- July 17, 2015
विदेशी निवेश की सीमा के लिए नीति को मंजूर
देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ढांचे को सरल बनाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज संयुक्त विदेशी निवेश की सीमा के लिए नीति को मंजूरी दे दी। इसके तहत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और पोर्टफोलियो निवेश का विलय कर दिया जाएगा, जिससे एकल ब्रांड रिटेल, के्रडिट सूचना फर्मों, जिंसों एवं पावर एक्सचेंजों को फायदा होगा। हालांकि इस बहुप्रतीक्षित संशोधन के दायरे से रक्षा एवं बैंकिंग क्षेत्र को बाहर रखा जाएगा। इसके बावजूद बैंकरों ने कहा कि इस कदम से उन्हें भी फायदा होगा, जिससे काफी भ्रम हुआ।
प्रस्ताव में औद्योगिक नीति एवं संवद्र्घन विभाग (डीआईपीपी) ने एक प्रावधान दिया है, जिसके अनुसार 49 फीसदी तक के कुल पोर्टफोलियो निवेश को सरकार या क्षेत्रीय नियामकों से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। इस प्रावधान की अलग अलग व्याख्या की जा रही है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इसके बाद प्रिंट मीडिया में भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) को अनुमति मिल सकती है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘अब से विदेशी संस्थागत निवेश (एफआईआई), प्रवासी भारतीय (एनआरआई) और अन्य विदेशी निवेश साथ जोड़े जाएंगे। अब इसकी संयुक्त सीमा तय की जाएगी।’
धु्रव एडवाइजर्स एलएलपी के पुनीत शाह कहते हैं, ‘अभी एफआईआई की सीमा 24 फीसदी से बढ़ाने के लिए कंपनियों के बोर्ड को प्रस्ताव पारित करना पड़ता है। ऐसा लगता है कि इसे 24 फीसदी से अधिक करने के लिए प्रस्ताव अब भी पारित करना पडग़ा लेकिन अब इसे क्षेत्र की तय सीमा तक बढ़ाया जा सकेगा, जबकि अभी कुछ क्षेत्रों में इसे एफपीआई सीमा तक ही बढ़ाया जा सकता है।’
इस घोषणा को बैंकरों की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। हालांकि देर शाम तक डीआईपीपी और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने स्पष्टï कर दिया कि विदेशी निवेश की संयुक्त सीमा रक्षा व बैंकिंग क्षेत्र पर लागू नहीं होगी। रक्षा क्षेत्र में एफपीआई 24 फीसदी और निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए 49 फीसदी पर बरकरार रहेगा। अभी रक्षा क्षेत्र में 49 फीसदी और निजी क्षेत्र के बैंकों मे 74 फीसदी तक विदेशी निवेश की अनुमति है। यस बैंक के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी राणा कपूर ने मंत्रिमंडल के फैसले के बाद सुबह कहा था, ‘फिलहाल हमारी एफआईआई हिस्सेदारी 49 फीसदी से कम है।
इसलिए रकम जुटाने के यस बैंक के नजरिये से देखें तो हम अपनी एफआईआई हिस्सेदारी में खासा इजाफा कर सकते हैं।’ एफडीआई और एफपीआई के अतिरिक्त एनआरआई विदेशी वेंचर कैपिटल निवेशकों, सीमित देनदारी साझेदारी और डिपॉजिटरी रिसीट्स भी विदेशी निवेश के दायरे में आएंगे। जिन क्षेत्रों में संयुक्त सीमा तय की गई है, वहां विदेशी निवेश एवं संवद्र्घन बोर्ड (एफआईपीबी) से अनुमति लेने के मौजूदा नियम बरकरार रहेंगे।
पूर्वी गलियारे को मंजूरी
सरकार ने दिल्ली के पूर्वी सीमावर्ती क्षेत्र में हरियाणा और उत्तर प्रदेश को जोडऩे वाले छह लेन के पूर्वी पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (एनएच-2) के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी। कुल 7,558 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना के तहत 135 किलोमीटर लंबी सड़क का विकास इंजीनियरिंग, खरीद तथा निर्माण (ईपीसी) आधार पर किया जाएगा।