- November 15, 2014
AFSPA यानी सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून – पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम
नई दिल्ली। पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम का कहना है कि AFSPA कानून आपत्तिजनक है और एक सभ्य देश में इसकी जगह नहीं है। उधर धारा 370 पर बीजेपी नेताओं को उनकी ही उम्मीदवार हिना बट ने मुश्किल में डाल दिया है। हिना ने कहा दिया कि अनुच्छेद 370 को हटाया ही नहीं जा सकता। इससे घाटी के लोग बंदूक उठा लेंगे। हालांकि बाद में वो बयान से पलटती नजर आईं।
‘एक आधुनिक और सभ्य देश मे AFSPA जैसे आपत्तिजनक कानून की कोई जगह नहीं है। इसका सिद्धांत है न आरोपी पक्ष को बचाव का मौका देना और न किसी की इजाजत लेना। हकीकत में, ये सशस्त्र सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल को बगैर किसी दंड के डर से कार्रवाई की इजाजत देता है’। पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री चिदंबरम के इस बयान के बाद विवाद शुरू हो गया है।
AFSPA यानी सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून। ये वही कानून है जिसके खिलाफ करीब 14 साल से इरोम शर्मिला संघर्ष कर रही हैं। इस कानून का कश्मीर से लेकर असम तक खूब इस्तेमाल जारी है। देश के अलग-अलग हिस्सों में नक्सलियों पर लगाम लगाने में भी इसका भरपूर इस्तेमाल हो रहा है।
चिदंबरम ने कहा कि AFSPA आर्मी को असीमित ताकत नहीं देता। जब गलती होती है आर्मी तुरंत एक्शन लेती है और न्याय करती है जैसा कि माछिल के केस में हुआ।
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल राज कादयान ने कहा कि चिदंबरम साहब एक आधुनिक और सभ्य देश में AFSPA को गैरजरूरी बताते हैं लेकिन एक आधुनिक और सभ्य देश में तो सेना की भी जरूरत नहीं होती।
जम्मू-कश्मीर में बीजेपी का चेहरा बन चुकीं डॉ. हिना बट ने बयानों का तोप धारा 370 पर दाग दिया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग बेवजह धारा 370 को लेकर विवाद खड़ा करने पर तुले हैं। हमारी पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र में इसे हटाने का जिक्र कभी नहीं हुआ। धारा 370 जम्मू-कश्मीर की पहचान के लिए जरूरी है और इसका भंग होना हमारी पहचान मिटाना है, जो हमें मंजूर नहीं है।