- April 18, 2016
अयोग्य लोकतंत्र का प्रत्यक्ष प्रमाण
काश ! हमारे देश में भी योग्य व्यक्तियों के हाथ में लोकतंत्र का पतवार होता !! हम भी होते अमेरिका के जैसे , हमारे भी होते वीटो , यूएनओ में बोलती तूती ,दुश्मन के होश ठिकाने लगते और गद्दारों के पैरों से धरती खिसकती।
काश ! लोकतंत्र के संचालक और बनाने वाले राष्ट्रीयता का महत्व समझते , सभी के घर से सुबह में वन्देमातरम का सुरीले राग सुनाई पड़ते। भारत के नाम पर सर झुकता।
लेकिन यह लोकतंत्र उस खेत के बंजर की बजरी है जिससे कोई विकास पुरुष पैदा होने की सम्भावना ही नहीं है। यह लोकतंत्र की देन है की समाज के गर्भ से राष्ट्रद्रोही पैदा हो रहा है। आज की वर्तमान स्थिति अयोग्य लोकतंत्र का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
यह लोकतंत्र शपथ खा चुकी है की अपने गर्भ से कोई राष्ट्र भक्त पैदा नहीं करना है , अगर करना ही है तो दुर्दांत और हवशी जिसके लिए “अभिमान” शब्द किसी शब्दकोष में है ही नहीं।
–शैलेश कुमार