• September 4, 2017

बहुमत का यह मतलब नहीं है जो मन में आये वही कर दें

बहुमत का यह मतलब नहीं है जो मन में आये वही कर दें

(अशोक कुमार धनबाद , झारखंड ,से नवसंचार फेसबूक पर वार्तालाप )

जनता में भ्रम है की जब मोदी सरकार को पूर्ण बहुमत है तो आमूलचूल परिवर्तन करने में देरी क्यों?

जनता में अब तक भ्रम है कि मोदी सरकार हर स्तर से असफल रही है और जन उपयोगी कोई काम नही कर रहे.

जनता की नजरों में मोदी सरकार अक्षम सरकार है —–

शनिवार 2 सितम्बर 2017 , मैंने मोदी सरकार के तीन वर्ष में–तीन अहम् फैसला –वेब किया था –
————- नोटबंदी ——-जीएसटी———–तीन तलाक ———–
—-चौथा –अनुच्छेद -35 – A कोर्ट में लंबित , दिसंबर तक फैसला———- फारुख अबद्दुला और अन्य देश द्रोहीयों कि अकाल मौत————-
————देश के प्रधानमन्त्री बनाने वाले काठ के उल्लूओं ने क्यों नहीं ली ये अहम फैसला ——शैलेश कुमार

उक्त विंदूओं पर धनबाद (झारखंड) के अशोक कुमार से जो बातें हुई उसे संपादकीय पेज पर वेब कर रहा हूं.

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अशोक कुमार—— नोटबंदी की पोल खुल चुकी है। GST से आम जनता पीड़ित है और तीन तलाक पर फैसला मोदी जी ने नहीं सुप्रीम कोर्ट ने लिया है।

शैलेश कुमार—याद होगा –शाहबानो प्रकरण में -सुप्रीम कोर्ट के फैसला को राजीव गांधी जी ने रातों -रात बदल दिया था। कोर्ट तो उस समय भी था।

सरकार तो अटल बिहारी बाजपेयी जी की थी ,सरकार देवगौड़ा की भी थी, सरकार तो कांग्रेस की जन्मजात ही रही। सरकार राष्ट्र निर्माण और साहसिक कदम उठाने के लिए जाना जाता है। सरकार धर्मनिरपेक्षता जैसे विसंगतियों के लिए नहीं जानी जाती है।

अशोक कुमार ———- सरकार आपकी है तो धर्मनिरपेक्षता जैसे विसंगति पैदा करने वाले शब्द संविधान से क्यों नहीं हटा देते ? इतना ही साहस है तो हिन्दू राष्ट्र घोषित कर दें।

शैलेश कुमार —- संविधान बनने के बाद , किसी सरकार ने सही समीक्षा नहीं की,राष्ट्र निर्माण में कौन से धाराओं से क्या बुरा परिणाम होगा , समीक्षा और बदलाव होना चाहिए था। आज राष्ट्रीय एकता अखंडता और बंधुत्व स्थापन में जो समस्याएं आ रही है उसका मूल कारण है संविधान,दिशाहीन राजनीतिक पार्टी और अयोग्य प्रधानमंत्री।

अशोक कुमार —बहुमत की सरकार है तो फिर समस्याएं कैसी ?

शैलेश कुमार —- बहुमत से ही नहीं मतलब है ,बहुमत का यह मतलब नहीं है जो मन में आये वही कर दें। समस्या हल करने के लिए कठोर कदम उठना ही बहुमत का अर्थ है जो सामान्यजन को स्वीकार हो।

आज अगर वे यह कदम उठाये होते तो शायद भारत का स्वरुप कुछ अलग होता। चूंकि कांग्रेस मुस्लिम परस्त है और था , इसलिए सारी विसंगतियों को जस -तस छोड़ , मलाई चाटती रही।

यह समस्या आज नासूर बन चुका है और बंगाल दूसरा खतरनाक राज्य बन गया है।

अशोक कुमार —-इसका मतलब धर्मनिरपेक्षता को समाप्त करना मनमानापन होगा जो सामान्य जन को स्वीकार नहीं।

शैलेश कुमार —– आप खुद जानते है , क्या होना चाहिए ,क्या नहीं होना चाहिए। अगर धर्मनिरपेक्ष व्याख्याओं में विसंगतियां है तो विसंगतियाँ ख़त्म होना चाहिए। विसंगतियाँ क्या है

क्षेत्र (समाज ) से आये हुए परिणाम के आधार पर चिन्हित करना और समाप्त करना सरकार का काम है।

धर्मनिरपेक्ष से सीधा सम्बन्ध –मुस्लिम से हो रहा है और ऐसा सिर्फ कांग्रेसियों और क्षेत्रीय दल माया ममता , मुलायम लालू प्रसाद यादव आग में घी डालने का काम किया है –इससे आप भी परिचित है

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प्रचंड बहुमत किस आधार पर है? क्योंकि जहां सिर्फ एक सदन है वहां तो प्रचंडता ठीक है लेकिन जहां दो सदन है और उच्च सद्न को समीक्षिय अधिकार दिया गया हो तो वहां बहुमत पर अंकुश लग जाता है.

अगर दोनो सदन में बहुमत हो तथा राष्ट्रपति को अंतिम अधिकार प्राप्त हो तो वहां भी बहुमत पर अंकुश लग जाता है.

बहुमत से अध्यादेश पारित कर न्यायालय को संक्रमित किया जा सकता है (यहां न्यायालय का अधिकार सीमित हो जाता है) लेकिन अध्यादेश लागू होने के लिये राष्ट्रपति अंतिम होता है.

सरसरी नजरों में हमारे देश में राष्ट्रपति नियम भंग करने और लागू करने के लिये अंतिम व्यक्ति हैं.

जहां तक मोदी सरकार की बहुमत की बातें आती है तो राज्य सभा में बहुमत संक्रमित है.

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