, टी.वी. व ए.सी. लगा है, डाक्टर, नर्स, टेक्नीशियन को प्रशिक्षण दिलाया जा चुका है, मशीन क्रय किये जाने की प्रक्रिया प्रारम्भ है।’’

                जबकि असलियत यह है कि विभाग से आये एक पिं्रटेड फार्मेट की पूर्ति के अलावा जिले के स्वास्थ्य मुहकमें ने मशीन क्रय करने की प्रक्रिया तो दूर, 10 अगस्त के पूर्व तक एक पन्ने की चिट्ठी लिखने तक की जहमत नहीं की थी।

                स्वास्थ्य संचालनालय ने सीधी सहित प्रदेश के 27 जिलों में डायलिसिस मशीन स्थापित किये जाने हेतु 11 मार्च 2013 से 15 अप्रैल 2013 तक कुल तीन पत्र जारी किये गये। जिसके अनुसार डायलिसिस कक्ष एवं अधोसंरचना का निर्माण, अमले को आवश्यक प्रशिक्षण तथा मशीन क्रय किये जाने हेतु 10 लाख रुपये का आवंटन दिया गया था। जिला चिकित्सालय प्रबंधन ने डायलिसिस कक्ष का निर्माण, अधोसंरचना में टीवी-एसी लगवा दिया, स्टाफ को प्रशिक्षण दिला दिया और डायलिसिस मशीन प्रदाय हेतु लघु उद्योग निगम भोपाल को पत्र लिख कर अपनी इतिश्री मान ली।

                लेकिन दूसरी ओर मशीन आये बगैर ही डायलिसिस में लगने वाली अन्य सामग्री डाॅयलाईजर, ट्यूबिंग सेट, निडिल व अन्य केमिकल की खरीदी कर डाली। एक आर.ओ. प्लांट की स्थनीय स्तर पर खरीदी का निर्देश था, लेकिन आर.ओ. की खरीदी न कर इस मद् में आई राशि को अन्य मद् में बुक कर दिया, क्योंकि मार्च का महीना था। बगैर आवश्यकता के क्रय की गई सामग्री जब एक्सपायरी होने लगी तो उसे सतना जिला चिकित्सालय को भेज दिया गया।

                सीधी जिले में तकरीबन 150 से अधिक किडनी के मरीज हैं जिन्हें सप्ताह में तीन बार डायलिसिस की आवश्यकता है। जो सम्पन्न हैं वह तो नियमित डायलिसिस करवाने के लिये रीवा, सतना, जबलपुर या बनारस जा रहे हैं। ऐसे लोग की संख्या दहाई के आंकड़े तक ही है। अन्य या तो अनियमित रूप से डायलिसिस करा रहे हैं,  फलतः अकाल मौत का शिकार हो रहे हैं।

                जिले का स्वास्थ्य विभाग संवैधानिक संस्थाओं को गुमराह करने वाली जानकारी देने के अलावा यह बतलाने के लिये तैयार नहीं है कि शासन से स्वीकृत डायलिसिस मशीन कब तक जिला चिकित्सालय में स्थापित हो जायेगी ? इन ढाई सालों में डायलिसिस के आभाव में होने वाली मौतों का जिम्मेदार कौन होगा ?

विजय सिंह
स्वतंत्र पत्रकार
राज्य स्तरीय अधिमान्य
19. अर्जुन नगर सीधी

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