- June 23, 2015
सम्पत्ति ई-पंजीयन की व्यवस्था एक जुलाई 2015 से पूरे प्रदेश में लागू
सम्पत्ति के ई-पंजीयन की व्यवस्था एक जुलाई 2015 से पूरे प्रदेश में लागू हो जायेगी। यह व्यवस्था जिला मुख्यालयों के साथ-साथ सभी उप पंजीयक कार्यालयों में रहेगी। यह व्यवस्था लागू होने के बाद ई-रजिस्ट्रेशन पद्धति ‘सम्पदा’ द्वारा भी अब सम्पत्ति का रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकेगा। जिन दस्तावेजों का पंजीयन रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1908 में अनिवार्य नहीं है, उनका ई-पंजीयन ऐच्छिक रहेगा। उल्लेखनीय है कि 5 जिले के मुख्यालयों पर 15 दिसम्बर 2014 से ई-पंजीयन (सम्पदा) की व्यवस्था लागू की गई थी। यह जिले हैं उज्जैन, सीहोर, टीकमगढ़, बालाघाट और अनूपपुर। इन जिले में अभी तक 14 हजार 235 ई-पंजीयन हो चुके हैं। इन जिले में भौतिक पंजीयन की व्यवस्था पूरी तरह समाप्त हो गई है। सबसे ज्यादा 7258 ई-पंजीयन उज्जैन में, 2014 सीहोर, 1128 अनूपपुर, 1393 टीकमगढ़ और 2316 ई-पंजीयन बालाघाट में हुए हैं। इन ई-पंजीयन से शासन को ई-स्टाम्प के जरिये 64 करोड़ 73 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। प्रदेश में होने वाले पंजीयन की स्थिति को हर आधा घंटे में अपडेट किया जाता है। कोई भी व्यक्ति mpigr.gov.in पर जाकर वहाँ सम्पदा में लॉग-इन कर घर बैठे अपनी सम्पत्ति के मूल्यांकन का पता कर सकता है। यह मूल्यांकन जिले की कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार होता है। साथ ही बेंक से लिये जाने वाले लोन और लगने वाली ड्यूटी का भी घर बैठे ही पता लगाया जा सकता है। लाभ आम लोगों को अब स्टाम्प वेण्डरों एवं कोषालय से प्रिंटेड स्टाम्प प्राप्त करने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। इन्टरनेट बेंकिंग से या सर्विस प्रोवाईडर के माध्यम से किसी भी कार्य के लिए ई-स्टाम्प प्राप्त कर कार्य सम्पन्न करवाया जा सकेगा। इससे कहीं भी स्टाम्प की कमी भी नहीं होगी। ई-पंजीयन व्यवस्था में कोई भी व्यक्ति इन्टरनेट के माध्यम से प्रदेश के किसी भी जिले में स्थित अपनी सम्पत्ति का बाजार मूल्य तथा उसकी खरीद-ब्रिकी पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क और पंजीयन फीस की जानकारी प्राप्त कर सकता है। इसके अलावा प्रदेश के किसी भी स्थान की रजिस्ट्री की जानकारी सर्च द्वारा प्राप्त करने के साथ-साथ रजिस्ट्री दस्तावेज की कापी आनलाइन घर बैठे प्राप्त की जा सकती है। इससे एक ही सम्पत्ति को धोखाधड़ी कर दो बार नहीं बेचा जा सकेगा। विभाग द्वारा सम्पत्ति पर बेंक द्वारा दिये गये लोन के भार की जानकारी भी आनलाइन उपलब्ध करवाने की कार्यवाही की जा रही है। सेटेलाइट मेपिंग भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और उज्जैन में मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद की मदद से नक्शों का डिजिटाइजेशन करवाया गया है। इससे सम्पत्ति के भौतिक निरीक्षण में मदद मिलेगी और सम्पत्ति की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सकेगा। इससे कर की चोरी भी रूकेगी। ई-पंजीयन व्यवस्था में दस्तावेजों पर सब-रजिस्ट्रार का डिजिटल सिग्नेचर होगा। दस्तावेज ऑप्टिकल वाट रमार्क में निकलेगा। इसमें क्रिप्टो मार्क, माइक्रो प्रिटिंग और यूनिक नम्बर की व्यवस्था होगी। |