विकास की दौड़ में पीछे छूटते दिव्यांग

शगुन कुमारी (पटना)—-आज के समय में छोटी से छोटी गलियां, मोहल्ले, गांव और शहर विकसित हो रहे हैं. इसके लिए
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स्लम बस्तियों में पानी की गंभीर समस्या

सुनील सैनी(जयपुर)—पूरे राजस्थान में मानसून लगभग सक्रिय हो चुका है. अब तक 190 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है. हालांकि यह
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बुनियादी सुविधाओं से पीछे क्यों रह जाती हैं स्लम बस्तियां?

बंदना कुमारी (पटना)——“आज भी हमलोग को यहां पीने का पानी भरने के लिए सुबह सुबह नल पर लाइन लगाना पड़ता
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कृषि के प्रति नई पीढ़ी का रुझान क्यों घटने लगा है ?

गीता देवी (गया)–आशा के अनुरूप इस बार के केंद्रीय बजट 2024-25 में भी कृषि और किसानों का विशेष ध्यान रखते
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वायनाड त्रासदी: जलवायु परिवर्तन की नज़र से

लखनउ (निशांत सक्सेना) केरल के वायनाड ज़िले में, ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, डेढ़ सौ से ज़्यादा भरी बारिश के कारण
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स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

ईशा कुमारी (पटना)——-देश को स्वच्छ बनाने के लिए पिछले कुछ वर्षों से केंद्र के स्तर पर लगातार प्रयास किये जाते
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ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की चुनौती

कमल नवाल (उदयपुर)——–मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2024-25 का बजट प्रस्तुत किया, जिसमें सभी सेक्टरों के
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2024 का केंद्रीय बजट: ऊर्जा और पर्यावरण पर ध्यान

लखनउ (निशांत सक्सेना) क्लाइमेट चेंज की चुनौती से निपटने और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने के लिए मजबूत प्रतिबद्धता का
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शहरी गरीबी क्षेत्र में भी रोजगार जरूरी है

सुनीता बैरवा (जयपुर)——-पिछले हफ्ते राजस्थान सरकार ने 2024-25 का अपना बजट पेश किया. हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव
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खारे पानी की समस्या से जूझते ग्रामीण इलाके

शारदा लुहार (बीकानेर)——देश के अन्य राज्यों की तरह राजस्थान में भी मानसून प्रवेश कर चुका है. राज्य के कई ज़िलों
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