• October 29, 2015

सूखी पहाड़ियों ने पायी हरियाली की डगर – डॉ. दीपक आचार्य, उप निदेशक

सूखी पहाड़ियों ने पायी हरियाली की डगर  – डॉ. दीपक आचार्य,  उप निदेशक

उदयपुर – नैसर्गिक सौन्दर्य से भरा-पूरा मेवाड़ अंचल अपनी भौगोलिक विविधताओं, हरियाली से लक-दक पहाड़ों और प्राकृतिक उपहारों से सम्पन्न होने की वजह से देश भर में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। यहाँ का मनोरम परिवेश सदियों से तन-मन को अपूर्व सुकून देता रहा है।

इनमें से कई स्थानों पर नमी के अभाव में पहाड़ियों पर हरियाली का ह्रास होने लगता है। इन्हीं पहाड़ियों पर हरियाली को साल भर बनाए रखने तथा औषधीय पादपों के पल्लवन के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास जारी हैं।1

इन्हीं में उदयपुर जिले की बड़गांव पंचायत समिति अन्तर्गत कठार ग्राम पंचायत के विभिन्न क्षेत्रों में एकीकृत जलग्रहण प्रबन्धन परियोजना के अन्तर्गत हो रहे कार्यों का अच्छा असर सामने आ रहा है। इसमें पहाड़ियों पर ट्रेंच बनाने तथा एलोवेरा एवं बाँस लगाकर पहाड़ियों को साल भर आबाद रखते हुए उपयोगी बनाने का काम किया जा रहा है।

जलग्रहण योजना की बदौलत कठार ग्राम पंचायत की काडिया पहाड़ी का पुराना वैभव लौटने लगा है। पूरी पहाड़ी नग्न हो गई थी। इसे हरी-भरी बनाने के लिए दो तरफा काम किये गए। पहाड़ पर ट्रेंच खोदी गई तथा इसके किनारे-किनारे ग्वारपाठा के पौधों की श्रृंखला रोपी गई। इससे पहाड़ी पर हरियाली लौटने लगी है।

इस पहाड़ी पर जलग्रहण योजना में 6 माह पहले ही काम हुआ है। क्षेत्र के लोगों को इससे मजदूरी भी मिली तथा पहाड़ भी आबाद हुआ। इससे कम बारिश के बावजूद हरियाली के साथ ही गाँव के मवेशियों के लिए घास-चारे का भी स्थाई प्रबंध भी होगा।  कठार के ग्रामीण शंकर बताते हैं कि इस बार बारिश ठीक-ठाक हो जाती तो इस पहाड़ का सौंदर्य भी निखर आता।

कठार की ही तरह मारूवास गाँव की पहाड़ी पर भी जल संरक्षण व हरियाली विस्तार की गतिविधियां हुई जिससे पहाड़ों का वैभव पुनः स्थापित करने में मदद मिल रही है। मारूवास में पहाड़ के तीन बीघा पसरे एक हिस्से में ट्रेंच खोदकर इसके किनारे करीब 3 ट्रेक्टर भर ग्वारपाठा के पौधे लगाए गए। जबकि पहाड़ी के दूसरे हिस्से में बाँस के पौधे लगाये गए।

कठार और मारूवास के पहाड़ों पर हरियाली लाने के प्रयासों को बल मिला है तथा बारिश में पानी रुकने के साथ ही ट्रेंचों में जल भराव से भूमिगत जल भण्डार समृद्ध हुए, आद्र्रता बढ़ी जिससे कि ग्वारपाठा व बाँस के पौधों को पनपने का अवसर मिला है। स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिला व पहाड़ों तथा वनों के संरक्षण के प्रति लगाव भी बढ़ा।

कठार ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक भोपालसिंह मोजावत बताते हैं कि उनकी पंचायत में आने वाले सातों राजस्व गांवों में बारिश के पाँच-छह महीनों बाद सूख जाने वाले पहाड़ों को हरा-भरा करने के लिए प्रयास आरंभ किए गए हैं।

इसी के अंतर्गत कठार की गारियावाड़ा के समीप काड़िया पहाड़ी पर ग्वारपाठा तथा मारूवास के कालीघाटी पहाड़ पर 5 बीघा क्षेत्र में ग्वारपाठा व बाँस के पौधे लगाये गए हैं, जिनका सुरक्षित पल्लवन हो रहा है। ग्वारपाठा के पौधों पर तो पुष्प भी आने लगे हैं।

इस बार गर्मियों के  दिनों मेंं हुए जलग्रहण विकास कार्यों के सार्थक परिणाम सामने आने लगे हैं। क्षेत्र में पर्याप्त बारिश होने की स्थिति में इन पहाड़ियों का हरीतिमा युक्त सौंदर्य देखने लायक होगा वहीं साल भर इन पर हरियाली की चादर पसरी हुई दिखेगी।

कठार ग्राम पंचायत की सरपंच श्रीमती सुशीला कँवर बताती हैं कि क्षेत्र के अन्य इलाकों में भी जलग्रहण विकास कार्यों के अन्तर्गत विभिन्न कार्य हो रहे हैं। कुण्डाल के ट्रेंच की खुदाई हो चुकी है। झाकड़ों की भागल में इसी तरह के प्रयास जारी हैं। जलग्रहण क्षेत्र विकास गतिविधियों के अंतर्गत व्यक्तिगत लाभ की योजना में 3000 पौध  वितरित किए गए हैं। कठार ग्राम पंचायत क्षेत्र में विभिन्न पहाड़ी क्षेत्रों पर जलग्रहण प्रबन्धन की दृष्टि से कई काम हाथ में लिए गए हैं।

कठार का पूरा इलाका पहाड़ी होने की वजह से समतल मैदानी खेतों की कमी है और ऎसे में पहाड़ी क्षेत्रोें में औषधीय पादपों की खेती स्थानीय ग्रामीणों के लिए आजीविका के विकल्प में रूप में बेहतर मददगार सिद्ध होगी।

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