• July 13, 2015

विश्व जनसंख्या दिवस: बढ़ती जनसंख्या बड़ी चुनौती -चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री

विश्व जनसंख्या दिवस: बढ़ती जनसंख्या बड़ी चुनौती  -चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री

जयपुर – चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़ ने कहा है कि तेजी से बढ़ती जनसंख्या मानव समुदाय के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के साथ ही मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में हाई रिस्क प्रिगनेन्सी को चिन्हित कर उनका समुचित प्रबन्धन करने के लिए ”कुशल मंगल कार्यक्रम” का शुभारम्भ किया गया है।

श्री राठौड़ विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर हरिश्चंद्र माथुर लोक प्रशासन संस्थान (ओटीएस) में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह एवं परिवार कल्याण प्रोत्साहन पुरस्कार वितरण समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर विश्व जनसंख्या दिवस समारोह एवं 24 जुलाई तक चलने वाले जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़े का शुभारम्भ किया। उन्होंने कुशल मंगल कार्यक्रम के लोगो, पंजिका एवं निर्देशिका का अनावरण कर कुशल मंगल कार्यक्रम की शुरूआत की।

चिकित्सा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए संकल्पबद्ध होकर कार्य कर रही है। मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्युदर में प्रभावी कमी लाने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। बालिका जन्म को प्रोत्साहित करने के साथ ही कन्या भू्रण हत्या रोकने, मातृ मृत्यु की सामाजिक समीक्षा करने एवं आशा सॉफ्ट जैसी अनेक महत्वाकांक्षी योजनाएं सफलतापूर्वक संचालित की जा रही हैं। मातृ व शिशु मृत्युदर में कमी लाने एवं संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से जननी सुरक्षा योजना एवं राजस्थान जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम की क्रियान्विति की जा रही है।

श्री राठौड़ ने बताया कि 27 जून से 10 जुलाई तक ”मोबिलाइजेशन पखवाड़ाÓÓ आयोजित कर योग्य दम्पतियों में सीमित परिवार व बच्चों में अन्तराल रखने के प्रति जनजागृति करने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया। इसके साथ ही 24 जुलाई तक जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़े का आयोजन कर ”दो बच्चों में तीन साल का अंतरÓÓ का संदेश गांव-गांव और ढ़ाणी-ढ़ाणी तक पहुंचाया जायेगा। उन्होंने बताया कि र्वष 1991 से 2001 के दशक में राजस्थान की जनसंख्या वृद्घि की दर 28-41 प्रतिशत व वर्ष 2001 से 2011 के दशक में यह 21-44 प्रतिशत रही।

श्री राठौड़ ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारण अशिक्षा, गरीबी, सामाजिक पिछड़ापन, विवाह की कम औसत आयु इत्यादि को माना जाता है। आज भी अनेक प्रयासों के बावजूद बाल विवाह होते रहते हैं। विवाह की औसत आयु हमारे प्रदेश की 20-7 एवं राष्ट्रीय औसत 21-3 है। उन्होंने बताया कि सेम्पल रजिस्ट्रेशन सर्वे 2012 के अनुसार राजस्थान की कुल प्रजनन 2-8 एवं राष्ट्रीय औसत प्रजनन दर 2-.3 है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए हमें प्रजनन दर में व्यापक कमी लाकर दम्पत्ति सुरक्षा दर को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जायेगा।

उन्होंने इस अवसर पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम में परिवार कल्याण प्रोत्साहन पुरस्कार योजना के अन्तर्गत निर्धारित मापदण्डों के अनुसार जिला कलक्टरों, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों जनप्रतिनिधियों व एएनएम सहित श्रेष्ठ कार्य करने वालों को राज्य स्तर पर पुरस्कृत होने पर बधाई दी।

कुशल मंगल कार्यक्रम का भी शुभारम्भ

चिकित्सा मंत्री ने कहा कि राजस्थान में हाईरिस्क प्रेगनेन्सी के प्रबंधन एवं देखभाल हेतु आज से कुशल मंगल कार्यक्रम का भी शुभारम्भ किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में प्रतिवर्ष अनुमानत: 19 लाख 60 हजार महिलाएं गर्भवती होती है एवं 10 प्रतशित अर्थात् लगभग एक लाख 90 हजार में प्रसव संबंधित जटिलताएं उत्पन्न होने की संभावना होती है। कुशल मंगल कार्यक्रम से गर्भवती महिलाओं में जटिलता का समय पर चिन्हिकरण, समय पर रेफरल, टेकिंग एवं फोलोअप कर प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा संस्थागत प्रसव करवाया जायेगा ताकि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए बीस सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के उपाध्यक्ष डॉ. दिगम्बर सिंह ने प्रदेश में स्वास्थ्य योजनाओं के क्रियान्वयन एवं अभिनव योजनाओं के लिए स्वास्थ्य विभाग की सराहना की। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्यकर्मी परिवार कल्याण गतिविधियों में सक्रिय सहभागिता कर बढ़ती जनसंख्या को रोकने में महत्वपूर्ण सहयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि एक या दो संतान वाले दम्पतियों को समझाइश कर परिवार कल्याण के साथ जोडऩा आवश्यक है। उन्होंने गंगानगर व हनुमानगढ़ जिले में वर्ष पर्यन्त नसबंदी शिविरों के आयोजन के लिए इन जिलों को बधाई दी।

विशिष्ट अतिथि तथा विधायक व बेटी बचाओ ब्रांड एम्बेसेडर श्रीमती दीया कुमारी ने छोटे परिवार के लाभ को रेखांकित करते हुए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के साथ ही बेटियों को शिक्षित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि परिवार कल्याण कार्यक्रमों के प्रति व्यापक चेतना जाग्रत की जाये। उन्होंने बालिका लिंगानुपात को सुधारने में स्वास्थ्य विभाग के साथ ही समस्त सामाजिक व स्वयं सेवी संस्थाओं से सक्रिय सहभागिता कर मानसिकता में बदलाव लाने की आवश्कता प्रतिपादित की।

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वाथ्य मिशन निदेशक श्री नवीन जैन ने बताया कि मातृ मृत्युदर में कमी लाने के लिए कुशल मंगल योजना की शुरूआत हाई रिस्क प्रिगनेन्सी का प्रबंधन कर स्वस्थ मातृत्व की अवधारणा क साकार करने में एक क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने कहा कि चिकित्साकर्मियों के सहयोग से ही इन योजनाओं को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया जायेगा। उन्होंने प्रदेश में परिवार कल्याण के क्षेत्र में की जा रही विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला।

अतिरिक्त मिशन निदेशक एनएचएम डॉ. नीरज के पवन ने धन्यावाद ज्ञापित करते हुए बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर प्रदेश के सभी जिलों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करने के साथ ही जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़े का शुभारम्भ किया गया है।

इस पखवाड़े के दौरान प्रदेशभर में “खुशहाल परिवार का मंतर, दो बच्चों में तीन साल का अतंर” का संदेश गांव-गांव और ढ़ाणी-ढ़ाणी तक पहुंचाया जायेगा।

परिवार कल्याण क्रियान्वयन में श्रीगंगानगर प्रथम

इस राज्य स्तरीय समारोह में परिवार कल्याण प्रोत्साहन पुरस्कार योजना के तहत वर्ष 2014-15 में परिवार कल्याण क क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य करने वाले जिलं, पंचायत समितियों, ग्राम पंचायतों, सरकारी चिकित्सा संस्थानों एवं गैर सरकारी चिकित्सा संस्थानों के प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किये। मुख्य अतिथि श्री राठौड़ ने स्मृति चिन्ह, अध्यक्ष डॉ. दिगम्बर सिंह ने प्रमाण-पत्र एवं विशिष्ट अतिथि श्रीमती दीया कुमारी ने पुरस्कार के चैक वितरित किये।

प्रदेश के विभिन्न जिलों में श्रीगंगानगर को प्रथम स्थान प्राप्त करने पर जिला कलेक्टर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नरेश बंसल एवं उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दीपिका मोगा को पुरस्कार प्रदान किया गया। द्वितीय स्थान पर हनुमानगढ़ जिले के जिला कलेक्टर श्री रामनिवास, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रीत मोहिन्दर सिंह एवं अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. योगेन्द्र तनेजा को पुरस्कृत किया गया।

तृतीय स्थान पर प्रतापगढ़ जिले के जिला कलेक्टर श्री सत्यप्रकाश बसवाल, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी व उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ओ.पी. बैरवा को पुरस्कार प्रदान किया गया। चौथे स्थान पर झालावाड़ जिले के जिला कलेक्टर श्री विष्णु चरण मलिक, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मोहम्मद साजिद खां व उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एम. एल. छीपा को पुरस्कार प्रदान किया गया। पांचवें स्थान पर बारां जिले के जिला कलेक्टर बारां श्री ललित कुमार गुप्ता, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. शरद पारीक को सम्मानित किया गया।

पंचायत समिति वर्ग में वर्ष 2014-15 में नसबंदी, संस्थागत प्रसव एवं बच्चे के पूर्ण टीकाकरण में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर जयपुर जिले की पंचायत समिति कोटपूतली के प्रधान श्रीमती मंजू यादव व ब्लॉल चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशीष सिंह शेखावत को प्रथम पुरस्कार, द्वितीय स्थान पर पंचायत समिति श्रीगंगानगर के प्रधान श्री पुरूपोषत्तम सिंह बरार व ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डॉ. फूलचन्द गैदर, तीसरे स्थान प्राप्त करने पर वाली भीलवाड़ा जिले की पंचायत समिति बनेड़ा के प्रधान श्री राजमल खींची व ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रकाश शर्मा, चतुर्थ स्थान प्राप्त करने पर बारां जिले की पंचायत समिति शाहबाद की प्रधान सुश्री निधि चन्देल व ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डॉ. रवि प्रकाश नागर को पुरस्कृत किया गया।

ग्राम पंचायतों में प्रथम स्थान पर आयी भीलवाड़ा जिले की ग्राम पंचायत महुआखुर्द की सरपंच श्रीमती प्रीति बाला व एनएनएम श्रीमती माया रमानी, दूसरा स्थान प्राप्त करने वाली कोटा जिले की ग्राम पंचायत मंडावरा के सरपंच श्री बजरंग लाल नागर व चिकित्साधिकारी डॉ. यागवेन्द्र, तीसरे स्थान पर हनुमानगढ़ जिले की ग्राम पंचायत कनवानी के सरपंच श्री अंग्रेज कुमार व एएनएम श्रीमती जसवाल कौर को पुरस्कार दिया गया।

सरकारी चिकित्सा संस्थानों में प्रथम झुंझुनू जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बुहाना के डॉ. राधेश्याम शर्मा, निजी चिकित्सा संस्थानों में प्रथम हरीओम हॉस्पिटल उदयपुर के डॉ. वी.एस.राव एवं गैर सरकारी संगठनों में प्रथम मैरी स्टोप्स इंडिया-जयपुर के श्री सचिन जुनेजा को पुरस्कार प्रदान किया गया।

कार्यक्रम में निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. बी.आर.मीणा, निदेशक आरसीएच डॉ. वी.के. माथुर, निदेशक एड्स डॉ. एस.एस. चौहान, परियोजना निदेशक एनआरएचएम श्री अनिल अग्रवाल सहित चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के राज्य एवं जिला स्तरीय अधिकारियों ने भी शिरकत की। कार्यक्रम का संचालन सहायक निदेशक श्री गोविन्द पारीक ने किया।

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