• October 9, 2015

अपराजिता सेंटर की तर्ज पर ‘सखी’

अपराजिता सेंटर की तर्ज पर ‘सखी’

जयपुुर – महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्राी श्रीमती अनिता भदेल ने बताया कि राजस्थान में पीडि़त महिलाओं को एकल खिड़की के तौर पर एक ही जगह विधि, चिकित्सा एवं पुर्नवास जैसी जरूरी सुविधाएं प्रदान करने के लिए चल रहे ‘अपराजिता केन्द्र’ की तर्ज पर राज्य में ‘‘सखी’’ के नाम से एक और अतिरिक्त सेंटर खोलने की सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की गई है तथा इसे माॅडल के रूप में अपनाते हुए देश भर में भी ऐसे ‘सखी सेंटर’ खोलने की अनुमति प्रदान की गई है।
श्रीमती भदेल ने गुरूवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सौजन्य से आयोजित राज्यों के महिला एवं बाल विकास मंत्रियों के दो दिवसीय कार्यशाला में भाग लेने के बाद यह जानकारी दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्राी श्रीमती मेनका गांधी ने की।
श्रीमती भदेल ने केन्द्र सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि राजस्थान में गर्भवती महिलाओं एवं 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों को दिये जाने वाले पोषाहार की गुणवत्ता जांच के लिए अलग से प्रयोगशाला बनाने के लिए केन्द्रीय सहायता दी जानी चाहिए क्योंकि वर्तमान में इस पोषाहार की गुणवत्ता जांच अन्य जगह की प्रयोगशालाओं में करवाई जाती है। जिसमें समय एवं धन ज्यादा खर्च होता है।
उन्होने केन्द्र सरकार से आग्रह किया कि राजस्थान में चल रहे अंाॅगनवाड़ी केन्द्रों में कार्यकर्ताओं के मानदेय में केन्द्रीय अंशदान का हिस्सा बढ़ाया जाना चाहिए। इससे राज्य सरकारों पर पड़ने वाला अतिरिक्त वित्तीय भार को कम करने में मदद मिलेगी।
कार्यशाला में बच्चों की देखभाल, गोद लेने की प्रक्रिया एवं बच्चों के अपहरण जैसी घटनाओं से जुड़े विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई तथा सभी राज्यों को निर्देश दिए गये कि बच्चों की देखभाल एवं बच्चों को गोद लेने से जुड़ी सभी संस्थाआंे का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य रूप से किया जाना सुनिश्चित किया जावें। कार्यशाला में सुझाव दिया गया कि महिलाओं से जुड़ी सभी समस्याओं का आसान निदान सुनिश्चित करने के लिए समुदाय की किसी महिला को ’’विशेष पुलिस अधिकारी‘‘ के तौर पर नामित किया जाना चाहिए जो पुलिस एवं समुदाय की महिलाओं के बीच संपर्क सूत्रा का कार्य कर सके। इस बिन्दु पर राजस्थान का पक्ष रखते हुए श्रीमती भदेल ने कहा कि राजस्थान में पूर्व से ही महिला पुलिस थाने कार्यरत है। साथ ही आर.ए.सी. की अलग से महिला बटालियन भी राजस्थान में काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान मंे बालिकाओं को आत्मरक्षण प्रशिक्षण देने का कार्य भी व्यवस्थित रूप से चल रहा है जिसके अंतर्गत गत वर्ष 40 हजार बालिकाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
श्रीमती भदेल ने कहा कि राजस्थान के पाली जिले में ‘‘मिशन पूर्ण शक्ति’’ के नाम से कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसका उद्देश्य महिलाओं की कल्याणकारी योजनाओं तक पूर्ण पहुंच सुनिश्चित करना है। इस मिशन को माॅडल मानते हुए देश भर में इसे लागू करने की स्वीकृत्ति भी केन्द्रीय मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई है। इसके तहत देश भर के 100 जिलों की करीब 20 हजार पंचायतों में ऐसा कार्यक्रम चलाया जायेगा।

श्रीमती भदेल ने नरेगा के सहयोग से राज्य में स्थापित होने वाले नए आॅगनबाड़ी भवनों के निर्माण में भी केन्द्रीय सहायता की बढ़ोतरी की मांग की है।
कार्यशाला में महिला हैल्पलाइन 181 के सुदृढ़ीकरण के साथ नई हैल्पलाईन शुरू करने पर भी विचार विमर्श हुआ। जिसके तहत उस हैल्पलाईन को सभी जरूरी विभागों से अंतर संबंधित किए जाने पर जोर दिया जाएगा।
केन्द्रीय मंत्राी ने राजस्थान में महिला सुरक्षा के प्रयासों की सराहना
कार्यशाला के दौरान ‘‘राजस्थान में कार्यस्थल पर यौन शोषण पर लगाम लगाने की राज्य सरकार के प्रयासों को भी खूब सराहा गया है। साथ ही ‘मिशन पूर्ण शक्ति’ एवं ‘महिला अपराजिता संेटर’ के माध्यम से महिलाओं को प्रदान की जा रही सुविधाओं के प्रयासों की भी प्रंशसा की गई।
कार्यशाला में श्रीमती भदेल के साथ अतिरिक्त मुख्य सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग श्री राकेश श्रीवास्तव भी मौजूद थे।

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