• August 8, 2015

मांग : उदयपुर में राजस्थान उच्च न्यायालय खण्डपीठ की स्थापना

मांग : उदयपुर  में राजस्थान उच्च न्यायालय खण्डपीठ की स्थापना

जयपुर – चित्तौडग़ढ सांसद श्री सी.पी. जोशी ने शुक्रवार को लोकसभा में उदयपुर संभाग की न्यायिक व्यवस्था को लेकर सबसे महत्वपूर्ण मांग हाईकोर्ट की खण्डपीठ की स्थापना की मांग करते हुए कहा कि राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है। वर्तमान में राजस्थान में न्यायिक व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट जोधपुर में एवं उसकी बेंच जयपुर में है।

राजस्थान भौगोलिक दृष्टि से बहुत बड़ा है। राजस्थान के उदयपुर संभाग जिसकी आबादी लगभग एक करोड़ से उपर है एवं 6 राजस्व जिले है। पूर्व में उदयपुर संभाग को मेवाड़ के रूप में जाना जाता था। तत्कालीन मेवाड़ में वर्तमान के भीलवाड़ा एवं सिरोही जिले भी सम्मिलित थे। रियासत काल में मेवाड़ में उच्च न्यायालय स्थापित था। आजादी के समय भी संयुक्त राजस्थान के अस्तित्व के समय उदयपुर में हाईकोर्ट की मुख्य पीठ की स्थापना की गई परन्तु 1949 में वृहद् राजस्थान निर्माण के साथ ही हाईकोर्ट की मुख्य पीठ जोधपुर स्थापित कर दी गई एवं उदयपुर में जयपुर के समान ही खण्ड पीठ थी। जिसे 1950 में समाप्त कर दी गई।

श्री जोशी ने कहा कि वर्तमान समय में मेवाड़ के सभी न्यायिक मामले जोधपुर मुख्यपीठ में सुने जाते है। जोधपुर मुख्यपीठ उदयपुर संभाग के विभिन्न जिलो से लगभग 400 से 500 किलोमीटर पड़ती है। इस संभाग में लोगों की आय का मुख्य स्त्रोत कृषि कार्य है एवं क्षेत्र में किसानों के पास पहाड़ी इलाका होने के कारण कृषि भूमि भी कम है।

इस क्षेत्र के कई लोग आजीविका के अधिक साधन नहीं होने के कारण गुजरात एवं महाराष्ट्र में मजदूरी करने भी जाते है। राजस्थान में उदयपुर संभाग में मुकदमों की संख्या एवं मुख्यपीठ में लम्बित मुकदमों की संख्या को देखते हुए निर्णय आने में 10 से 15 वर्ष लग जाते है। इसी प्रकार भौगोलिक रूप से अधिक दूरी होने के कारण सामान्यतया निम्न न्यायालय के निर्णय के विरूद्घ पीडि़त पक्षकार आर्थिक कारणों से जोधपुर मुख्यपीठ में नहीं जा पाते है एवं अपने न्याय पाने के अधिकार से वंचित हो जाते है।

भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 एवं 227 के अन्तर्गत उच्च न्यायालय में जाकर शीघ्र न्याय प्राप्त किया जा सकता है। हाईकोर्ट की पीठ के लिए मेवाड़ एवं वागड की जनता वर्ष 1983 से आंदोलन कर रही है एवं सन् 1998 में तो सम्पूर्ण मेवाड़ में लगभग तीन माह तक अनवरत् आन्दोलन में जनता ने अपने व्यवसाय भी बंद कर दिये और अभी भी प्रत्येक माह की सात तारीख को न्यायालय कार्य का बहिष्कार वर्ष 1983 से चलता आ रहा है।

सांसद श्री जोशी ने कहा कि उदयपुर संभाग मुख्यालय पर उच्च न्यायालय की 1950 में बंद की गई खण्डपीठ के कारण मेवाड़ के लोग त्वरित एवं सुलभ न्याय प्राप्त नहीं कर पा रहे है। अभी उच्च न्यायालय जाने के लिए समय एवं धन बहुत अधिक खर्च करना पड़ता है।

मेवाड़ के लोंगो की आर्थिक स्थित आज भी बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है। इस कारण कई बार गरीब एवं सामाजिक रूप से पिछड़े हुए लोग न्याय से वंचित रह जाते है। सांसद श्री जोशी ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि न्याय प्राप्ति की संस्थाओं का विकेन्द्रीयकरण करने के लिए यथायोग्य जगह, उचित न्याय केन्द्रों की स्थापना आवश्यक है एवं इसी क्रम में राजस्थान के उदयपुर संभाग मुख्यालय पर उच्च न्यायालय की खण्डपीठ खोलने से क्षेत्र की जनता अपने न्याय पाने के अधिकार का उपयोग कर सकेगी और हमारा भी एक महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व पूर्ण हो सकेगा।

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