• February 27, 2018

कडी 2–मनोहर सरकार के चार वर्ष — *** सिंचाई *** *** बागवानी*** ०० तक ००

कडी 2–मनोहर सरकार के चार वर्ष — *** सिंचाई ***  *** बागवानी*** ०० तक ००

****** सिंचाई *****

हर खेत को पानी’ उपलब्ध करवाने के लिए विभिन्न पम्पों और जेएलएन नहर प्रणाली की क्षमता बढ़ाने की एक परियोजना 143 करोड़ रुपये की लागत से स्वीकृत की जा चुकी है।

अगस्त, 2017 तक 75 करोड़ रूपये की लागत से लगभग 60 प्रतिशत कार्य पूरे हो चुके है तथा शेष कार्य मार्च, 2018 तक चरणबद्ध तरीके से पूर्ण कर लिये जाएंगे।

जवाहर लाल नेहरू फीडर में अब पानी की उपलब्धता 1800 क्यूसिक से बढ़ाकर 2500 क्यूसिक किया गया।

निर्मित सिंचाई क्षमता और उपयोग में लाई जा रही सिंचाई क्षमता के अंतर को कम करने के लिए 300 करोड़ रुपये की लागत से 564 जलमार्गों के पुर्नवास के लिए एक परियोजना को नाबार्ड ने स्वीकृृत किया है।अगस्त, 2017 तक 75 करोड़ रूपये की लागत से 110 जलमार्गो का कार्य पूर्ण किया जा चुका है तथा 140 जलमार्गो का कार्य प्रगति पर है।

77 जलमार्गो का कार्य शीघ्र ही शुरू कर दिया जाएगा। शेष जलमार्गो का कार्य मार्च, 2019 तक पूर्ण कर लिया जाएगा।

टेल तक पानी पहुंचाने के लिए नहरों की मरम्मत और सफाई पर 225 करोड़ रुपये खर्च किये गए जिसमें मुख्यतः पेटवाड़ शाखा, हिसार मेजर शाखा, पहाड़पुर माईनर, खनौरी माईनर, जखौली शाखा तथा टोहाना शाखाका कार्य पूरा हो गया है।

पृथला शाखा का 98 प्रतिश्सत कार्य पूरा कर लिया गया है जिस पर करीब 10 करोड़ रूपये खर्च हो चुके है। वर्ष 2017-18 में करीब 20 चैनलों के पुनः निर्माण का कार्य करीब 79.53 करोड़ रूपये की लागत से प्रगति पर है।

वर्तमान सरकार के कार्यकाल में बाढ़ नियंत्रण व जल निकासी की451.56 करोड़ रुपये लागत की 327 नई स्कीमें स्वीकृत की गई।

बाढ़ के पानी से सिंचाई और भू-जल संरक्षण के लिए 6.41 करोड़ रुपये की लागत से 390 इंजेक्शन कुएं लगाने का कार्य प्रगति पर।

मेवात क्षेत्र में भू-जल सरंक्षण, पीने के पानी व सिंचाई के लिए कोटला झील का लगभग 81 करोड़ रुपये की लागत से पूर्णोद्धार एवं विकास किया जा रहा है। यह कार्य दिसम्बर, 2017 तक पूर्ण हो जाएगा। इससे पीने के पानी के अतिरिक्त लगभग 27,000 एकड़ भूमि के लिए सिंचाई का पानी उपलब्ध होगा।
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मानसून ऋतु में यमुना नदी में उपलब्ध अतिरिक्त पानी को राज्य में उपयोग करने के लिए दक्षिणी यमुना नहर प्रणाली की क्षमता को बढ़ाने के लिए लगभग 2000 करोड़ रुपये की लागत की एक परियोजना तैयार की गई, जिससे राज्य में मानसून ऋतु में लगभग 3000 से 3500 क्यूसिक अतिरिक्त पानी उपलब्ध होगा।

राज्य में 25.87 करोड़ रूपये की लागत की सूक्ष्म सिंचाई पायलट परियोजना के अंतर्गत किसानों को नहरी पानी प्रैशर के रूप में प्रदान करके आगामी फव्वारा एवं टपका सिंचाई हेतु प्रयोग में लाने के लिए एक परियोजना की शुरूआत दिनांक 30.9.2016 से की गई, जिसका कार्य प्रगति पर है।

इस परियोजना के क्रियान्वित होने पर 13 जिलों के 15 गांवों के किसानों को लाभ मिलेगा व जल उपयोग दक्षता 80 प्रतिशत तक बढ़ जायेगी तथा 40 प्रतिशत तक जल की बचत की जा सकेगी।

इस परियोजना के लागू होने पर लवणीय व बलूई भूमियों को भी सफलतापूर्वक खेती के कार्य में लाया जा सकेगा व उर्जा की भी बचत होगी। इस परियोजना का दिसम्बर, 2017 तकक्रियान्वित होने की सम्भावना है।

डब्लयू.जे.सी कैरियर नहर में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए पांच पुराने टूटे हुए पुलों को 30 करोड़ रूपये की लागत से पुनः बनाया गया है।

हसनपुर एवं दनचैली माइनरों में 39 वर्ष बाद पहली बार पानी पहुंचाने में सफलता हासिल की तथा मैसानी बैराज को पहली बार नहरी पानी से भरा गया।

माधोगढ़ व सुरहेति माईनरों (नारनौल-रेवाड़ी क्षेत्र) में 39 वर्ष बाद पहुंचा पानी।

निंबेहड़ा माईनर (लौहारू क्षेत्र)में 30 वर्ष बाद पहुंचा पानी।

दिवाना माईनर (नारनौल-रेवाड़ी क्षेत्र) में 24 वर्ष बाद पहुंचा पानी।

प्रदेश की सबसे लम्बी नहर सोरा माईनर (लौहारू क्षेत्र) में 20 वर्ष बाद पहुंचा पानी।

लाडावास, दमकोरा व डागरोली माईनरों (लौहारू क्षेत्र) में 20 वर्ष बाद पहुंचा पानी।

सिरसा के नाईवाला खरीफ चैनल का निर्माण लगभग 60 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है।

अगस्त, 2017 तक 38.70 करोड़ रूपये की लागत से लगभग 76 प्रतिशत कार्य पूर्ण किया जा चुका है।

कुरूक्षेत्र में ब्रम्हसरोवर को ताजा पानी उपलब्ध करवाने के लिए 16 करोड़ रुपये की लागत की एक योजना शुरू की गई है।

यमुना नदी से निकलने वाली प्रदेश की नहरों में जल की उपलब्धता 20 प्रतिशत तक बढ़ाई गई। 

***** बागवानी*****

करनाल के गांव अंजनथली में महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय स्थापित किया जा रहा है, जिसकी आधारशिला 6 अप्रैल, 2016 को रखी गई। चालू सत्र में एम.एस.सी. व पी.एच.डी. की कक्षाएं शुरू की जा रही हैं।

आगामी 15 वर्षो में बागवानी के क्षेत्र को दोगुणा व उत्पादन को तीन गुणा करने के लिए वर्ष 2030 तक का बागवानी विजन तैयार किया गया है।

इस विजन के अनुसार बागवानी के अंतर्गत कुल खेती क्षेत्र का 7.50 प्रतिशत के स्थान पर 15 प्रतिशत हो जाएगा।

फसल विविधिकरण को बढ़ावा देने के लिए औषधीय पौधों, फलों, सब्जियों व फूलों की खेती करने के लिए किसानों को भिन्न-भिन्न स्कीमों के अंतर्गत अनुदान राशि देकर प्रोत्साहित किया जा रहा है।
प्रदेश के प्रत्येक जिले में बागवानी उत्कृष्टता केंद्र खोले जा रहे हैं।

दो केन्द्र होडल, जिला पलवल एवं सुन्द्रह, जिला नारनौल पर कार्य प्रगति पर है तथा सौन्धी, जिला झज्जर में फूल उत्कृष्टता केंद्र विचाराधीन है।

शामगढ़ जिला करनाल में 4.25 करोड़ रुपए की लागत से उद्यान बायो तकनीकी केन्द्र तथा लाडवा जिला कुरूक्षेत्र में 9.10 करोड़ रुपए की लागत से बनाए गए उपोषण फल केन्द्र का 6 अप्रैल, 2016 को उद्घाटन किया गया।

बागवानी से सम्बन्धित उत्पादों के लिए ‘हरियाणा फ्रैश’ नामक ब्रांड शुरू किया।

वर्तमान सरकार के कार्यकाल में एकीकृत उद्यान विकास मिशन के अन्तर्गत बागवानी फसलों एवं गतिविधियों पर अब तक 258 करोड़ रुपए खर्च किए गए।

वर्तमान सरकार के कार्यकाल में सूक्ष्म सिंचाई योजना में अब तक 6114 हैक्टेयर क्षेत्र सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के अधीन लाया जा चुका है तथा 595 जल संसाधन तालाबों का निर्माण किया गया।

अधिक शोषित एवं महत्वपूर्ण क्षेत्र के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई गई है जिसके तहत सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली की स्थापना पर किसानों कोे 85 प्रतिशत अनुदान राशि दी जाएगी।

बागवानी क्षेत्र में प्राप्त उपलब्धियों के लिए 9 सितम्बर, 2016 को प्रदेश को “Best Horticulture State Award” किया गया।

प्रदेश में 140 फसल कलस्टरों एवं 340 बागवानी ग्राम घोषित किए गए है तथा इन गांवों के लिए फसल कलस्टर विकास कार्यक्रम तैयार किया गया है तथा 510 करोड़ रूपये की लागत से 140 फल एवं सब्जी संग्रह एवं पैक हाउस स्थापित किए जा रहे हैं।

संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए 393.29 हैक्टेयर क्षेत्र में पॉलीहाउस, नेट हाउस व वॉक इन टनल इत्यादि लगवाए गए।

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