क्यों घुट घुट जाती हूं —– संजना आर्य :: स्वच्छता ——- सपना आर्य

क्यों घुट घुट जाती हूं —– संजना आर्य  ::     स्वच्छता ——- सपना आर्य

चौकसो, गरुड़ (बागेश्वर, उत्तराखंड)

क्यों घुट-घुट जाती हूं।
बंद कमरे में रहती हूं।

दर्द पीड़ा मैं सहती हूं।
फिर भी कुछ नहीं कहती हूं।।

क्यों बंद पिंजरे में रहती हूं।
क्यों नहीं आगे बढ़ पाती हूं।

प्यार सभी को करती हूं।
क्यों बंद पिंजरे में रहती हूं।।

मैं भी उड़ना चाहती हूं।
मैं भी आगे बढ़ना चाहती हूं।

समाज के डर से रुक जाती हूं।
मैं भी आगे बढ़ना चाहती हूं।।

———————————————-
चलकाना,कपकोट (बागेश्वर, उत्तराखंड)

आओ मिलकर एक कदम उठाएं।
स्वच्छता पर एक ध्यान लगाएं।।

सुनो, जागो और स्वच्छता को मिशन बनाओ।

साफ-सफाई का रखोगे ध्यान।
तब बनेगा भारत महान।।

आओ मिलकर कदम बढ़ाएं।
स्वच्छता पर ध्यान लगाएं।।

चलो करो एक वादा।
स्वच्छता से है फायदा।।

डालो कूड़ा कूड़ेदान में।
रखो स्वच्छता ध्यान में।।

(चरखा फीचर)

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