- September 22, 2015
अन्नदाता का सहारा – ”फार्म पोण्ड” :
जयपुर -सवाई माधोपुर जिले में कम वर्षा के कारण गिरते भू-जल स्तर एवं बार-बार अकाल जैसी स्थिति से मुकाबला करने में फार्म पोण्ड अन्न दाता के लिए सहारा साबित हो रहे हैं। किसानों ने ”जहां चाह वहां राह” को साकार करते हुए जिले के ऐसे क्षेत्र जहां भूमिगत जल का अभाव है या उपलब्ध भू-जल कृषि कार्य के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
उपखण्ड बौंली, बामनवास, मलारना डूंगर, गंगापुर सिटी, वजीरपुर एवं चौथ का बरवाड़ा के कई गांव में भूमिगत जल की कमी है परन्तु यहां की काली चिकनी मिट्टी में एक अद्भुत गुण है, जिसके फलस्वरूप इसमें पानी का रिसाव नहीं होता अर्थात् मिट्टी में गड्डा करके पानी भर दिया जाये तो केवल वाष्पीकरण के अलावा पानी की छीजत या रिसाव नगण्य होता है।
मिट्टी की इस विशेषता को देखते हुए हजारों किसान अपने खेतों के निचले हिस्से में अपनी आवश्यकता, वर्षा जल की उपलब्धता तथा आर्थिक क्षमताओं के अनुरूप (फार्म पोण्ड) खेत तलाई बनाकर फसलों की सिंचाई कर रहे हैं। फार्म पोण्ड निर्माण में मिट्टी की खुदाई के अलावा किसी भी प्रकार की निर्माण सामग्री की आवश्यकता नहीं हैंं।
फार्म पोण्ड निर्माण के लिए किसानों को कृषि विभाग द्वारा अनुदान दिया जाता है। साथ ही महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी योजना के तहत अपना खेत-अपना काम योजना में भी फार्म पोण्डों का निर्माण किया जा रहा है।
इस वर्ष मानसून के दौरान जिले में कम वर्षा हुई है। फिर भी सरकार के आर्थिक सहयोग एवं किसानों की जल संरक्षण के प्रति जागरूकता के चलते अधिकतर फार्म पोण्डों में पानी भरा हुआ है। यह पानी रबी फसल की बुवाई/सिंचाई के उपयोग में लिया जायेगा।
इन क्षेत्रों में पुराने जमाने में भी सार्वजनिक तालाब बनाकर सिंचाई तथा पशुओं के पेयजल के लिए उपयोग किया जाता था। इन तालाबों की पाळ के सहारे कम गहराई के कुएं बनाकर पेयजल एवं नहाने-धोने की आवश्यकताओं के लिए उपयोग करते थे।
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