- March 23, 2015
आस पर गिरे ओले : किसानों ने गंवाई जान :: ” नेताओं के भरोसे की भभूत” –पुरुषोत्तम पंचोली
हाडौती भर में बे-मौसम बरसात और ओलावृष्टि ने न केवल खेतों पर लहलहाती करोडों रुपयों की फसल को बर्बाद कर दिया है बल्कि इस आपदा ने अब तक बारह किसानों की जान ले ली है, वहीं पक्ष और प्रतिपक्ष के नेताओं ने संवेदना और सहानुभूति को सिरे से नकार कर ”भरोसे की भभूत” बांट रहे है।
बीते पखवाडे अचानक हुई ओलावृष्टि और बिन मौसम की बरसात से हाडौती के कोटा, बूंदी, बारां समेत मुख्यमंत्राी वसुन्धरा राजे के गृह जिले झालावाड में फसलों की जमकर तबाही हुई। भारी बरसात, तेज अंधड और ओलावृष्टि ने किसानों की लहलहाती फसलों को धूल -धूसरित कर दिया। अच्छी फसल के आसार देख जहां किसान ”अच्छे दिनों ” की आस लगाए बैठे थे, इस आपदा ने उनकी आशाआंे को धो डाला।
हाडौती की फसल तबाही की सूचना राज्य मुख्यालय तक तो तत्काल ही पहुंच गई लेकिन प्रदेश को अपना ” परिवार ” मानने वाली संवेदनशील मुख्यमंत्राी वसुन्धरा राजे तब तक चैन की नींद सोती रहीं, जब तक कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रभावित क्षेत्रा केे दौरे की घोषणा न हो गई।
फसलों के नुकसान का जायजा लेने के लिए ज्यों ही सोनिया का दौरा सुनिश्चित हुआ, वसुंधरा ने तुरंत-फुरंत झालावाड पहुंचकर किसानों की सुध लेने का ढकोसला रच डाला। इधर, सोनिया गांधी सहित राज्य के पूर्व मुख्यमंत्राी अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट 20 मार्च को कोटा जिले के दो गांवों का जायजा लेने आए लेकिन राज्य की मुख्यमंत्राी उसके एक दिन पहले ही अपने उडन खटोले से अपने गृह जिले में आ धमकीं। वसुंधरा राजे ने झालावाड जिले के सुनेल क्षेत्रा के गादिया और सेमली कलां गावांे के किसानों को ” भरोसे की भभूत” बांटी। वसुंधरा ने कहा कि किसानों को इस तबाही से गहरा झटका लगा है। पर, राज्य सरकार संकट की इस घडी में उनके साथ है।
आनन-फानन में आयोजित इस दौरे की खबर सुनियोजित तरीके से केन्द्रीय मंत्राी राजनाथ सिंह को और प्रधानमंत्राी नरेन्द्र मोदी को भिजवाई गई तो राजनाथ सिंह ने वसुंधरा की ” किसान चिंता ” के कसीदे काढना शुरू कर दिए। सोनिया गांधी के दौरे की हवा निकालने की गरज से 20 मार्च को ही केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्राी मोहन भाई कुण्डारिया हाडौती में हलधरों का हाल जानने आ खडे हुए।
जिस वक्त सोनिया समेत कांग्रेसी नेताओं का काफिला कोटा जिले के सुल्तानपुर क्षेत्रा में दरबीजी और लाडपुरा के मोरपा गांव में किसानों के सुर में सुर मिला कर राज्य सरकार को कोस रहा था, वहीं केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्राी कुण्डारिया कोटा जिले के कल्याणपुरा और देवपुरा में काश्तकारों को सांत्वना बख्श रहे थे।
कांग्रेस और सत्ताधारी भाजपाई नेताओं के घडियाली आंसुओं की हकीकत तो यह है कि प्राकृतिक आपदा के मौकों पर फसलों के नुकसान की भरपाई करने के लिए सरकारी मुआवजा नियम इतने पुराने और पोचे हैं कि इस मुआवजा राशि से न किसानों को संतोषजनक राहत मिल सकती है, ना ही उन्हें संकट से उबारा जा सकता है।
बहरहाल, सोनिया गांधी ने राज्य सरकार को कटघरे में खडा करते हुए कहा है कि ” राज्य सरकार के पास धन है, साधन हैंः ऐसे वक्त में किसानों को पर्याप्त मुआवजा देना चाहिए। ”
कांग्रेसी नेताओं ने पुराने मुआवजा नियमों को बदलकर आज की जरूरत के मुताबिक नए मुआवजा नियम बनाने की भी मांग की। अलबत्ता कोटा-बूंदी के भाजपा सांसद ओम बिरला ने कहा कि पिछले वक्त जब कांग्रेस की सरकार राज्य और केन्द्र में ” सत्ता सुख ” भोग रही थी, तब कांग्रेस ने मुआवजा नीति में बदलाव क्यों नहीं किया।
ऐसे मौके पर जब कि कुछ फसलें तकरीबन पखवाडे भर बाद ही घर आंगन में सुख की बहार लाने वाली थी, बडे परिमाण में खराब हो गई, और इस मंजर को देख-देख धरतीपुत्रों का कलेजा छलनी हुआ जा रहा है। हाडौती भर में अब तक एक दर्जन से ज्यादा किसानों की मौत हो गई है लकिन नेता इस मसले पर राजनीति की फसल काटने से बाज नहीं आ रहे हैं।
बेहाल किसानों की हालत पर मर्सिया पढने वाले राजनेताओं को किसान कहे भी तो क्या, सिवा यह कहने के कि –
” हमको पता नहीं था, हमें अब पता चला
इस मुल्क में हमारी हुकूमत नहीं रही। ”
दम तोड चुके हैं दर्जन भर किसान
कुपित मौसम की मार और ओलावृष्टि की खातिर हाडौती में दर्जन भर किसान दम तोड चुके हैं। रविवार 22 मार्च को कोटा जिले के सुल्तानपुर क्षेत्रा के रामनगर गांव के हीरालाल बैरागी की मौत हुई है। ओलावृष्टि से 22 बीघा गेहूं और धनिये की बर्बाद हुई फसल से सदमाग्रस्त इस किसान के परिवार में दस सदस्य थे जिनके पालन पोषण का जिम्मा इसी पर था।
अब तक हाडौती में बारह किसानों की मौत हो चुकी है। इनमें से बूंदी जिले में पांच, कोटा में चार और बारां जिले के तीन किसान शामिल हैं।