- May 13, 2016
जन सैलाव: जलदेवता का आवाहन — डॉ. दीपक आचार्य उप निदेशक
उदयपुर———- (सूचना एवं जनसंपर्क) —– उदयपुर, 12 मई/मेवाड़ के पर्वतीय क्षेत्रों में इन दिनों भीषण गर्मी के बावजूद मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान जोरों पर चल रहा है। गांवों में हर तरफ जल संरक्षण गतिविधियों और इनमें अपनी भागीदारी का इतिहास रचने के लिए ग्राम्यजन पूरे उत्साह से जुटे हुए हैं।
इन गाँवों में लोग इसी लक्ष्य को लेकर पसीना बहा रहे हैं कि जैसे भी हो, मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के सारे काम बरसात से पहले पूरे हो जाएं ताकि आने वाले समय में पानी के मामले में कोई समस्या न रहे और गांव के लोगों को पानी के लिए दूरस्थ जलस्रोतों पर निर्भर नहीं रहना पड़े।
जल संरक्षण के लिए हो रहे सभी कामों में ग्रामीण महिलाओं की अप्रत्याशित भागीदारी आधी दुनिया के कठोर परिश्रम का जयगान कर रही है। ग्राम्य महिलाओं के लिए जल संरक्षण के कार्य उनकी ढेरों समस्याओं का निर्णायक समाधान करने वाले सिद्ध होंगे और इसी वजह से हर तरफ ग्राम्य वनिताओं में यह हौड़ मची हुई है कि उनके अपने गाँव में पानी के भण्डार स्थापित हों ताकि गांव वाले भी खुशहाल जीवन जी सकें और मवेशियों को भी पानी पिलाने के लिए कहीं दूर नहीं ले जाना पड़े, गाँव में जल भण्डार भी आबाद हों और हरियाली के मामले में सावन जैसा माहौल बना रहे ताकि गाँव में चौतरफा सुकून के बीच बहुआयामी विकास की सुनहरी रोशनी पसरी रहे।
ग्राम्य पर्व बना जल संरक्षण श्रमदान
मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन के ऎसे ही एक काम ने ग्राम्य महिलाओं के उल्लास और समर्पित भागीदारी का परचम लहराया और जल संरक्षण का कार्य ग्राम्य पर्व के रूप में नज़र आया। मौका था उदयपुर जिले की सायरा पंचायत समिति मुख्यालय पर प्राचीन सायरा तालाब को गहरा करने का।
ग्राम्य संस्कृति और परंपराओं से जुड़े इस तालाब को गहरा करने के लिए न केवल सायरा बल्कि बौखाड़ा, पलासमा, ब्राह्मणों का कलवाना, झेमली और आस-पास दर्जन भर गांवों के लोग समूहों के रूप में सुबह-सुबह ही तालाब पहुंचे। लगभग 400 स्त्री-पुरुषों ने स्वैच्छिक श्रमदान किया और तालाब को गहरा करने में हाथ बंटाया।
इस दौरान सायरा पंचायत समिति की प्रधान श्रीमती मीरा मेघवाल, विकास अधिकारी सुनील जैन, सहायक अभियन्ता नाथूलाल जैन, पंचायत प्रसार अधिकारी रोडीलाल जोशी, अनिल रावल, सुरेशचन्द्र खटीक, सूचना सहायक, सचिव, जीआरएस, पंचायत समिति के कार्मिकों के साथ ही पुलिस और वन विभाग के अधिकारियों-कार्मिकों, सायरा ग्राम पंचायत की सरपंच चन्द्रकान्ता एवं क्षेत्र वार्ड पंचों ने सवेरे 7 बजे से लेकर दोपहर डेढ़ बजे तक श्रमदान करते हुए पसीना बहाया। ग्राम पंचायत के जन प्रतिनिधियों ने सभी श्रमदानियों की सेवा के लिए छाया-पानी आदि की व्यवस्था की।
श्रमदान ने सायरा तालाब की सूरत बदलने में इस कदर अहम् भागीदारी निभायी कि तालाब से गंदगी, रोडिया, गोबर-खाद, गाद आदि की सफाई की। इसमें ग्रामीणों की ओर से एक जेसीबी और पाँच ट्रैक्टरों का सहयोग मिला जिसने तालाब को गहरा करने में मदद दी।
उम्मीदें जगा दी हैं ग्राम्य मेहनत ने
ग्रामीणों के लिए सायरा तालाब का यह कार्य न केवल सायरा बल्कि क्षेत्र भर के ग्रामीणों के लिए आशाएं जगाने वाला रहा। गांव के लोगों के अनुसार इस तालाब में आमतौर पर हमेशा पानी भरा रहता है लेकिन गाद(मिट्टी) जम जाने से भीषण गर्मी के दिनों में तालाब पोखर की शक्ल में बदल जाता है।
गहरा हो जाने से ज्यादा पानी संग्रहित होकर अधिक समय तक टिका रह सकेगा। इससे ग्रामीणों और मवेशियों सभी के लिए साल भर पानी उपलब्ध रहेगा वहीं आस-पास के क्षेत्र में भूमिगत जल स्तर में बढ़ोतरी होगी। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान ने सायरा के ग्रामीणों में आशाओं का संचार किया है, ग्रामीणों को पक्का विश्वास है कि यह अभियान उनके गांव के लिए वरदान सिद्ध होगा।