• February 28, 2015

गाँवों में लाएं बहुआयामी विकास का सुनहरा मंजर – राज्यपाल

गाँवों में लाएं बहुआयामी विकास का सुनहरा मंजर – राज्यपाल

कोटा, 28 फरवरी / राज्यपाल श्री कल्याण िसंह ने देश के समग्र विकास के लिए गांवों के बहुआयामी एवं ठोस विकास पर जोर दिया है और कहा है कि गांवों में रहने वाली अधिकांश आबादी के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की आज आवश्यकता है।  इसके लिए सभी को मिलजुलकर भागीदारी निभानी होगी।RTU Kota 28215 (13)

       राज्यपाल कल्याण सिंह ने शनिवार को कोटा में राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षांत समारोह में यह आह्वान किया।

       डॉ. झुनझुनवाला व डॉ.  सारस्वत डी.लिट. से विभूषित

       राज्यपाल एवं कुलाधिपति ने समारोह में विश्वविद्यालय की ओर से इलेक्टि्रक इंजीनियरिंग के जाने माने तकनीकी विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. अशोक झुनझुनवाला तथा नीति आयोग के सदस्य पद्मभूषण डॉ. विजय कुमार सारस्वत को डिलीट की मानद उपाधि प्रदान की।

राज्यपाल एवं कुलाधिपति ने अभियांत्रिकी संकाय में किरण गजरानी व कृष्ण गोपाल शर्मा को पीएच.डी. की उपाधि प्रदान की। सर्वश्रेष्ठ मेधावी 20 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किये गये। इनके साथ ही बी.टेक., बी.आर्क., बीएचएमसीटी, एमबीए, एमसीए व एम.टेक आदि से संबंधित विद्यार्थियों को भी उपाधियों का वितरण किया गया।RTU Kota 28215 (2)

       समारोह में सुश्री कोमल मितावा को एमसीए, दिव्यांशु पोद्दार व पुलकित वर्मा को बीएचएमसीटी और साक्षी लीला तथा गुलशन सिंह को एमबीए की उपाधि प्रदान की गई। दीक्षांत भाषण पद्मभूषण डॉ. वी.के.सारस्वत ने दिया।

       राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति नलीनक्ष एन व्यास ने विश्वविद्यालय का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया और राज्यपाल सहित सभी अतिथियों का स्वागत किया। कुलपति ने मानद डिलीट उपाधि पाने वाले दोनों विधाओं के प्रशस्ति पत्र का वाचन भी किया।

       अपने फर्ज के प्रति वफादार रहें

       राज्यपाल ने कहा कि देश करवट ले रहा है, युग बदल रहा है, देश में नये सिरे से आत्मविश्वास पैदा हो रहा है और देश में सकारात्मक परिवर्तन की आंधी प्रारंभ हो चुकी है। ऎसे में हम सभी को अपने-अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन करना होगा।

       किसानों के उत्थान की जरूरत

       राज्यपाल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों की गरीबी दूर करने और खेतीबाड़ी में मुनाफे की स्थितियां लाकर किसानों की तकदीर सँवारना और गांवों की बेहतर तस्वीर सामने लाने की चुनौती हमारे सामने है। इसके लिए सभी को मिलकर अपनी भागीदारी निभानी होगी तभी हम सर्वांगीण विकास की बात कर सकते हैं।

       उन्होंने कहा कि आज गांव के गरीबों और किसानों के लिए सर्वाधिक सोचने की आवश्यकता है और नगरों के साथ-साथ ग्रामीण विकास के सारे आयामों पर गंभीरतापूर्वक ध्यान देना होगा, शिक्षा और विकास की पहुंच हर ग्रामीण क्षेत्र तक होनी चाहिए।  राज्यपाल ने कहा कि हमारे गांव पिछड़े रह गये, तो देश की आजादी का कोई अर्थ नहीं है।

       उच्च शिक्षा में गुणवत्ता के भरसक प्रयास जारी

       कुलाधिपति ने कहा कि राजस्थान में उच्च शिक्षा की स्थिति में गुणात्मक परिवर्तन व सुधार के लिए व्यापक प्रयास जारी हैं और मार्च-अप्रेल में सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की कान्फ्रेंस में इस दिशा में व्यापक विचार विमर्श होगा।

       युवाओं से किया आह्वान

       कुलाधिपति ने युवाओं से अपनी काबिलियत दिखाते हुए सच्चे नागरिक के रूप में समाज व देश के समग्र उत्थान में सशक्त एवं आत्मिय भागीदारी निभाने का आह्वान किया।

       संस्कारों व मानवीय मूल्यों पर जोर

       दीक्षांत समारोह में अपने उद्बोधन में राज्यपाल कल्याण िंसंह ने अपने विद्यार्थी जीवन की विभिन्न घटनाओं का जिक्र किया और युवाओं को बेहतर जीवन जीने के लिए आदर्श चरित्र, मानवीय मूल्यों और परोपकारी जीवन व्यवहार की सीख दी।

       राज्यपाल ने भारतीय संस्कृति के मूल्यों शैक्षिक आदर्शों और संस्कारों को जीवन में उतारने पर बल दिया और कहा कि अपने से बड़ों माता-पिता व गुरूजनों का हमेशा सम्मान कर उनका आशीर्वाद पाना चाहिये। उनके आशीर्वाद के बूते इंसान अपने जीवन में बहुत कुछ प्राप्त कर सकता है।

       अहंकार से मुक्त रहें

       इंसान के लिए अहंकार को सबसे बड़ा शत्रु और आत्मघाती बताते हुए राज्यपाल ने कहा कि अहंकार ग्रसित व्यक्ति का जीवन नष्ट हो जाता है और यह अहंकार मनुष्य को खा जाता है। अहंकार को मिटाने के लिए उदारता अपनानी चाहिए और इसी से अहंकार विगलित होता है। इस पर विजय पाने के लिए विनम्रता और उदारता का भरपूर समावेश जीवन में होना चाहिए।

       दीक्षांत समारोह में उपाधियां पाने वाले विद्यार्थियों से उन्होंने आह्वान किया कि वे अपने जीवन में त्याग, तपस्या और साधना को अपनाएं। परिवार, समाज व देश के प्रति निष्ठा रखें और पूरी उदारता के साथ अपने कर्तव्य कर्मों का निर्वाह करें।

       जीवन में ईमानदारी अपनाएँ

       कुलाधिपति ने आत्म  अनुशासन और ईमानदारी को जीवन का अभिन्न अंग बनाने पर जोर दिया और कहा कि इंसान दुनिया को धोखा दे सकता है। उदारता की चादर ओढ़े सभी को धोखा दे सकता है लेकिन अपने आपको कभी नहीं। उन्होंने कहा कि अपने प्रति ईमानदार बनें, क्योंकि आत्मा सच और झूठ को अच्छी तरह पहचानती है।

       नई पीढ़ी के निर्माण के प्रति सब रहें जागरुक

       राज्यपाल ने बालक के समग्र विकास के लिए विभिन्न आयामों की मजबूती पर जोर दिया और कहा कि विद्यार्थियों, शिक्षकाें, शिक्षण संस्थाओं और परिवार सभी की यह संयुक्त जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को चरित्रवान व अनुशासित बनाने में घर-परिवार के संस्कारों के साथ में शिक्षकों के आचार-विचार और व्यवहार का भी सीधा फर्क पड़ता है और इसलिए शिक्षकों को भी चाहिए कि वे इन नैतिक मूल्यों के प्रति गंभीर रहें। उन्होंने ट्यूशन प्रथा के परित्याग पर जोर दिया और कहा कि यह एक विकृति है जिसे दूर किया जाना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने जीवन में ऊंचे लक्ष्य रखते हुए अपनी प्रमाणिकता को बरकरार रखें और यह संकल्प लें कि ‘लाख जाये पर साख न जाये’। इसके साथ ही वाणी और कार्य में एकरूपता रखें।

       समाज की कसौटी पर खरे उतरें

       उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षित-प्रशिक्षित विद्यार्थियों के लिए असली डिग्री समाज देता है। इसलिए समाज और देश के प्रति अपनी सारी जिम्मेदारियां पूरी ईमानदारी, कर्तव्यपरायणता और सेवा तथा परोपकार की भावनाओं के साथ निभाएं।

       माटी का कर्ज चुकाएं

       उन्होंने विद्यार्थियों से यह भी कहा कि जीवन की प्रायोगिक परीक्षा में खरे उतरें। इसके लिए अपने आपको नापेें और जीवन में परिवर्तन लाने के लिए अपनी ओर से पहल करें और यह प्रयास करें कि अपनी वजह से लोगों के जीवन में बदलाव आये, उनके सुख-दुख में सहभागी बनें और ऎसे कार्य करें कि समाज का ऋण अच्छी तरह चुका सकें तथा अपने कार्यों की वजह से मातृभूमि को गौरव प्राप्त हो।

        समय की पाबंदी अपनाएं

       समय की पाबंदी पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि जो समय के पाबंद नहीं हैं, वो किसी काम के नहीं हैं और जो समय के पाबंद हैं उसके पास टाईम की कोई कमी नहीं है क्योंकि वह अपने सारे काम समय पर पूरे करने का अभ्यस्त होता है।

       इस दृष्टि से उन्होंने अपने विद्यार्थी जीवन की याद दिलाई और कहा कि इंटर में पढ़ाई के दौरान सन् 1952 में उनके अंग्रेजी शिक्षक ने घड़ी के अंग्रेजी शब्द वॉच को लिखा और बताया कि इसके हर अक्षर का मतलब है। डब्ल्यू यानि वॉच योर वर्डस, ए यानि वॉच योर एक्शन, टी यानि वॉच योर टाईम, सी यानि वॉच योर कनेक्टर तथा एच अर्थात वॉच योर हैल्थ। उन्होंने कहा कि आज भी जब आंखें बंद करते हैं तब उन्हें अंग्रेजी के वे गुरूजी तथा ब्लेकबोर्ड याद आते हैं।

       स्मार्ट गांव विकसित करें

       राज्यपाल ने राजस्थान तकनीकि विश्वविद्यालय से भी कहा कि वे किसी एक गांव को गोद लेकर स्मार्ट गांव के रूप में विकसित करके दिखाएं। समारोह मेंंे पदमश्री डॉ. अशोक झुनझनुवाला एवं पदमश्री डॉ. वी.के. सारस्वत ने अपने संबोधन में विद्यार्थियों को व्यक्तित्व विकास के साथ साथ समाज और देश के विकास में योगदान के लिए अपने हुनर का इस्तेमाल करने का आह्वान किया और अपने जीवन के अनुभव सुनाए। समारोह में विश्वविद्यालय के  रजिस्ट्रार प्रो. संजीव मिश्रा ने औपचारिक उदघोषणाएं की।

       कुछ नया दें समाज और दुनिया को

       इस अवसर पर दीक्षांत भाषण देते हुए नीति आयोग के सदस्य पद्मभूषण डॉ. विजयकुमार सारस्वत ने अपने जीवन के अनुभवों का सार रखते हुए विद्यार्थियों से कहा कि वे समाज और देश के लिए जीयें, मानवीय सेवा और मूल्यों के प्रति सजग रहें, हमेशा नई और मौलिक सोच के साथ काम करें, अपने हुनर का इस्तेमाल देश और समाज के लिए करने में पीछे न रहें और समाज की सभी अपेक्षाओं को पूरा करने के प्रति गंभीर रहें।

       डॉ. सारस्वत ने विज्ञान और धर्म के बीच सामन्जस्य स्थापित करते हुए कहा कि फीजिक्स और मेटा फीजिक्स के समन्वय को समझ जाने पर यथार्थ का अहसास होने लगता है।

       अवसरों का लाभ लें

       उन्होंने कहा कि अब व्यक्तित्व निर्माण और हुनर निखारने के लिए व्यापक अवसर उपलब्ध हैं, अपार संभावनाएं हैं। युवाओं को चाहिए कि वे इनका लाभ लेकर कोई सा क्षेत्र चुनकर चरम दक्षता हासिल कर देश की सेवा के लिए अपने आपको समर्पित करें। उन्होंने कहा कि सरकारी और निजी नौकरियों के पीछे भागने और कहीं न कहीं से तकनीकों का अंधानुकरण और नकल करने की बजाय अपनी मौलिकता और हुनर को इस्तेमाल कर खुद ऎसा कुछ करें कि औरों को भी रोजगार दे सकें और नाम कमा सकें। इसके लिए आईटी को माध्यम बनाया जा सकता है लेकिन हमें हर क्षण सीखने, पुनः सीखने और निरन्तर सीखते रहने की आदत डालनी होगी। इसके लिए उन्होेंने मेक इन इण्डिया के साथ ही डिजाईन, डवलप एण्ड मैन्युफेक्चर पर जोर दिया।

       व्यक्तित्व में निखार लाएं

       दीक्षांत समारोह में पद्मश्री प्रोफेसर(डॉ.) अशोक झुनझुनवाला ने सूचना प्रौद्योगिकी के जरिये भविष्य संवारने, देश के लिए काम करने, आंग्लभाषा को सीखने, हुनरमंद बनने, डिजिटल दुनिया के अनुरूप अपने आपको तकनीकि दृष्टि से सामथ्र्यशाली बनाने, हर किसी से सीखने की आदत डालने, अपनी मातृभूमि की सेवा को न भूलने आदि की सीख दी।

       दीक्षान्त समारोह में वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक, संभागीय आयुक्त औंकारसिंह, विधायक प्रहलाद गुंजल, हीरालाल नागर एवं चन्द्रकान्ता मेघवाल, जिला कलक्टर जोगा राम, महापोर महेश विजय, पुलिस अधीक्षक अमनदीप सिंह, पुलिस अधीक्षक(इंटेलीजेंस) ललित माहेश्वरी सहित प्रबंध मण्डल व विद्या परिषद के सदस्यगण, अधिष्ठाता, संकाय सदस्य, गणमान्य नागरिक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

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