ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट (ग्राम) का आयोजन 24 से 26 मई तक

ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट (ग्राम) का आयोजन 24 से 26 मई तक

जयपुर ——————पिछले वर्ष जयपुर में ‘ग्राम 2016‘ की सफलता के बाद अब ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट (ग्राम) का आयोजन सम्भागीय स्तर पर भी किया जा रहा है। सम्भागीय स्तर के सर्वप्रथम ‘ग्राम‘ का आयोजन 24 से 26 मई को कोटा में किया जा रहा है।

“ग्राम कोटा” के आयोजन का प्रमुख उद्देश्य इस सम्भाग के किसानों को सशक्त बनाने वाली तकनीकी जानकारी के प्रति जागरूकता लाना है जिससे इनकी आय वर्ष 2022 तक दो गुना हो सके।

इस आयोजन के जरिए कृषि क्षेत्र में कोटा सम्भाग (बारां,बूंदी,झालावाड एवं कोटा) की क्षमताएं प्रदर्शित की जाएगी। कोटा सम्भाग के किसानों को कृषि क्षेत्र में अपनाई जा रही श्रेष्ठ कार्य प्रणालियों की जानकारी दी जाएगी।

यह आयोजन कोटा सम्भाग में कृषि विकास में गुणात्मक वृद्धि करेगा। इस आयोजन के जरिए कृषि से जुड़े सभी सम्बद्ध पक्षों जैसे कोटा और आस-पास के किसान, शिक्षाविद, तकनीकी विशेषज्ञ, कृषि व्यवसाय से जुड़ी कम्पनियां और नीति निर्धारक एक मंच पर एकत्रित होेंंगे।

कोटा सम्भाग राजस्थान के प्रमुख कृषि उत्पादन और व्यापारिक केन्द्रों में शामिल है। कोटा में पानी भरपूर है और इस ताकत को पहचानते हुए ही यहां तिलहन, मसाले, औषधीय उपज, नीबू, संतरा आदि की खेती को प्रोत्साहित किया गया और यह माना गया कि यहां इनका मूल्य संवर्धन भी किया जाए तो किसानों का काफी फायदा हो सकता है।

यह सम्भाग सोयाबीन, लहसुन, धनिया, धान की फसल, मधुमक्खी पालन, औषधीय पौधो, उद्यानिकी और दलहन की फसल और इनकी उपज बढ़ाने के लिए अपानाई जा रही विधियों के लिए पहचाना जाता है।

“ग्राम कोटा” का विजन किसानों का सशक्तिकरण और राजस्थान को कृषि निवेश की सम्भावनााओं वाले राज्य के रूप में प्रोजेक्ट करना है। इसके अतिरिक्त“ग्राम कोटा” में कृषि क्षेत्र में किए जा रहे नवाचार और समाधान भी प्रस्तुत किए जाएंगे। इस आयोजन में संयुक्त उपक्रमों एवं विपणन साझेदारियों की काफी सम्भावना है।

यह विशाल आयोजन तकनीक हस्तांतरण के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय निवेश को आकर्षित करने और व्यापार के लिए बेहतर अवसर उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाएगा। सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह आयोजन कृषि आधारित अनुसंधान को भी प्रोत्साहित करेगा।

“ग्राम कोटा” तीन दिन चलेगा और इस दौरान प्रदर्शनियां, सम्मेलन, जाजम बैठकें, स्मार्ट फार्म और उद्योग आधारित चर्चाएं होंगी। प्रदर्शनियों में कृषि, कृषि प्रसंस्करण और पशुपालन क्षेत्र में स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप नवीनतम तकनीकें और उपकरण प्रदर्शित किए जाएंगे।

इस मीट में राजस्थान के किसानों और कृषि उद्यमियों द्वारा स्थानीय स्तर पर विकसित उत्पाद भी प्रदर्शित किए जाएंगे। आयोजन में कृषि सम्बंधित सुझावों, संरक्षित खेती, सिंचाई, प्लास्टिकल्चर, प्रिसिजन फार्मिंग, कृषि मशीनरी, जैविक कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मूल्य सवंर्धित उत्पादों आदि की प्रदर्शनियां लगाई जाएंगी।

इसके अतिरिक्त“ग्राम कोटा” में राजस्थान में विभिन्न क्षेत्रों के लिए बनी प्रमुख नीतियाेंं की जानकारी देने के लिए नॉलेज पेपर और इन्वेस्टर गाइड भी उपलब्ध रहेगी। इसमें विभिन्न श्रेणियों में उपयोग में ली जा रही श्रेष्ठ कार्यप्रणालियों की जानकारी भी होगीताकि अंतरराष्ट्रीय साझेदारों और राज्य तथा केन्द्र सरकार की विभिन्न योजनाओं एवं नीतियों में समन्वय स्थापित किया जा सके।

निवेश सम्बन्धी प्रश्नों को संबोधित करने के लिए बी-टू-बी और बी-टू-जी बैठकें भी होंगी। इसके साथ ही किसानों के विकास, कृषि तथा उद्यमिता में महिलाओं के योगदान तथा कृषि के सतत् विकास के लिए स्मार्ट और नवाचार समाधानों पर भी चर्चाएं होंगी।

1800 वर्ग मीटर के क्षेत्र में निर्मित स्मार्ट फार्म इस वर्ष ‘ग्राम कोटा‘ का विशेष आकर्षण होगा। स्मार्ट फार्म का मुख्य उद्देश्य विभिन्न कृषि नीतियों तथा राजस्थान की वर्तमान एवं उभरती हुई कृषि फसलों के बारे में बताना होगा।

मिनी स्पि्रंक्लर, स्पि्रंक्लर इरीगेशन, ड्रिप इरीगेशन एवं सोलर पम्पों के उपयोग जैसी सिंचाई की विभिन्न तकनीकों का लाइव डेमोंस्ट्रेशन ‘ग्राम कोटा‘ के मुख्य आकर्षणों में शामिल होगा। इसके साथ ही यहां आने वाले विजिटर्स धनिया, मशरूम, जैतून, सिट्रस फलों, ड्रेगन फ्रूट जैसी विभिन्न फसलों के लाइव प्लांटेशन भी देख पाएंगे।

इसी प्रकार, स्मार्ट फार्म में ग्रीनहाउस के माध्यम से बेमौसम की खेती करने, शेड नेट हाउस के जरिए उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादन, मोबाइल मृदा परीक्षण वैन, जल संरक्षण, प्लास्टिक मल्चिंग के जरिए खरपतवार की रोकथाम, एसआरआई (सिस्टेमिक राइस इंटेंसिफिकेशन), गार्लिक प्रोसेसिंग मशीन, जैसी तकनीकें तथा उंट के दूधके प्रोडक्ट्स, सुगंधित तेल, मसालों के तेल, पर्ल कल्चर, फसल बीमा एवं सोयाबीन प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स भी प्रदर्शित किए जाएंगे।

‘ग्राम कोटा‘में 3 दिनों की अवधि में कुल 4 सत्र होंगे। प्रथम दिन (24 मई को) ‘कल्टीवेटिंग अपॉच्र्युनिटीज थ्रू 4 डब्ल्यू‘ज ऑफ कोटा एग्रीकल्चर- (वेयरहाउस, वाटर यूज एफिशिएंसी, वुमन एम्पावरमेंट, वर्कफोर्स डेवलपमेंट)‘ तथा ‘एग्रीकल्चर अबंडन्स ऑफ कोटा- स्ट्रंथ एंड प्रोस्पेक्टस‘ विषयों पर दो सेमीनार आयोजित किए जाएंगे।

दूसरे दिन दूसरे दिन (25 मई को) ‘ग्राम कोटा‘ में ‘इमर्जिंग अपॉच्र्युनिटीज इन कोटा एग्रीकल्चर‘; ‘टर्निंग इनोवेशन टू कम्पेटिटिव एडवांटेज इन एग्रीकल्चर‘ और ‘सस्टेनेबल इनोवेशंस फॉर इन्टेंसिव एनिमल हस्बेंडरी‘ विषयों पर 3 सेमीनार होंगे। इसी क्रम में तीसरे दिन (26 मई को) ‘प्रमोटिंग एग्री टूरिज्म इन कोटा रीजन‘ विषय पर सेमीनार आयोजित किया जाएगा।

‘ग्राम कोटा‘ में 7800 वर्ग मीटर क्षेत्र में लगी एग्जीबिशंस में विभिन्न सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की कंपनियों की स्टॉलों पर कृषि मशीनरी एवं संबद्ध सेवाओं, एग्री इनपुट्स एवं संरक्षित खेती, सिचा, प्लास्टिकल्चर एवं प्रिसिजन फार्मिंग, फूड एवं फूड प्रोसेसिंग तकनीकों, डेयरी एवं पशुधन, एग्री डायवर्सिफिकेशन एवं रिटेलर्स, पोस्ट हार्वेस्टिंग तकनी कें एवं उपकरण, जैविक कृषि, आदि प्रदर्शित किए जाएंगे।

राज्य एवं केन्द्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों इस आयोजन में भाग लेना चाहिए। इसी तरह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुसंधान केन्द्रों के वरिष्ठ विशेषज्ञों, वित्तीय संस्थानों जैसे बैंक, नाबार्ड, सिडबी, राज्य के कृषि विश्वविद्यालयोें और कृषि प्रबंध महाविद्यालयो से जुडे शिक्षाविदों, भारतीय और विदेशी कृषि व्यापार और फूड कम्पनियों के लिए यह आयोजन काफी उपयोगी रहेगा। कृषक समूहों, प्रगतिशील कृषकों, इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधाएं जैसे कोल्ड चेन, भण्डारगृह, ग्रामीण गोदाम आदि विकसित करने वाले, कमोडिटी बोर्ड, एपीईडीए, एफएओ, आईएफएडी जैसी विकास एजेंसियों के लिये भी यह आयोजन बेहद उपयोगी साबित होगा।

राज्य की अर्थव्यवस्था को आगे बढने में कृषि प्रमुख घटक है और कोटा सम्भाग इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यह कृषि के प्रभुत्व वाला सम्भाग है। यहां विविध प्रकार की मिट्टीहै, सिंचाई सुविधाएं सशक्त है और सम्पूर्ण राजस्थान के मुकाबले में यहां फसलों की अच्छी पैदावार वाली किस्में उपलब्ध है।

यह सम्भाग कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में भी राजस्थान मेंंअग्रणीयहै। यहां दो कृषि अनुसंधान केन्द्र और चार कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके) है। इनमें शुष्क क्षेत्र में होने वाली फसलों के लिए बीज उत्पादन तथा उन्नत नस्लों औरगुणवत्ता पूर्ण चारे से पशुधन के दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के लिए निरंतर अनुसंधान, ग्रामीण युवाओं तथा किसानों के कौशल विकास और नवीनतम कृषि तकनीकों के बारे में किसानों को जागरूक करने की गतिविधियां चलती रहती है। इसके अतिरिक्त छः मृदा परीक्षण प्रयोग शालाएं और एक मृदा, बीज, उर्वरक और कीटनाशक जांच प्रयोगशाला भी यहां कार्यरत है।

कोटा सम्भाग में पूर्ण विकसित सिंचाई तंत्र उपलब्ध है। यहां पूरे राज्य का 12 प्रतिशत सिंचित क्षेत्र है (कोटा सम्भाग का कुल क्षेत्र पूरे राजस्थान का लगभग सात प्रतिशत है)। राजस्थान के 29 प्रतिशत सिंचित क्षेत्र के मुकाबले कोटा में 50 प्रतिशत ( 2013-14 के आंकडों के अनुसार 12 लाख हैक्टेयर) क्षेत्र सिंचित क्षेत्र है।

यहां पूरे राज्य का 28 प्रतिशत क्षेत्र ड्रिप इरीगेशन के तहत आता है और यह गत चार वर्ष से 13 प्रतिशत की दर से बढ रहा है। यहां स्पि्रकंलर इरीगेशन के प्रति रूझान लगातार बढ रहा है, अतः यहां सिंचाई के इन वैकल्पिक साधनों के विकास की काफी संभावनाएं उपलब्ध है।

विकसित सिंचाई तंत्र के अतिरिक्त यहां राज्य के कुल औसत से ज्यादा वर्षा होती है। इससे यहां के किसानों को अच्छी पैदावार में मदद मिलती है। हालांकि यहां किसानों को वर्षा जल संरक्षण के बारे में और अधिक जागरूक करने की आवश्यकता है ताकि “प्रत्येक बूंद अधिक पैदावर” के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।हालांकि इस उप-क्षेत्र में विकास की काफी संभावनाएं हैं।

राजस्थान में 69,750 हैक्टेयर से अधिकक्षेत्र जैविक कृषि के तहत दर्ज है। जैविक कृषि को बढावा देने के लिए राज्य सरकार ने अप्रेल 2016 में 11 जिलों को चिन्हित किया है जहां जैविक कृषि को प्राथमिकता दी जाएगी और झालावाड़ उनमें से एक जिला है। इसके साथ ही जिले में किसान स्वयं सहायता समूह गठित किया गया है जो किसानों को उनकी उपज का अधिक दाम (नियमित से 30-40 प्रतिशत अधिक) दिलाने में सहायता करेगा।

कोटा सम्भाग में उद्यानिकी क्षेत्र में जैविक कृषि अभी शुरूआती दौर में है। जैविक कृषि से अधिक लाभ और इन फसलों के लिए अच्छा बाजार बनने से इस क्षेत्र के किसानों की आय बढ़ सकती है।

कोटा सम्भाग में संरक्षित खेती अभी शुरूआती दौर में है और यहां के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। अभी यहां 5.6 हैक्टेयर भूमि में संरक्षित खेती हो रही है और लाल, हरी और पीली शिमला मिर्च, खीराएवं कुछ किस्मों के फूल इनकी प्रमुख फसल है।

इस क्षेत्र में संरक्षित खेती को बढावा देने के लिए राज्य सरकार ने किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान देने की योजना आरम्भ की है। इससे किसानों को शुरूआत में बडा निवेश (चार हजार वर्ग मीटर के लिए लगभग 35 लाख रुपए) करने में आसानी होगी।

पशुपालन कृषि और इसकी सहायक गतिविधियों का अभिन्न अंग है। इनसे ना सिर्फ दूध और पौष्टिक आहार मिलता है, बल्कि इनके गोबर से अच्छी जैविक खाद भी मिलती है जो किसानों की आय का अतिरिक्त माध्यम है। कोटा सम्भाग में राज्य के कुल पशुधन का छह प्रतिशत पशुधन है।

500 से ज्यादा पशुपालन संस्थान जैसे पॉलिटेक्निक, प्रथम श्रेणी के पशु चिकित्सालय, आदिकार्यरत है। इनकी संख्या राज्य के कुल पशुपालन संस्थानों का करीब आठ प्रतिशत है। इस सम्भाग में जहां कृषि का प्रमुख स्थान है, वहीं पशुपालन में डेयरी और शहद के लिए मधुमक्खियों के उत्पादन (एपीकल्चर) का भी अहम स्थान है।

कोटा सम्भाग में एपीकल्चर के विकास की काफी सम्भावनाए है। अभी यह शुरूआती दौर में है। किसानों ने 2005-06 से ही मधुमक्खी पालन शुरू किया है। कोटा सम्भाग में अभी 375 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन प्रतिवर्ष हो रहा है।

अभी यहां 14,000 बॉक्स है और प्रत्येक बॉक्स 25-30 किलो शहद उत्पादन कर रहा है, तथा 400-450 किसान इनसे जुडे हुए है। गत एक दशक से कोटा सम्भाग में प्रतिवर्ष 1500-2000 बॉक्स और जुड रहे हैं। किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और उन्हें बढती आय प्राप्त करने के लिए इसके लाभ बताए जाने चाहिए।

फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) की स्थापना करने से किसानों को एक साथ लाया जा सकता है और इस तरह प्रति युनिट लागत कम कर मधुमक्खी पालन से होने वाला कुल लाभ बढाया जा सकता है।

कोटा सम्भाग में कृषि और उद्यानिकी में अच्छी पैदावार वाली किस्में हैं और पूर्ण विकसित पशुपालन क्षेत्र है।

क्षेत्र मेंं पैदा हो रही उपज का पूरा लाभ लेने के लिए प्रसंस्करण सुविधाएं विकसित करना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए सम्भाग में एक फूड पार्क स्थापित है, जिसमें कृषि उपज के प्रसंस्करण के लिए अत्याधुनिक सुविधा उपलब्ध है।

इस क्षेत्र में अनाज की पिसाई और खाद्य उत्पादों के निर्माण से जुडी 140 लघु एवं मध्यम श्रेणी की इकाइयां है। हालांकि सोयाबीन, दालों और मसालों के उन्नत ग्रेडिंग, पैकेजिंग और छंटाई पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।

उद्यानिकी फसलों के लिए यहां 20 प्रसंस्करण इकाइयां है जो मुख्यतः धनिए और संतरे की उपज पर कार्य कर रही है। हालांकि यहां होने वाले कुल उत्पादन के मुकाबले सम्भाग में उपलब्ध प्रसंस्करण इकाइयां काफी कम है।

डेयरी प्रसंस्करण के लिए राजस्थान कॉपरेटिव डेयरी फैडरेशन यहां दो इकाइयां संचालित करता है। इनमें से कोटा में 50 हजार लीटर और झालावाड में 20 हजार लीटर दुग्ध काप्रतिदिन प्रसंस्करण होता हैं। डेयरी फैडरेशन के अलावा यहां निजी संस्थाएं भी सक्रिय है। हालांकि यहां मूल्य सवंर्धित दुग्ध उत्पादों के निर्माण को प्रोत्साहित करने की जरूरत है।

ऎसे में इस क्षेत्र में मूल्य संवर्धन के विकास और विस्तार के लिए काफी सम्भावनाएं उपलब्ध है।

एग्री टूरिज्म में कृषि एवं संबद्धऎसी गतिविधियांआती हैं जिसके तहत विजिटर्स को एग्री फार्मपर लाया जा सके। किफायती लागत, फैमिली ओरिएंटेड रीक्रिएशन, फार्मिंग के प्रति बढ़ती जिज्ञासा, पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने एवं शैक्षणिक मूल्यों, आदि पर केंद्रित होने से एग्री टूरिज्म में बहुत अधिक सम्भावनाएं हैं।

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