- November 5, 2015
एस्सार चपेट में स्टैंडर्ड चार्टर्ड, आईसीआईसीआई बैंक और ऐक्सिस बैंक
कर्ज के भारी बोझ से दबी कुछ कंपनियों की खस्ता वित्तीय हालत ने एक वैश्विक बैंकों की सेहत पर भी बुरा असर दिखाना शुरू कर दिया है। इन बैंकों ने मुश्किलों से जूझ रही ऐसी कंपनियों को भारी पैमाने पर कर्ज दे रखा है। यहां बात हो रही है एस्सार समूह की, जिस पर स्टैंडर्ड चार्टर्ड (स्टैनचार्ट) जैसे वैश्विक बैंक के साथ ही आईसीआईसीआई बैंक और ऐक्सिस बैंक जैसे कुछ निजी बैंकों का काफी कर्ज फंसा हुआ है। इन बैंकों ने समूह पर दबाव बनाते हुए कहा है कि वे उसको दिए कर्ज के कुछ हिस्से की बिक्री कर सकते हैं। हालांकि एस्सार ने इस बात से इनकार किया है कि बैंकों ने ऐसा कुछ कहा है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड, आईसीआईसीआई बैंक और ऐक्सिस बैंक ने एस्सार ग्लोबल को तकरीबन 3.5 अरब डॉलर का कर्ज दिया हुआ है।
समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग की खबर के अनुसार इन बैंकों ने एस्सार ग्लोबल को दिए गए कर्ज के कुछ हिस्से की बिक्री के लिए रूस के वीटीबी समूह से संपर्क किया है। अनुमान के तौर पर वित्तीय मुश्किल में फंसी भारतीय कंपनियों को स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने तकरीबन 20 अरब डॉलर का कर्ज दिया हुआ है। अपुष्टï सूत्रों के अनुसार इस ब्रिटिश बैंक ने एस्सार की लंदन स्थित होल्डिंग कंपनी एस्सार ग्लोबल से कहा है कि वह बैंक के कर्ज का भुगतान करे क्योंकि बैंक जोखिम भरे उभरते बाजारों में अपने कर्ज के दायरे को कम करने की योजना पर काम कर रहा है। एस्सार ने बैंकों की ऐसी किसी भी कवायद से इनकार किया है।
ई-मेल के जरिये भेजे गए सवालों के जवाब में एस्सार के प्रवक्ता ने कहा, ‘समूह का कारोबारी दर्शन यही रहा है कि नई परियोजनाओं में निवेश कर उन्हें उचित समय पर आकर्षक मूल्य के स्तर पर भुनाया जाए, जैसा कि दूरसंचार क्षेत्र में हमने वोडाफोन में अपने निवेश की बिक्री के रूप में किया। इसी रणनीति के तहत एस्सार ने एस्सार ऑयल में अपनी हिस्सेदारी को भुनाने के लिए रॉसनेफ्ट के साथ गैर बाध्यकारी शर्तों के साथ करार किया है और जब भी हमें आकर्षक निवेशक मिलेंगे तो हम इसी तरह अन्य परिसंपत्तियों के लिए भी ऐसे ही करार करेंगे। जब इन सौदों से नकदी प्रवाह शुरू हो जाएगा तो उसका उपयोग एस्सार ग्लोबल का कर्ज चुकाने में किया जाएगा।’
नाम न छापने की शर्त पर एक सूत्र ने बताया कि समूह एस्सार ऑयल में अपनी 49 फीसदी हिस्सेदारी तेल क्षेत्र की रूस की दिग्गज कंपनी रॉसनेफ्ट को 2.8 अरब डॉलर में बेचने पर विचार कर रहा है। पूरी तरह नकदी में होने वाले इस सौदे के जरिये उसका मकसद होल्डिंग कंपनी पर कर्ज के बोझ को कम करना है। इसके अलावा समूह की स्टील कंपनी भी 11,200 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियां बेचने की प्रक्रिया में जुटी है ताकि वह 30,000 करोड़ रुपये के अपने कर्ज को कम कर सके।