- April 6, 2016
ठोस कचरा प्रबंधन के नियम : शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों पर भी लागू : जावड़ेकर
उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश भर में प्रति वर्ष 62 मिलियन टन कचरा उत्पन्न होता है, जिनमें से 5.6 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा, 0.17 मिलियन टन जैव चिकित्सा अपशिष्ट, 7.90 मिलियन टन खतरनाक अपशिष्ट और 15 लाख टन ई-कचरा है। उन्होंने कहा कि भारतीय शहरों में प्रति व्यक्ति 200 ग्राम से लेकर 600 ग्राम तक कचरा प्रति दिन उत्पन्न होता है।
श्री जावड़ेकर ने यह तथ्य रेखांकित किया कि प्रति वर्ष 43 मिलियन टन कचरा एकत्र किया जाता है, जिसमें से 11.9 मिलियन टन को संसाधित किया जाता है और 31 मिलियन टन कचरे को भराव क्षेत्रों (लैंडफिल साइट) में फेंक दिया जाता है। इसका मतलब यही है कि नगर निगम अपशिष्ट का केवल 75-80 प्रतिशत ही एकत्र किया जाता है और इस कचरे का केवल 22-28 प्रतिशत संसाधित किया जाता है। श्री जावड़ेकर ने कहा कि उत्पन्न होने वाले कचरे की मात्रा मौजूदा 62 लाख टन से बढ़कर वर्ष 2030 में लगभग 165 मिलियन टन के स्तर पर पहुंच जाएगी।
सरकार ने इन नियमों के समग्र कार्यान्वयन की निगरानी करने के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक केन्द्रीय निगरानी समिति का गठन भी किया है।
ठोस कचरा प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) नियम, 2016 की कुछ मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
1. ये नियम अब नगर निगम के क्षेत्रों से बाहर भी लागू हो गए हैं। ये नियम अब शहर संबंधी समूहों, जनगणना वाले कस्बों, अधिसूचित औद्योगिक टाउनशिप, भारतीय रेल के नियंत्रण वाले क्षेत्रों, हवाई अड्डों, एयर बेस, बंदरगाह, रक्षा प्रतिष्ठानों, विशेष आर्थिक क्षेत्र, केंद्र एवं राज्य सरकारों के संगठनों, तीर्थ स्थलों और धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व के स्थानों पर भी लागू माने जाएंगे।
2. कोई भी व्यक्ति अपने द्वारा उत्पन्न ठोस कचरे को अपने परिसर के बाहर सड़कों, खुले सार्वजनिक स्थलों पर, या नाली में, या जलीय क्षेत्रों में न तो फेंकेगा, या जलाएगा अथवा दफनाएगा।
3. ठोस कचरा उत्पन्न करने वालों को ‘उपयोगकर्ता शुल्क’ अदा करना होगा, जो कचरा एकत्र करने वालों को प्राप्त होगा।
4.निर्माण और तोड़-फोड़ से उत्पन्न होने वाले ठोस कचरे को निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार संग्रहित करने के बाद अलग से निपटाया जाना चाहिए।