नवाजतन योजना: 50 हजार से ज्यादा बच्चों को कुपोषण से मुक्ति

नवाजतन योजना: 50 हजार से ज्यादा बच्चों को कुपोषण से मुक्ति

छत्तीसगढ़ –    छत्तीसगढ़ में संचालित नवाजतन योजना के तहत प्रदेश के 50 हजार से ज्यादा बच्चों को कुपोषण से मुक्ति मिल चुकी है। राज्य शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा वर्ष 2012 से प्रदेश में जन सहयोग से संचालित इस योजना का तीन चरण पूर्ण हो चुका है और चौथा चरण इस महीने की 16 तारीख से शुरू हो गया है।

चौथे चरण में करीब तैंतीस हजार बच्चों को कुपोषण से बाहर लाने का लक्ष्य रखा गया है। योजना के प्रथम चरण का शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने वर्ष 2012 में जिला मुख्यालय कोण्डागाँव से किया था। इस योजना के अलावा विभाग में संचालित मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना, दत्तक पुत्री सुपोषण योजना, सुपोषण चौपाल, पोषण पुनर्वास केन्द्र और स्नेह शिविर के माध्यम से बच्चों में व्याप्त कुपोषण को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।

कुपोषण मुक्ति के लिए राज्य शासन द्वारा किए जा रहे इन प्रयासों से प्रदेश में बच्चों के कुपोषण स्तर में कमी आई है। वजन त्यौहार के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में कुपोषण का स्तर करीब 33 प्रतिशत ही रह गया है, जबकि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-2003 के अनुसार वर्ष 2005 में यहां कुपोषण का स्तर लगभग 52 प्रतिशत था।

महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि नवाजतन योजना के तीन चरणों के अन्तर्गत एक लाख 12 हजार 468 बच्चों को चिन्हित किया गया था। इनमें से 50 हजार 603 बच्चे कुपोषण से बाहर आ चुके हैं। उन्होंने बताया कि जून 2012 से दिसम्बर 2012 तक चले योजना के पहले चरण में 340 ग्राम पंचायतों के सात हजार 36 बच्चों को कुपोषण से मुक्ति मिली। इसी तरह जुलाई 2013 से जनवरी 2014 तक चले दूसरे चरण में कुपोषण से ग्रस्त 14 हजार 201 बच्चों और सितम्बर 2014 से फरवरी 2015 तक चले तीसरे चरण में 29 हजार 366 बच्चों को कुपोषण से बाहर लाया गया।

विभागीय अधिकारियों ने बताया कि योजना के तहत कुपोषण की दृष्टि से हाई बर्डन ग्राम पंचायतों का चिन्हांकन किया जाता है। इसके बाद संबंधित पंचायतों के कुपोषित बच्चों को सामुदायिक परिवर्तन वाहकों जैसे सुपोषण मित्रों और महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम  से छह माह की अवधि में कुपोषण से बाहर लाने का प्रयास किया जाता है। प्रत्येक सुपोषण मित्र को दस बच्चों तथा प्रत्येक स्व-सहायता समूह को 25 बच्चों को कुपोषण से बाहर लाने का लक्ष्य दिया जाता है।

परिर्वतन वाहकों द्वारा संबंधित बच्चों के परिवारों को स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी कौशल और परामर्श देने के साथ ही बच्चों का नियमित वजन अनुश्रवण किया जाता है। इसके अलावा उन्हें आंगनबाड़ी की सेवाओं, मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना और पोषण पुनर्वास केन्द्रों की सुविधाओं के प्रति भी बच्चों के परिजनों को जागरूक करने का प्रयास इन परिवर्तन वाहकों द्वारा किया जाता जाता है। बच्चों को कुपोषण से बाहर लाने वाले परिवर्तन वाहकों को प्रति बच्चा प्रतिदिन दस रूपए के मान से पारितोषित भी प्रदान किया जाता है।

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