कन्या भ्रूण हत्या कानूनन जुर्म:- श्री कौल सिंह ठाकुर

कन्या भ्रूण हत्या कानूनन जुर्म:- श्री कौल सिंह ठाकुर
हिमाचलप्रदेश ———महिलाओं का सामाजिक व आर्थिक उत्थान में अह्म योगदान है।  यह बात स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, राजस्व तथा विधि मंत्री श्री कौल सिंह ठाकुर ने प्रजापति ब्रह्मकुमारी ईष्वरीय विश्वविद्यालय के शिमला स्थित महिला प्रभाग द्वारा  ‘बेटी बचाओ, सशक्त बनाओ’ अभियान के शुभारम्भ पर कही। जन जागृति के इस अभियान का समापन आगामी 6 जून को समापन धर्मशाला में होगा।
श्री कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार ने महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक उत्थान तथा उन्हें स्वाबलम्बी बनाने के उद्देश्य से अनेकों योजनाएं कार्यान्वित की हैं जिनमें ‘बेटी है अनमोल योजना’, ‘मुख्यमंत्री कन्यादान योजना’, मदर टेरेसा असहाय मातृ संबल योजना, माता शबरी महिला सशक्तिकरण योजना इत्यादि।
सरकार ने महिलाओं को राजनीतिक तौर पर सक्षम बनाने के लिये पंचायती राज संस्थानों तथा शहरी निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया है जिसके चलते आज प्रदेश में लगभग 58 प्रतिशत महिलाएं निर्वाचित होकर राजनीति में अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज करवा रही हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि महिलाओं को उनके घर-द्वार के समीप अपनी उच्च शिक्षा को जारी रखने के उद्देश्य से राज्य के दूर-दराज तथा ग्रामीण क्षेत्रों में गत तीन वर्षों के दौरान 30 महाविद्यालय खोले गए हैं तथा अनेकों पाठशालाओं को जमा दो में स्तरोन्नत किया गया है।
प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र में हुई प्रगति पर चर्चा करते हुए श्री ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य मानकों में देशभर में अब्बल है। राज्य सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र  में प्रति व्यक्ति 26000 रुपये प्रति वर्ष खर्च कर रही है। राज्य में 12391 व्यक्तियों पर एक चिकित्सक मौजूद है तथा स्वास्थ्य केन्द्रों की संख्या भी अनुपात दृष्टि से देशभर में श्रेष्ठ है।
उन्होंने कहा कि राज्य में प्रसव पूर्व लिंग जांच रोकथाम अधिनियम (पीएनडीटी) का कड़ाई से पालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या महापाप ही नहीं, बल्कि कानूनन जघन्य अपराध है और अधिनियम में इसके लिये कड़ी सजा का प्रावधान है।
उन्होंने राज्य के कुछ भागों में लिंग अनुपात में कमी पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि कन्याओं के प्रति सोच को बदलना होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के जनजातीय जिले लाहौल-स्पिति में लिंग दर 1000 / 1033 है जो देश व प्रदेश के लिये एक बेहतर उदाहरण है।
माउन्ट आबू से आई अभियान की मुख्य संचारिका ब्रह्माकुमारी डा. सरिता ने कहा कि हमारे देश में सदियों से नारी की पूजा की जाती रही है, लेकिन यह बिडम्बना ही है कि इसके बावजूद भी महिलाओं पर जुर्म की दास्तां में विशेष कमी नहीं आई है।
उन्होंने कहा कि समाज में दहेज प्रथा जैसी कुप्रथाएं एवं सामाजिक मान्यतांए बेटी को पनपने से रोकती हैं। बेटे से वंश चलता है, इस अवधारणा से बाहर निकलने की आवश्यकता है। उन्होंने बेटी की शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि बेटी शिक्षित होने से समाज की चुनौतियों का सामना करने में समर्थ बनती है।

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