• September 23, 2015

शिक्षकों के कल्याण की दिशा में ठोस कदम :- प्रलय श्रीवास्तव

शिक्षकों के कल्याण की दिशा में  ठोस कदम :-  प्रलय श्रीवास्तव

मध्यप्रदेश सरकार ने अध्यापकों के हित में पिछले 10 साल के दौरान अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लेकर उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित करवाया है। संविदा शाला शिक्षक और अध्यापक संवर्ग के संविलियन, नियुक्ति, वेतनमान में संशोधन, क्रमोन्नति, अंतरिम राहत और एक सितम्बर, 2017 से नियमित वेतनमान दिये जाने आदि निर्णय उनके पक्ष में लिये गये हैं। राज्य सरकार ने समय-समय पर अध्यापक संवर्ग द्वारा की जाने वाली माँगों को पूरा करने के न सिर्फ हरसंभव प्रयास किये, बल्कि शिक्षकों के कल्याण की दिशा में भी ठोस कदम उठाये।

वस्तुस्थिति यह है कि वर्ष 2001 में संविदा पर नियुक्त शिक्षाकर्मी श्रेणी एक, दो और तीन क्रमश: रुपये 4500, रुपये 3500 और रुपये 2500 प्रतिमाह मानदेय पाते थे 1 वर्तमान में अध्यापक संवर्ग में यही शिक्षाकर्मी राज्य सरकार द्वारा पिछले 8 वर्ष में प्रदत्त समस्त लाभों को मिलाकर क्रमश: वरिष्ठ अध्यापक 25000 रुपये, अध्यापक 23,000 रुपये और सहायक अध्यापक रुपये 15000 प्रतिमाह वेतन प्राप्त कर रहे हैं।

प्रदेश में वर्ष 2007 तक शिक्षाकर्मी वर्ग-1 को वेतनमान रु. 1200-40-1600, वर्ग-2 को रु. 1000-30-1600 और वर्ग-3 को 800-20-1200 वेतनमान तथा समय-समय पर महँगाई भत्ता मिलता था। वर्ष 2007 तक संविदा शाला शिक्षक निश्चित मासिक मानदेय पर तैनात थे। श्रेणी-1, 2 एवं 3 को क्रमश: 4500, 3500, 2500 रुपये मासिक पारिश्रमिक प्राप्त होता था। वर्ष 2011 में इनके मासिक पारिश्रमिक को बढ़ाकर दोगुना अर्थात 9000, 7000, 5000 रुपये किया गया।

राज्य सरकार ने शिक्षकों के हित में फैसला लेते हुए विगत एक अप्रैल, 2007 से अध्यापक संवर्ग का गठन कर पृथक-पृथक वेतनमान एवं पदनाम स्वीकृत किया था। सरकार ने विगत एक अप्रैल, 2013 से अध्यापक संवर्ग के लिये ग्रेड-पे के साथ संशोधित वेतनमान स्वीकृत किया। पहले जहाँ वरिष्ठ अध्यापक का वेतनमान 5000-175-8500, अध्यापक का 4000-125-6500 और सहायक अध्यापक का 3000-100-5000 वेतनमान था, उसे बढ़ाकर 4500-25000 रुपये तथा संवर्ग वेतन क्रमश: 1900, 1650 एवं 1250 रुपये किया गया। अध्यापकों को शासकीय कर्मचारियों के समान महँगाई भत्ता भी इसी अवधि से दिया जा रहा है। सरकार ने वर्ष 1998 से 2001 तक नियुक्त सभी शिक्षाकर्मियों का वर्ष 2007 में संविलियन भी किया। साथ ही संविदा शाला शिक्षकों को 3 साल की सेवा के बाद अध्यापक संवर्ग में नियुक्ति देने का प्रावधान भी किया गया।

अध्यापक संवर्ग को वर्ष 2013-14 में 12 एवं 24 वर्ष पूरा होने पर क्रमोन्नत वेतनमान भी दिया गया है। वर्ष 2013 में अध्यापक संघ के प्रतिनिधियों से हुई चर्चा में बनी सहमति के आधार पर राज्य सरकार ने निर्णय लिया था कि एक सितम्बर, 2017 से अध्यापक संवर्ग को नियमित वेतनमान दिया जायेगा। इसके साथ ही हर साल अर्थात 2013 से 2016 तक सालाना अंतरिम राहत दी जायेगी।

सरकार द्वारा इस संबंध में आदेश जारी कर अंतरिम राहत की किश्तें भी दी गयीं। विगत 4 सितम्बर, 2013 को जारी आदेश से अध्यापक संवर्ग को नियमित शिक्षकों के समान छठवाँ वेतनमान दिनांक एक सितम्बर, 2017 से मंजूर किया गया। उनके लिये हर साल 4 समान किश्त में अंतरिम राहत स्वीकृत की गयी। अध्यापक संवर्ग को नियमित शिक्षकों के समान जो छठवाँ वेतनमान स्वीकृत हुआ है, वह इस प्रकार है:-

अध्यापक संवर्ग वेतनमान संवर्ग वेतन
वरिष्ठ अध्यापक रु. 9300-34800 3600
अध्यापक रु. 9300-34800 3200
सहायक अध्यापक रु. 5200-20200 2400

अध्यापक संवर्ग को एक सितम्बर, 2013 एवं एक सितम्बर, 2014 को अंतरिम राहत की पहली एवं दूसरी किश्त दी जा चुकी है। इस साल की तीसरी किश्त स्वीकृति के लिये राज्य शासन के समक्ष प्रचलित है। इस प्रकार जहाँ राज्य सरकार ने 1-9-2017 से अध्यापक संवर्ग को नियमित वेतनमान तथा वर्ष 2013 से 2016 तक हर साल देय वेतनमान के अंतर की राशि को चार किश्त में देने का फैसला लेकर उसका पालन सुनिश्चित किया।

अब अध्यापक संघ अपनी ही सहमति के विपरीत जाकर 1 सितम्बर 2017 से देय नियमित वेतनमान को इसी साल अर्थात वर्ष 2015 से देने की माँग कर रहा है, जो कतई उचित नहीं है। यह भी स्पष्ट है कि अध्यापक संवर्ग स्थानीय निकाय द्वारा नियुक्त कर्मचारी हैं। संविधान के 73 एवं 74वें संशोधन के फलस्वरूप इनकी नियुक्ति एवं नियंत्रण का अधिकार वर्ष 1998 से स्थानीय निकायों को सौंपा गया है। देश के अन्य राज्य ने भी ऐसा ही किया है।

 

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