• February 25, 2025

IPCC की बैठक शुरू, लेकिन अमेरिका नदारद—वैश्विक जलवायु सहयोग पर उठे सवाल

IPCC की बैठक शुरू, लेकिन अमेरिका नदारद—वैश्विक जलवायु सहयोग पर उठे सवाल

लखनऊ (निशांत सक्सेना )  हांगझोउ, चीन में इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) का 62वां पूर्ण सत्र शुरू हो चुका है, जिसमें जलवायु परिवर्तन पर सातवीं आकलन रिपोर्ट (AR7) और कार्बन डाइऑक्साइड रिमूवल टेक्नोलॉजीज पर रिपोर्ट तैयार करने का खाका तय किया जाएगा। इस बैठक में 195 सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल हैं, लेकिन अमेरिका की गैरमौजूदगी ने वैश्विक जलवायु सहयोग पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।

अमेरिका की अनुपस्थिति पर बढ़ी चिंता

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट के अधिकारी इस सप्ताह की बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं। जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि यह निर्णय वैश्विक जलवायु सहयोग के लिए एक झटका है, क्योंकि IPCC की रिपोर्टें देशों की जलवायु नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

भारतीय मौसम विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक और IPCC AR5 व AR6 के प्रमुख लेखक रॉक्सी मैथ्यू कोल ने कहा, “दुनियाभर में जलवायु संकट गहराता जा रहा है, लेकिन कई देशों में राजनीतिक बदलावों के कारण जलवायु कार्रवाई धीमी हो रही है। अमेरिका का इस बैठक से दूरी बनाना वैश्विक सहयोग को कमजोर करता है।”

इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के प्रोफेसर अंजल प्रकाश ने चिंता जताते हुए कहा, “इस दौर में वैज्ञानिक सहयोग से पीछे हटना सही कदम नहीं है। जलवायु परिवर्तन की चुनौती का समाधान सीमाओं से परे जाकर ही संभव है।”

IPCC AR6 की समन्वयक लेखिका डॉ. अदिति मुखर्जी ने भी अमेरिका की अनुपस्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, “जब वैज्ञानिक राजनीतिक कारणों से इन बैठकों में शामिल नहीं हो पाते, तो इसका नुकसान हम सभी को उठाना पड़ता है।”

IPCC बैठक में अहम फैसले

इस सप्ताह होने वाली बैठक में न केवल नई रिपोर्टों का प्रारूप तय किया जाएगा, बल्कि उनके बजट और समय-सीमा पर भी चर्चा होगी। इसके अलावा, 2029 तक तैयार होने वाली सातवीं आकलन रिपोर्ट (AR7) के अंतिम संश्लेषण रिपोर्ट पर भी विचार किया जाएगा।

हालांकि, अमेरिका की गैरमौजूदगी के बावजूद IPCC के वैज्ञानिक इस बैठक को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। केन्या की जलवायु वैज्ञानिक डॉ. जॉयस किमुताई ने कहा, “अमेरिकी वैज्ञानिक अब भी व्यक्तिगत रूप से इस प्रक्रिया में योगदान दे सकते हैं। अन्य देशों को आगे बढ़कर नेतृत्व संभालना होगा ताकि IPCC का काम सुचारू रूप से चलता रहे।”

बैठक के उद्घाटन समारोह में चीन के जलवायु दूत लियू झेनमिन और मौसम विज्ञान प्रशासन के प्रमुख चेन झेनलिन ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की प्रमुख इंगर एंडरसन और UNFCCC के कार्यकारी सचिव साइमन स्टील ने भी वीडियो संदेश के जरिए बैठक के महत्व पर जोर दिया।

वैश्विक नेतृत्व की जरूरत

IPCC की बैठक ऐसे समय हो रही है जब जलवायु परिवर्तन से जुड़े वैश्विक लक्ष्य अधर में लटके हुए हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस मोड़ पर अमेरिका का कदम जलवायु कार्रवाई को धीमा कर सकता है, लेकिन यह अन्य देशों के लिए नेतृत्व की जिम्मेदारी भी बढ़ाता है।

मलेशिया की जलवायु विशेषज्ञ प्रो. तान स्री डॉ. जेमीला महमूद ने कहा, “जलवायु संकट सिर्फ पर्यावरणीय नहीं, बल्कि स्वास्थ्य आपातकाल भी है। इस मुद्दे को राजनीति से अलग रखकर हमें विज्ञान को प्राथमिकता देनी होगी।”

अब सवाल यह है कि क्या अन्य देश इस खाली जगह को भरकर जलवायु सहयोग को आगे बढ़ा पाएंगे? या फिर अमेरिका की अनुपस्थिति एक बड़ी रुकावट साबित होगी?


 
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