- September 21, 2015
महिला सशक्तिकरण का नमूना : तरक्की की राह पर हाड़ौती का आधा आसमाँ
जयपुर – महिला एवं बाल विकास से संबंधित विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में कोटा तरक्की पर है। इन योजनाओं के प्रति हाड़ौती की महिलाओं की भागीदारी ने जहाँ विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल की हैं वहीं स्वयं सहायता समूहों की गतिविधियां महिला सशक्तिकरण तथा आर्थिक विकास में आधे आसमाँ की उल्लेखनीय भूमिका दर्शा रही हैं। महिला एवं बाल विकास से संबंधित विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वयन के माध्यम से कोटा जिले में विभिन्न स्तरों पर सार्थक गतिविधियों का संचालन जारी है।
बेसिक कम्यूटर प्रशिक्षण के अंतर्गत समाज के सभी वर्गाे की महिलाओं को राजस्थान नॉलेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के माध्यम से कम्यूटर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 2014-15 में 870 महिलाओं को आर.एस.सी.आई.टी व 388 को डिजीटल सहेली प्रशिक्षण से लाभान्वित किया गया।
महिला सुरक्षा व सलाह केन्द्र (शहरी व ग्रामीण) के माध्यम से 2014-15 में शहरी क्षेत्र में प्राप्त 557 में से 548 प्रकरणों तथा ग्रामीण क्षेत्र में प्राप्त 277 में से 271 प्रकरणों का निस्तारण किया जा चुका है। शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में महिला सुरक्षा केन्द्र के लिए गैर सरकारी स्वायशासी (संगठन) संस्था (एनजीओ) से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इनमें शहरी क्षेत्र के लिए 15 एवं ग्रामीण क्षेत्र के लिए 18 आवेदन प्राप्त हुए हैं जिन पर कार्यवाही जारी है। किशोरी शक्ति योजना अन्तर्गत कोटा जिले में 5 संस्थाओं में बालिका मेले व भ्रमण कार्यक्रमों का आयोजन कर 500 किशोरियों के लाभान्वित किया गया।
जिले में धनलक्ष्मी महिला समृद्घि केन्द्र के तहत 3 धनलक्ष्मी केन्द्र निर्माण की स्वीकृति प्राप्त हुई है। महिला एवं स्वयं सहायता समूह कार्यक्रम के अंतर्गत अगस्त 2015 तक कोटा जिले में कुल 7 हजार 432 समूहों का गठन हो चुका है। कुल 1064 समूह आंगनबाड़ी केन्द्रों व जननी सुरक्षा योजना के अन्तर्गत अस्पताल में पोषाहार वितरण कर रहे हैं। जिले में 11 समूह राशन की दुकानें चला रहे हैं। 4 समूहों को ग्रामीण क्षेत्र में 75 हजार रुपये प्रति समूह अनुदान दिया गया है।
कोटा जिले में 73 समूह शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में कोटा डोरिया, किराणा, हलवाई, पापड़, मुंगोड़ी, रेडिमेड कपड़े, काष्ठ सामग्री, फैशनेबल ज्वैलरी, चूड़ी में नग लगाने, आटा चक्की, भंैस व बकरी पालन से दुग्ध उत्पादन जैसे व्यवसायों के माध्यम से आर्थिक गतिविधियों में जुटे हुए हैं। इनमें से 6 समूह अमृता हाट में भी भाग ले चुके हंै।
जिले के स्वयं सहायता समूह आय सर्जक व उत्पादक गतिविधियों के प्रशिक्षण के प्रति भी जागरूक हैं। वर्ष 2014-15 में 15 समूहों को ब्यूटी पार्लर, 5 समूहों को आर्टिफिशयल ज्वैलरी तथा 25 समूहों को सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण से लाभान्वित किया जा चुका है। जिले में कुल 1025 महिलाओं को अब तक आईजीए प्रशिक्षण दिया जा चुका है। जिले में अब तक गठित 7 हजार 432 स्वयं सहायता समूहों में से 376 समूह अमृता सोसाइटी से जुड़े हुए हैं।
स्वावलम्बन योजना में अब तक 77 प्रारूप स्वीकृत करने के साथ ही 2 हजार 340 महिलाओं को लाभान्वित किया गया है। इस वर्ष 12 समूहों को स्वावलम्बन योजना में प्रशिक्षण से जोड़ा गया है। प्रियदर्शिनी आदर्श स्वयं सहायता समूह योजना के तहत 5 प्रस्ताव स्वीकृत कर 500 महिलाओं को लाभान्वित किया गया है तथा गंगा वि$जन द्वारा कोटा को आदर्श स्वयं सहायता समूह बनाने का जिम्मा दिया गया है। जिले में 50 फीसदी ब्याज अनुदान लेने वाले समूहों की संख्या 1 हजार 284 है तथा इनकी अनुदान राशि 8.18 लाख है।
शालापूर्व शिक्षा कार्यक्रम के तहत आंगनबाड़ी केन्द्र पर पंजीकृत 3 से 6 वर्ष तक के 18 हजार 481 बच्चों को शालापूर्व शिक्षा दी गई। बजट घोषणा(वर्ष 2015-16) में कोटा शहर परियोजना के अंतर्गत 2 शिशु पालना गृह खोले गए हैं।
मुख्यमंत्री बजट घोषणा में महिला एवं बाल विकास सेवाओं के माध्यम से माँ व बच्चे की देखभाल को प्रोत्साहित करने के लिए फील्ड कर्मियों के उल्लेखनीय कार्य प्रदर्शन को सम्मानित करने के लिए प्रत्येक परियोजना से कार्यकर्ता, सहायिका व सहयोगिनी का चयन कर कुल 18 कार्मिकों को यशोदा पुरस्कार प्रदान किया गया। जिले में 1 हजार 258 मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य दिवस के लक्ष्यों के मुकाबले अब तक एक हजार 161 मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य दिवसों का आयोजन कर 92.29 प्रतिशत प्रगति हासिल की गई।
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-डॉ. दीपक आचार्य