- April 15, 2015
बाल विवाह को रोकने के लिये आम जन संकल्प लें – सेशन न्यायाधीश पवन एन.चन्द्र
दिनांक 15.4.2015- राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार प्रतापगढ़ जिले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष जिला एवं सेशन न्यायाधीश पवन एन.चन्द्र के मार्ग-निर्देशन में अक्षय तृतीया एवं पीपल पूर्णिमा तक अनवरत चलने वाले बाल विवाह विरोधी जागृति अभियान के तहत ताल्लुका धरियावद के ग्राम नलवा वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-प्रशान्त शर्मा एवं प्रतापगढ़ के थड़ा गावं में सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रैट-श्रीमती सोनाली प्रशान्त शर्मा की सहभागिता में विधिक साक्षरता शिविरों का आयोजन सम्पन्न हुआ।
धरियावद क्षेत्र के गांव नलवा में आयोजित विधिक साक्षरता शिविर में वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-प्रशान्त शर्मा ने ग्रामीण जन को बाल विवाह के प्रति सचेत करते हुए सभी आमजन को उनके परिवार, गांव तथा आसपास के क्षेत्रों में सम्पन्न करवाये जाने वाले बाल विवाहों को रोकने का संकल्प दिलाया।
यह भी अपील की कि किसी भी परिस्थिति में किन्हीं अव्यस्क बालक बालिकाओं के विवाह में किसी भी प्रकार से सहायता प्रदान नहीं करें। ऐसे किसी बाल विवाह की सूचना प्राप्त होने पर उनके द्वारा सक्षम अधिकारी के समक्ष शिकायत प्रस्तुत की जा सकती है। शिकायतकर्ता का नाम उसकी ईच्छा पर गुप्त रखा जाता है।
इस अवसर पर उन्होने ने अपने उद्बोधन में उपस्थित व्यक्तियों को बताया कि जिस प्रकार से कोई फलदायक वृक्ष एक निश्चित उम्र एवं समय सीमा के पश्चात् ही फल देने की स्थिति धारण करता है, उसी प्रकार किसी बालक बालिका के विवाह हेतु भी कानून में एक निश्चित आयु सीमा निर्धारित की गयी है।
उक्त आयु सीमा से पूर्व विवाह कर दिये जाने पर बालिका का शारीरिक एवं मानसिक स्तर उसके ससुराल के उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने अथवा गर्भ धारण करने योग्य नहीं होता है। ऐसी स्थिति में बालिका समुचित रूप से शिक्षा भी प्राप्त नहीं कर पाती है एवं ना ही उसका शारीरिक रूप से विकास हो पाता है तथा कम उम्र में विवाह किये जाने अथवा गर्भ धारण करने से उसके शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही उसके बौद्धिक स्तर पर भी प्रतिकूल प्रभाव पडता
बाल विवाह विरोधी जागृति अभियान के तहत सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रतापगढ-श्रीमती सोनाली प्रशान्त शर्मा ने ग्राम थडा, में आयोजित विधिक साक्षरता शिविर में ग्रामीण भाई बन्धूओं को भारतीय समाज में होने वाले बाल विवाहों को सामाजिक बुराई बताया तथा इसे पूर्ण रूप से समाप्त करने का आव्हान करते हुये शिविर में उपस्थित ग्रामीणों को बाल विवाह नहीं किये जाने का संकल्प दिलाया।
श्रीमती शर्मा ने यह भी बताया कि बाल विवाह में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वाले प्रत्येक व्यक्ति जैसे रिश्तेदारं, हलवाई, पंडित, फोटोग्राफर, टेण्ट लगाने वाले, अतिथिगण इत्यादि भी समान रूप से दोषी होते हैं। विवाह के लिये बालिका की उम्र 18 वर्ष एवं बालक की उम्र 21 वर्ष होना आवश्यक है। इससे पूर्व उनका मन व शरीर विवाह के योग्य नहीं होता ना ही दोनों उत्तरदायित्व के निर्वहन हेतु सक्षम होते हैं।
बालिका गर्भ धारण हेतु भी सक्षम नहीं होती है। जिनके कारण संपूर्ण परिवार प्रभावित होता है। उन्होंने यह भी बताया कि यह एक विधिक उत्तरदायित्व ही नहीं है बल्कि प्रत्येक नागरिक का नैतिक कर्तव्य भी है। शिविर में लगभग 80-85 ग्रामीण उपस्थित रहे।