- September 12, 2017
कुष्ठ जांच एवं खोज अभियान की तारीफ :– चंदूलाल साहू
महासमुंद—(छत्तीसगढ)——–जिला विकास समन्वय एवं मूल्यांकन समिति (दिशा) की आज आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए सांसद श्री चंदूलाल साहू ने जिला अधिकारियों से कहा कि वे जिम्मेदारी और निष्ठापूर्वक कार्य करते हुए जिले के विकास और बेहतरी के लिए उत्कृष्ट कार्य करें।
उन्होंने जिले में पहले चरण में 25 ग्राम पंचायतों में प्रारंभ कुष्ठ जांच एवं खोज अभियान की भुरि-भुरि तारीफ की और नागरिकों से अपील की कि जिले से कुष्ठ रोग की समाप्ति के लिए इस अभियान को पूरा-पूरा सहयोग दें। उन्होंने अभियान की सफलता के लिए विधायकों सहित अन्य सभी जनप्रतिनिधियों को भी जनता को सचेत एवं जागरूक करने को कहा। उल्लेखनीय है कि इसके उपरांत चरणवार अन्य ग्राम पंचायतों में भी इसी तरह कुष्ठ जांच एवं खोज का अभियान संचालित किया जाएगा।
बैठक में सांसद ने गहरी चिंता व्यक्त की कि भूजल का स्तर निरंतर गिरता जा रहा है। महासमुंद जिले के सिरसा गांव का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि यहां अभी तक 200 फीट गहरे ट्यूबवेल से पानी नहीं निकल पा रहा है, यहां का हैंडपंप बंद है और अगर ऐसी स्थिति रही तो गर्मी के दिनों में पानी के कमी के कारण हमारे गांवों और शहरों में विभीषका या भयावह स्थिति आ सकती है।
उन्होंने नागरिकों से प्रकृति प्रदत्त पानी का सदुपयोग करने तथा बहते हुए पानी को संग्रहित करने का आग्रह किया। उन्होंने जिला कलेक्टर की पहल पर सितंबर माह के प्रारंभ से ही मनरेगा के माध्यम से नालों में कच्चा बंधान के कार्यों की तारीफ की और जनप्रतिनिधियों से कहा कि अगर उन्हें लगता है कि उनके क्षेत्र के किसी नाले में बंधान बनाए जाने की जरूरत है तो उसका प्रस्ताव जिला पंचायत या जनपद पंचायत को तत्काल दे सकते है।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि वाटर रिचार्जिंग की दृष्टि से गांव के कम से कम एक तालाब को अधिक गहरा करें, जिससे उसके माध्यम से पानी का संकलन और रिचार्जिंग का कार्य बढ़े। बैठक में संसदीय सचिव श्रीमती रूपकुमारी चौधरी, विधायक श्री रामलाल चौहान, समिति के सदस्य जनप्रतिनिधिगण, कलेक्टर श्री हिमशिखर गुप्ता, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री पुष्पेन्द्र मीणा, वनमंडलाधिकारी श्री आलोक तिवारी सहित जिला अधिकारी उपस्थित थे।
कलेक्टर श्री हिमशिखर गुप्ता ने बताया कि जिले में मनरेगा योजना के तहत 634 नाला बंधान का कार्य स्वीकृत किया जा चुका है। इससे मजदूरी मिलने के साथ-साथ पानी संरक्षण का कार्य भी संभव होगा। उन्होंने बताया कि रूर्बन कलस्टर क्षेत्र विकास के तहत भंवरपुर के 14 ग्राम पंचायतों का विकास किया जा रहा है। इसके लिए 112 करोड़ रूपए का डीपीआर बनाया गया है और इसके लिए शासन से 9 करोड़ 15 लाख रूपए की राशि प्राप्त हो चुकी है।
इस योजना का उद्देश्य है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी शहरी क्षेत्रों की तरह आवश्यक सुविधाएं मुहैया हो सके। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के सभी आंगनबाड़ी एवं चिकित्सालय को मॉडल बनाया जाएगा। ग्राम पंचायतों में नाली एवं सीसी रोड, आहाता निर्माण, सोलर लाईट लगाने के साथ-साथ हर घर में पानी के कनेक्शन देने संबंधी कार्य किए जाएंगे। इसके अलावा कृषि, पंचायत, लोक निर्माण, कौशल उन्नयन, कृषि प्रसंस्करण, डिजीटल साक्षरता, तरल या ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन, नागरिक केंद्रित सेवाएं, सार्वजनिक परिवहन जैसे अन्य कार्य भी प्रस्तावित है।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने बताया कि मनरेगा योजना के तहत मजदूरों को समय पर मजदूरी का भुगतान हो इसके लिए उनका खाता पोस्ट आफिस से बैंकों में भी स्थानांतरित किया गया है। जिले में 1 लाख 96 हजार 259 जाब कार्ड बनाए गए है। 93 हजार 449 परिवारों द्वारा रोजगार मांगे जाने पर 93296 परिवारों को रोजगार दिया गया है। मनरेगा के अंतर्गत जिले में 5698 कार्य शुरू किए गए है। जिसमें से 59 कार्य पूरे हो गए है और 19 लाख 71 हजार 144 श्रम दिवसों का सृजन किया गया है।
कार्यपालन यंत्री विद्युत विभाग ने बताया कि दीनदयालय उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत बसना विकासखंड में गनेकेरा और सिंघनपुर तथा महासमुंद के झारा में 33/11 केव्ही का नया उपकेन्द्र बन गया है। इससे लो-वोल्टेज और विद्युत कटौती जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलेगी। इसी तरह 35 गांवों में इंशुलेटेड केबल बिछाने का कार्य किया जा रहा है, इससे विद्युत व्यवधान में कमी होने के साथ-साथ बिजली चोरी की समस्या पर भी रोकथाम होगी।
कृषि विभाग के अधिकारी ने बताया कि जिले में 79 हजार किसानों ने फसल बीमा कराया है। उन्होंने फसल बीमा की प्रक्रिया की जानकारी दी और बताया कि निर्देशानुसार पिछले 10 वर्षों के फसलों के औसत उत्पादन की तुलना में फसल उत्पादन की समीक्षा की जाती है। सिंचित और असिंचित क्षेत्र के लिए ग्राम पंचायत इकाई रहती है।
खाद्य अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 92 हजार महिलाओं को लाभान्वित करने के लक्ष्य के विरूद्ध 50 हजार महिलाओं को लाभान्वित किया जा चुका है।