- September 21, 2015
विधिक सहायता शिविर : किसी महिला को डायन या टोनही कहना कानूनन अपराध- श्रीमती शर्मा
रायगढ़ (छतीसगढ)- जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा विधिक सेवा प्राधिकरण रायगढ़ के अध्यक्ष श्री तिगाला के विशेष मार्गदर्शन में जन सामान्य को कानूनी जानकारी देने के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा 19 सितम्बर को पुसौर ब्लाक के प्राथमिक शाला कोसमंदा तथा माध्यमिक शाला देवलसूर्रा में विधिक सहायता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश प्रथम श्रेणी गरिमा शर्मा एवं जेएमएफसी श्री अमित राठौर तथा विशेष न्यायाधीश मनीष नायडू ने जन सामान्य को कानून के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।
शिविर में एडीजे श्रीमती गरिमा शर्मा ने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति को कानून की जानकारी होनी चाहिए। इससे वह सरकार द्वारा संचालित योजनाओं एवं कार्यक्रमों का लाभ उठाने के साथ ही बेवजह के कानूनी मामलों से अपने आपको सुरक्षित रख सकते है। उन्होंने कहा कि कायदे-कानून की जानकारी न होने की वजह से लोग अपने विधिक अधिकारों का उपयोग नहीं कर पाते है।
श्रीमती शर्मा ने टोनही प्रताडऩा अधिनियम तथा बलि प्रथा निषेध अधिनियम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसी भी महिला को टोनही कहना या इस मामले को लेकर उसको बहिष्कृत करना कानूनन अपराध है। उन्होंने महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा एवं अपराधों के बारे में कानूनी जानकारी दी।
जिनमें मुख्यत: घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, भारतीय दंड संहिता में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों एवं धारा 123 सीआरपीसी के तहत भरण पोषण, हिन्दू विवाह अधिनियम, मुस्लिम महिलाओं से संबंधित कानूनों एवं उनके संरक्षण शामिल है।
न्यायाधीश श्री अमित राठौर एवं विशेष न्यायाधीश श्री नायडू ने शिविर में बाल विवाह एवं बाल श्रम तथा नशाखोरी से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में जानकारी दी। वहीं बाल कल्याणकारी योजनाओं अंतर्गत विद्यार्थियों को साइबर क्राइम के बारे में बताया।
बालकों को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहने तथा विभिन्न लोक कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई। कार्यक्रम के अंंत में वहां उपस्थित सभी लोगों को कानून की जानकारी देने के लिए प्रकाशित पुस्तक एवं पाम्पलेट भी बांटे गए। इस अवसर पर पैरालीगल वालिंटियर तथा पुसौर के थाना प्रभारी श्री कुरैशी उपस्थित थे।