G20 देशों में जनजीवन से जुड़े कार्बन फुटप्रिंट हैं बहुत अधिक

G20 देशों में जनजीवन से जुड़े कार्बन फुटप्रिंट हैं बहुत अधिक

लखनऊ (निशांत कुमार )—- हॉट ऒर कूल इंस्टीट्यूट द्वारा किये गये एक नए शोध में पाया गया है कि G20 समूह में विश्लेषण किए गए सभी देशों ने 2050 के लिए जनजीवन से जुड़े कार्बन पदचिह्न को पार कर लिया है और इसमें तेज़ी से और आमूल-चूल कटौती की ज़रूरत है। सिर्फ व्यक्तिगत व्यवहार परिवर्तनों पर ध्यान केंद्रित करना इन कटौती को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे, इसलिए रिपोर्ट उन नीतियों की छान-बीन करती है जो सरकारें हरित जीवनशैली का मार्ग प्रशस्त करने के लिए लागू कर सकती हैं।

संस्थान की 1.5-डिग्री लाइफस्टाइल्स रिपोर्ट का नवीनतम संस्करण दुनिया भर के नौ G20 देशों—कनाडा, यूके, जापान, चीन, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, भारत और इंडोनेशिया के साथ-साथ फिनलैंड—से जीवनशैली कार्बन पदचिह्नों का विश्लेषण करता है और यह पहचान करता है कि पेरिस समझौते के 1.5℃ जलवायु लक्ष्य को पूरा करने के लिए कहां-कहां परिवर्तन किये जा सकते हैं।

छह क्षेत्रों में—भोजन, आवास, व्यक्तिगत परिवहन, सामान, अवकाश और सेवाएं—जीवनशैली की आदतों का विश्लेषण करके यह रिपोर्ट प्रत्येक देश के लिए वर्तमान प्रति व्यक्ति जीवनशैली कार्बन पदचिह्न प्रस्तुत करती है, और 1.5 ℃ दुनिया के अनुरूप जीवनशैली के पदचिह्नों को कम करने के विकल्प प्रदान करती है।

2050 के महत्वाकांक्षी पेरिस लक्ष्य को पूरा करने के लिए, उच्च आय वाले देशों के जीवनशैली के पदचिह्नों को 90% से अधिक (91-95%) कम करने की ज़रूरत है, उच्च-मध्यम आय वाले देशों को अपने पदचिह्नों को 68-86% तक कम करने की ज़रूरत है, और भारत जैसे निम्न -मध्यम आय वाले देशों को अपने पदचिन्हों को 76% तक कम करने की ज़रूरत है।

अध्ययन में दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच जीवनशैली से संबंधित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भारी असमानताओं और अंतरों पर भी प्रकाश डाला गया है। इंडोनेशिया में एक व्यक्ति की तुलना में कनाडा में, जो अध्ययन की गई अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वाला देश है, एक आम व्यक्ति का जीवनशैली पदचिह्न छह गुना ज़्यादा बड़ा है।

व्यक्तिगत व्यवहार परिवर्तन से परे जाकर, रिपोर्ट यह देखती है कि कैसे सक्षम बनाने में समर्थकारी नीतियों की कमी लोगों को 1.5-संरेखित जीवनशैली विकल्प बनाने से रोक सकती है। देश अपने सार्वजनिक परिवहन और आवास के बुनियादी ढांचे में कैसे बदलाव कर सकते हैं, इसके लिए विशिष्ट सलाहें देने से लेकर मेगा यॉट (क्रूज/समुद्र-पर्यटन के लिए सुसज्जित संचालित नाव) के उपयोग जैसे उच्च कार्बन गहन उपभोक्तावाद पर प्रतिबंध लगाने के लिए, यह रिपोर्ट उन नीतियों और बाज़ार हस्तक्षेपों की रूपरेखा तैयार करती है जिन्हें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीवनशैली कार्बन पदचिह्नों पर अंकुश लगाने के लिए लागू किया जा सकता है।

रिपोर्ट के प्रमुख लेखक डॉ. लुईस एकेंजी कहते हैं, “जीवनशैली में बदलाव के बारे में बात करना नीति निर्माताओं के लिए एक भभकता मुद्दा है जो मतदाताओं की खपत या जीवनशैली को खतरे में डालने से डरते हैं। यह रिपोर्ट विज्ञान आधारित दृष्टिकोण पेश करती है और दिखाती है कि जीवनशैली को संबोधित किए बिना हम जलवायु परिवर्तन से निपटने में सक्षम नहीं होंगे।”

क्लब ऑफ रोम की सह-अध्यक्ष सैंड्रीन डिक्सन-डेक्लेव कहतीं हैं, “इस रिपोर्ट में ऐड्वकेट किये गए समाधान स्वीकार करते हैं कि हमारी विकास समर्थक राजनीति, वित्तीय और आर्थिक मॉडलों से अधिक समग्रता कल्याण अर्थव्यवस्था की ओर पूर्ण बदलाव के बिना व्यवहार परिवर्तन केवल इतना कुछ ही कर सकता है। यह रिपोर्ट समाज और जलवायु परिवर्तन के चौराहे पर काम करने वाले नीति निर्माताओं के लिए एक आवश्यक साथी है।”

जापान स्थित थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल एनवायर्नमेंटल स्ट्रैटेजीज (IGES) के अध्यक्ष डॉ. काज़ुहिको टेकुची कहते हैं, “यह रिपोर्ट इस बात के महत्व पर प्रकाश डालती है कि जापान जैसे देशों, जिन्होंने नेट-ज़ीरो प्रतिबद्धताएँ की हैं, को यह दिखाने की आवश्यकता क्यों है कि जीवनशैली में परिवर्तन कैसे इस लक्ष्य में योगदान दे सकते हैं, और यह भी कि लक्ष्य भविष्य में समाज को कैसे आकार देगा। जीवन शैली में बदलाव लाने के लिए, हितधारकों, नागरिकों, और व्यापार और सार्वजनिक क्षेत्रों के बीच आगे सहयोग, नेट-ज़ीरो प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है।”

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