सोशल मीडिया और वेब मीडिया में अंतर–शैलेश कुमार

सोशल मीडिया और वेब मीडिया में अंतर–शैलेश कुमार

सोशल मीडिया — फेसबुक ट्विटर ,व्हाट्सएप्स ,लिंक्डइन आदि पर ईमेल एकाउंट खोल कर कुछ भी पोस्ट कर सकने के लिए स्वतंत्र है। इसका नियंत्रण शक्ति अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया , न्यूजीलैंड में है।

अगर किसी के आपतिजनक एकाउंट को बंद करना हो तो भारत सरकार के सूचना मंत्रालय, विदेश मंत्रालय के माध्यम से अनुरोध भेज सकती है।

अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रालय अपने सूचना मंत्रालय को बंद करने के लिए अनुमोदित करेगी। इस बीच में कितना हेकडा-हेकडी होगा यह समझ से बाहर है।

पीछले वर्ष श्री मति सोनिया गांधी से संबंधित एक आपतिजनक एकाउंट को बंद करवाने में भारत सरकार को कितने पापड बेलने पडे थे। जो पोस्ट था वह फेसबूक के लिये आम बातें थी और पश्चिमी देशों में इसे मनोरंजन के रुप में लिया जाता है।

शयन कक्षवाले ट्विटर व फेसबुक पर लिखते है और अपने समर्थकों को प्रचार -प्रसार करने के लिए कहते है। इसमें कई प्रिंट मीडिया और चैनल की हवाएं भी है।

जो गर्व से कहता फिरता है की –अमुक ने ट्वीट किया, अमुक ने फेसबुक पर लिखा।

सोशल मीडिया के रूप में पदवी दिलाने में राजनीतिक दलों के लेखकों की अहम भूमिका है,जिन्होंने सीधे तौर पर प्रिंट में न लिख कर बढ़ावा दिया है और अपने को गौरवांवित महसूस किया है।

हमें भी ट्विटर सन्देश आता रहता है की अमुक व्यक्ति ने ट्वीट किया है जो आगामी समाचारों के लिए बेहतर हो सकता है, लेकिन मैं कोई तरजीह नहीं दे रहा हूँ क्योंकि अगर अमुक व्यक्ति हमें सहयोग करना चाहते हैं तो सीधे तौर पर हमें भेज सकते हैं। हम उनके ट्विटर पर क्यों जाय ? यह उनका स्वामित्व है ।

सोशल मीडिया अनियत्रित और गैर जिम्मेदार संस्था है। जिसको जो आये, पोस्ट कर दे।

वेब मीडिया — इसका डोमेन ऑस्ट्रेलिया या फिर अमेरिका से आवंटित हो रहा है। डोमेन रजिस्ट्रेशन के बाद संचालक उस देश या राज्य के किसी जिला का होता है।

जिला प्रशासन या आईटी सेल का सीधा नियंत्रण उस व्यक्ति पर होता है। इस पर नियंत्रण आसान है।

डोमेन उपलब्ध कराने वाले भी अपने ही देश के होते है ,यथाशीघ्र डोमेन रद्द हो सकता है। वार्षिक नवीनीकरण आवश्यक है। नवीनीकरण नहीं होने पर स्वयं रद्द हो जाता है।

वेब मीडया के हर आर्टिकल पर संपादक का स्वामित्व होता है। इसके लिए वह जिम्मेदार है। कोई स्वयं से किसी दूसरे के वेब मीडिया पर अपना आर्टिकल पोस्ट नहीं कर सकता है। यह नियंत्रित और जिम्मेवार संस्था है।

इसलिए वेब मीडिया कभी भी सोशल मीडिया नहीं हो सकता है क्योंकि इसकी जिम्मेदारी बहुत विस्तृत है।

अगर आईटी सेल साइबर क्राईम से संबंधित कोई प्रशिक्षण की रुपरेखा तैयार करती है तो वह वेब मीडिया को सीधे अपने नियंत्रण में रखती है। उसका प्रयास रहता है कि संचालक को इसकी बारिकी तक पहुँचना आवश्यक है।

विद्यालयों और महाविद्यालयों में 2012 मे मध्यप्रदेश प्रशासन ने साईबर क्राईम जागरण अभियान चलाया था।

प्रशासन के प्रत्येक दिन के कार्यक्रम का निष्कर्ष नवसंचारसमाचार.काम को मिलता रहा।

नियंत्रण – मैं नवभारत टाईम्स में ब्लाग लिख रहा था। एक प्रसंग में मुझे पं० जवाहरलाल नेहरु पर लिखना था। मैने उस लेख में जो लिखा उस पर नवभारत टाईम्स के संपादक सहित मुझे भी धमकी मिली। धमकी देने वाला मुम्बई से कोई हिंदु था।

संपादक ने मुझे उस पैरा को हटा लेने के लिये कहा अन्यथा ब्लाग बंद कर देने की बातें कही।

मैंने संपादक की कही गई बातों से सहमत नही जताई.उसने मेरा ब्लाग बंद कर दिया। इस तरह वेब मीडिया पर पूर्ण नियंत्रित है।

अगर सरकार ध्यान दें तो सबसे कम लागत से चलने वाली इस मीडिया को पूर्ण सहयोग देकर धरातल पर उताड सकती है,इसके लिये उसे सिर्फ इन्टरनेट व्यवस्था को चुस्त करना होगा जो अभी प्राईवेट के हाथों बिक चुकी है और जिसके पास कोई योजना ही नही है और न ही सूचना मंत्रालय के पास ही कोई योजना है।

वेब मीडिया के बारे में आज तक सूचना मंत्रालय ने कोई दिशा निर्देश ही तय नही किया है जो तय किया है वह चैनल और प्रिंट मीडिया की शर्तें चिपका रखी है। यह पोस्टर वेब मीडिया के लिया मूर्खतापूर्ण न्यायसंगत है।

भारत सरकार को इन्टरनेट के पहुंच के अनुसार नियम तय करनी चाहिये थी। राज्य सरकार को तो खूद पता नही है कि वह किस राज्य के मुख्यमंत्री है ?

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