प्रधानमंत्री कार्यालय—– (पेसूका)———- मैं आप लोगों के लिए भारत के 125 करोड़ लोगों की बधाई एवं शुभकामनाएं लेकर आया हूं।
हिन्द महासागर का जल हमारे दोनों देशों के लोगों को एक-दूसरे से घुलने-मिलने का अनुपम अवसर प्रदान कर रहा है। हम समुद्री पड़ोसी हैं।
भारत के पश्चिमी तट, विशेषकर मेरे गृह राज्य गुजरात और अफ्रीका के पूर्वी तट के समुदाय एक-दूसरे की भूमि पर बस गए हैं।
19वीं शताब्दी के आखिर में औपनिवेशिक युग के दौरान भारतीय प्रतिष्ठित मोम्बासा युगांडा रेलवे के निर्माण के लिए केन्या आए थे। इनमें से कई यहीं बस गए और फिर उन्होंने केन्या के आर्थिक विकास में योगदान दिया। अनेक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए और वे केन्या के संस्थापक राष्ट्रपति म्जी जोमो केन्याता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे।
इनमें माखन सिंह, पिओ गामा पिन्टो, चमन लाल, एम.ए.देसाई जैसे कई लोग शामिल हैं। दोनों देशों के बीच प्राचीन संपर्कों से हमारी संस्कृतियां समृद्ध हुई हैं। समृद्ध स्वाहिली भाषा में कई हिंदी शब्द भी शामिल हैं।
भारतीय व्यंजन अब केन्याई व्यंजनों का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। मैं वर्ष 2008 में यहां की यात्रा करने के बाद एक बार फिर आपके खूबसूरत देश में वापस आकर अत्यंत प्रसन्न हूं।
यह यात्रा भले ही छोटी हो, लेकिन इसके नतीजे अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हमारी व्यक्तिगत मित्रता को जागृत करने में मैं सक्षम रहा हूं, जिसकी शुरुआत अक्टूबर, 2015 में नई दिल्ली में हुई थी।
पिछले कुछ घंटों में हम अपने दीर्घकालिक संबंधों में नई ऊर्जा एवं गति प्रदान करने में सक्षम रहे हैं। हमारी राजनीतिक समझदारी एवं प्रतिबद्धता अब और गहरी हो गई है।
हम आपके विकास से जुड़ी प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए केन्या से हाथ मिलाने को तैयार हैं:
– आपके द्वारा चयनित क्षेत्रों में
– उस गति से, जो आपको पसंद है और चाहे यह हो:
– कृषि या स्वास्थ्य सेवा
– शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा अथवा प्रशिक्षण की आवश्यकताएं
– छोटे व्यवसायों का विकास
– नवीकरणीय ऊर्जा अथवा विद्युत पारेषण, और
– संस्थागत क्षमताओं का निर्माण
हमारे दोनों देशों के बीच प्रगतिशील आर्थिक एवं वाणिज्यिक रिश्ते रहे हैं। लेकिन यह कोई अस्थायी या सौदेबाजी वाला रिश्ता नहीं है। यह रिश्ता समय की कसौटी पर खरा उतरा है, जो साझा मूल्यों एवं साझा अनुभवों की नींव पर आधारित है।
भारत और केन्या दोनों के यहां युवा आबादी है। दोनों ही देश शिक्षा को अत्यंत महत्व देते हैं। अब कौशल विकास का समय है। जैसा कि स्वाहिली कहावत है: एलिमुंबिलाअमाली, कमानताबिलाअसाली (इसका अर्थ यह है: अभ्यास के बिना ज्ञान शहद के बिना मोम की तरह है)।
केन्या और भारत दोनों ने ही विश्व शांति के लिए काम किया है। हम केवल कमजोर एवं गरीबों की भलाई के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी धरती माता के संरक्षण में मदद के लिए भी अन्य विकासशील देशों के साथ अपने प्रयासों को एकजुट कर सकते हैं।
हम प्राकृतिक परिसंपत्तियों के संरक्षण के महत्वपूर्ण क्षेत्र में एक-दूसरे से सीख सकते हैं।
जैसा कि म्जी जोमो केन्याता ने कहा, ‘हमारे बच्चे अतीत के नायकों के बारे में सीख सकते हैं।
हमारा काम खुद को भविष्य का निर्माता बनाना है।’