तसर रेशम विकास : झारखण्ड प्रदेश का 03 दिवसीय प्रशिक्षण सह अध्ययन भ्रमण

तसर रेशम विकास : झारखण्ड प्रदेश का 03 दिवसीय प्रशिक्षण सह अध्ययन भ्रमण

छतीसगढ-        जशपुर जिले में तसर रेशम विकास में नई गति देने के लिये देश के सर्वाधिक तसर उत्पादक राज्य झारखण्ड प्रदेश का 03 दिवसीय प्रशिक्षण सह अध्ययन भ्रमण जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती गोमती साय के नेतृत्व में 23 सदस्यों के एक दल ने किया भ्रमण के दौरान केंद्रीय रेशम अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान नगड़ी रांची के द्वारा तसर रेषशम विकास में संस्थान के द्वारा किये जा रहे अनुसंधान कार्यों की विस्तृत जानकारी दी गई।

उनके द्वारा तसर ककून के उत्पादकता को बढ़ाने एवं अधिक से अधिक लाभ अर्जित करने के लिये वृक्षारोपण, तसर बीज उत्पादन एवं कीटपालन की विधियां एवं इसके दौरान ली जाने वाली सावधानियां एवं उपचार विधि विस्तृत रूप से बतायी गयी। गुणवत्तायुक्त तसर धागा उत्पादन के लिये संस्थान द्वारा तैयार की गई विभिन्न प्रकार के मषीनों से दल को अवगत कराया गया ।

सहायक संचालक रेशम श्री विश्वास ने बताया है कि प्रशिक्षण के दूसरे चरण में झारखण्ड राज्य के सरायकेला- खरसवां जिले में राज्य रेशम विभाग द्वारा स्थापित अग्र परियोजना केंद्र कोचाई (खरसवां) का भ्रमण किया गया । अध्ययन दल ने इस केंद्र में अनुशंषित तकनीक को अपनाकर स्व सहायता समूहों के माध्यम से तसर बीज उत्पादन, तसर कीटपालन की प्रकियाओं का अवलोकन किया। साथ ही समूह के द्वारा उन्नत सोलर उर्जा चलित रीलिंग मशीन से धागाकरण की प्रकिया एवं तसर उत्पादों जैसे तसर ककून, यार्न एवं वस्त्रों का सहकारी संघ ‘‘झारक्र्राफ्ट’’ के माध्यम से विपणन प्रणाली को भी देखा ।

झारखण्ड राज्य में ‘‘झारक्र्राफ्ट’’ तसर उत्पाद, वस्त्र एवं हस्तषिल्पों का मार्केर्टिग का एक मात्र संस्था है जो कि इन विधाओं से जुडे हितग्राहियों को लाभान्वित कर रहा है । अध्ययन दल ने तसर कीटपालकों से सीधे चर्चा कर उनके द्वारा किस प्रकार तसर ककून उत्पादन बढाया गया इस संबंध में विस्तृत जानकारी ली गई।

भ्रमण के दौरान यह बातें सामने आई कि उनके द्वारा वृक्षारोपण के साथ साथ वन विभाग के सहयोग से नैसर्गिक साल, साजा एवं अर्जुना वृक्षों का व्यापक पैमाने पर उपयोग तसर कीटपालन के द्वारा किया जा रहा है। जिला पंचायत अध्यक्ष ने इस अध्ययन भ्रमण के संबंध में कहा है कि जशपुर में तसर रेशम की अच्छी संभावना है। भ्रमण का अनुभव लेकर जिले में भी जनप्रतिनिधियों के सहयोग से अधिक से अधिक लोगों को जोड़कर तसर विकास कर लोगों को लाभान्वित करने का प्रयास किया जायेगा।

ज्ञात हो कि वर्तमान में जशपुर जिले का तसर का सकल ककून उत्पादन लगभग 1.30 करोड़ है इससे लगभग 13 मेट्रिक टन यार्न की आपूर्ति प्रदेष के बुनकरों को होता है । तसर रेषम को बढ़ावा देने के लिये जिले में विजन-2020 के तहत आगामी 5 वर्षों में 80 मेट्रिक टन यार्न की आपूर्ति प्रदेष में किया जाना है । इसके लिये विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर लिया गया है ।

कार्ययोजना के तहत मौजूदा 1393 हेक्टेयर उपलब्ध पौधारोपण को बढ़ाकर 2600 हेक्टेयर तक बढ़ाया जायेगा । इसी क्रम में वर्ष 2015 में 350 हेक्टेयर राजस्व एवं वन क्षेत्र में तसर वृक्ष साजा एवं अर्जुन का रोपण किया जायेगा तथा जिले में विपुल पैमाने पर उपलब्ध 400 हेक्टेयर नैसर्गिक साल वनों में 20 क्लस्टरों में तसर रेषम कीट के अण्डे छोड़े जायेंगे जहां इन कीटों से प्राकृतिक रूप से बिना किसी मानव हस्तक्षेप से तसर के ककून तैयार होगे । इन कोसा का संग्रहण स्थानीय जनजाति परिवार रेशम एवं वन विभाग के सहयोग से करेंगे । आगामी 5 वर्षों में एवं उसके बाद लगभग 15000 परिवार प्रति वर्ष लाभान्वित होंगे ।

वर्तमान में छत्तीसगढ़ देश के झारखण्ड राज्य के बाद सर्वाधिक तसर उत्पादक राज्य है । विजन-2020 में झारखण्ड राज्य में अपनाई जा रहे कार्यक्र्रमों एवं उनके अनुभवों का भी क्रियान्वयन में समावेष किया जायेगा ।
अध्ययन दल में जनपद पंचायत अध्यक्ष जशपुर एवं कांसाबेल, डॉ0 अजय शर्मा जिला पंचायत सदस्य, उप वनमण्डलाधिकारी कुनकुरी एवं पत्थलगांव मुख्य कार्यपालन अधिकारी फरसाबहार एवं बगीचा, सहायक संचालक रेषम एवं उनके 5 फील्ड अधिकारी तथा 4 कीटपालक एवं 4 रीलर्स शामिल थे।

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