मछली पालकों के लिए 64 हेचरियों और 57 फिश फार्मों में मछली बीज

मछली पालकों के लिए 64 हेचरियों और 57 फिश फार्मों में मछली बीज

छत्तीसगढ़ में मछली पालकों को उपलब्ध कराने के लिए 64 हेचरियों और 57 फिश फार्मों में मछली बीज उत्पादन की कार्रवाई तेजी से चल रही है। राज्य शासन के मछली पालन विभाग द्वारा इस साल 598 करोड़ स्पान उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। स्पान से ही 149 करोड़ स्टैंण्डर्ड फ्राई मछली बीज तैयार किए जाएंगे। इनमें कतला, रोहू और मृगल प्रजाति के मछली बीज शामिल रहेंगे।1538c

मछलीपालन विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि प्रदेश में मछलीपालन विभाग, निजी तथा मछुआ महासंघ की हेचरियों और फिश फार्मो में मछली बीज उत्पादन की प्रक्रिया जून माह की शुरूआत से ही शुरू हो गयी है। अभी तक 116 करोड़ स्पान का उत्पादन किया जा चुका है। स्पान से स्टैण्डर्ड फ्राई बीज तैयार किए जाएंगे। स्पान से स्टैण्डर्ड फ्राई बनाने में 15 से 20 दिन का समय लगता है। इसके बाद स्टैण्डर्ड फ्राई से फिंगर लिंग बीज तैयार करने कार्रवाई शुरू हो जाएगी। इस सत्र में अभी तक तैयार स्पान को स्टैण्डर्ड फ्राई बनाने के लिए नर्सरियों में संवर्धन किया जा रहा है। स्पान से फिंगर लिंग बीज तैयार करने की प्रक्रिया में एक माह का समय लगता है। जुलाई माह से मछली पालकों को स्टैण्डर्ड फ्राई बीज उपलब्ध कराएं जाएंगे।

मछली पालन मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ में मछली पालन की उपलब्धियों के संबंध में बताया है कि राज्य में मछलीपालन, कृषि के सहायक व्यवसाय के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों में काफी सफलता से किया जा रहा है। राज्य में मछली पालन के लिए उपलब्ध 1.635 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र में से 94 प्रतिशत क्षेत्र को मछलीपालन के लिए विकसित कर 2.10 लाख मछुआरों को स्व-रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। श्री अग्रवाल ने बताया कि मछली बीज आपूर्ति के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ विगत पांच वर्षों से आत्म-निर्भर बन गया है। राज्य गठन के समय वर्ष 2000 में जहां 25 करोड़ मत्स्यबीज का उत्पादन हुआ था, वहीं वर्ष 2014-15 में 134.38 करोड़ मत्स्य बीज का उत्पादन हुआ।

श्री अग्रवाल ने बताया कि भारत में अंतर्देशीय मछली उत्पादन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ छठवां बड़ा राज्य है। वर्ष 2014-15 में विभिन्न प्रजातियों की 2.849 लाख मीटरिक मछली का उत्पादन हुआ। राज्य के प्रगतिशील मछली पालक किसानों द्वारा 8000  किलोग्राम से 12000 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक प्रमुख सफर मछली (कतला, रोहू, मृगल) एवं 70 टन तक प्रति हेक्टेयर पंगेसियस प्रजाति की मछलियों का उत्पादन किया जा रहा है।  उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में केज कल्चर सिस्टम से मछली पालन की विशेष योजना शुरू की गयी है। जलाशयों में केज कल्चर से मछली पालन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है। वर्तमान में सरोदा सागर, क्षीर पानी, घांघा जलाशय, झुमका जलाशय तथा तौरेंगा जलाशय में केज कल्चर से मछली पालन किया जा रहा है।

Related post

सुप्रीम कोर्ट में कल फिर गूंजा : बड़ौदा डाइनामाइट केस !

सुप्रीम कोर्ट में कल फिर गूंजा : बड़ौदा डाइनामाइट केस !

के 0 बिक्रम राव ——-  सुप्रीम कोर्ट में कल (8 मई 2024) न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने…
तीसरे चरण : 11 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में  – रात 8 बजे तक 61.45% मतदान

तीसरे चरण : 11 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में – रात 8 बजे तक 61.45% मतदान

आम चुनाव के तीसरे चरण में 11 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में शांतिपूर्ण मतदान मतदान प्रतिशत – रात…
विश्व अस्थमा दिवस 07 मई : : अस्थमा की रोकथाम के लिए बचाव और सतर्कता है जरूरी : विनिता झा

विश्व अस्थमा दिवस 07 मई : : अस्थमा की रोकथाम के लिए बचाव और सतर्कता है जरूरी…

आकांक्षा प्रिया———   निया भर के लोगों में अस्थमा सांस से जुड़ी हुई एक गंभीर समस्या बनी…

Leave a Reply