- April 30, 2017
कांग्रेस के प्रतिलिपि क्षेत्रीय क्षत्रपों को कोई और विकल्प ढूंढना चाहिए-शैलेश कुमार
मूर्ख क्षेत्रीय क्षत्रपों को अभी भी दिमाग बंद है।
राजनीतिक पार्टियों के धर्मनिरपेक्ष या फिर अल्पसंख्यको की परिभाषा से भारतीय वाकिफ हो चुके है इसलिए भारतीयों ने महागठबंधन तैयार कर लिया है।
इस महागठबंधन के सामने कोई भी गठबंधन टिकने वाली नहीं है। कांग्रेस के नीतियों के प्रतिलिपि क्षेत्रीय क्षत्रपों को कोई और विकल्प ढूंढना चाहिए।
वर्तमान की दौर में जनता एक ही विकल्प चाहती है और वह है –सशक्त शासक और सशक्त शासन।
दलों ने खूब गाल बजाई है। अब गाल बज्जकरों का कोई स्थान नही है। अब जनता सिर्फ काम और परिणाम चाहती है।
जनता को सभी दलों ने मुँह जला दिया है। इसलिए जनता फूंक – फूंक कर कदम रख रही है।
2014 के चुनाव से महिलाओं की हौसलायें बुलंद हुई है । वे खुलकर धृष्ट राजनीति के विरुद्ध कमान संभाल ली है वे आवारा पतियों और पुरुषो पर किसी तरह काबू पाना चाहती हैं।
श्री लालू प्रसाद यादव और श्री मुलायम सिंह यादव को याद है की उनलोगो ने संसद में महिला आरक्षण विधेयक को सभापति के हाथों से छीन कर टुकड़े -टुकड़े किये थे।
देश और चुनाव की आधी आबादी को हक देने के विरुद्ध इज्जत धूमिल करने का बदला सत्ता से दूर फेंक कर ली जा रही है।
अगर बिहार में शराब चुनावी एजेंडा नहीं होता तो शायद उत्तरप्रदेश की तरह ही बिहार होता क्योंकि विजित और पराजित विधायको की मार्जिन कही – कही 2000 -5000 के बीच है।
अगर अमित शाह हमारे बातों को (ई -पत्र ) तरजीह देते तो रामविलास पासवान और जीतन राम को इतने सींटे नहीं दी जाती और इन दोनों को जितने सींटें दी गई वह राजद के खाते में गई।
टिकट के बाद बयान आया की बड़ी भूल हुई । अरे! भूल उसे कहते है,जिसके बारे में पता ही न हो, अब बिहार अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष को अनजान पत्र -बार- बार भेजी जा रही है तो फिर संपर्क करने का दायित्व भी तो बनता है न !
उत्तरप्रदेश चुनाव –जब मैं हरिद्वार से आ रहा था तो रास्ते में बीजेपी के अरंग -भरंग नारे दिखे।
बस में ही मुझे लगा अगर चुनाव में इसी तरह अरंग -भरंग नारे लगे तो परिणाम बिहार की तरह होना तय है।
मैंने राष्ट्रीय अध्यक्ष को राज्य अध्यक्ष बदलने के लिये ई -पत्र संकेत लिखा।
फिर किसी कारण राज्य अध्यक्ष का बदलाव हुआ।
कुछ दिनों बाद राज्य अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष को जो पत्र लिखा उसे मैंने 10 अप्रैल 2017 को स्पीड पोस्ट से दिल्ली और लखनऊ भेजा है । हालाँकि पाठको के लिए वह अब भी उत्तरप्रदेश के पेज पर है। पढ़ सकते है।
जीत के कई तत्व होते है लेकिन सबसे अहम तत्व है –
नेतृत्वकर्ता की राजनीतिक क्षमता और प्रशासनिक प्रवीणता।
यह दोनों गुण बीजेपी के अन्य सदस्यों में नहीं है —सिवाय –नरेंद्र मोदी। जिनके भूमंडलीय राजनीति सामने है।
भारतीय को यही चाहिए थी जिसके लिए तड़प रहे थे।
राजनीति की दशा और दिशा तय करेंगे क्योंकि हम भारत की भूमि के कण -कण से परिचित है।