- March 13, 2015
‘अनुसंधान क्रियाविधि कार्यशाला’ : ‘संजीवनी’
मृत देह में जीवन डालने की दवा ‘संजीवनी’ भारत में उपलब्ध थी। बाहरी शासकों ने देश की प्राचीन उत्कृष्ट खोजों और औषधियों को दोयम दर्जा दिया। परिणाम स्वरूप हम उनसे अंजान होते गये। जरूरत है कि हम इन पर भी अनुसंधान करें। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता ने यह बातें भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर में चार दिवसीय ‘अनुसंधान क्रियाविधि कार्यशाला’ में कही। कार्यशाला 12 से 15 मार्च तक चलेगी।
श्री गुप्ता ने कहा कि देश में चरक, धनवतंरी और सुषेन जैसे महान वैद्य हुए हैं। इनकी दवाओं के फार्मूले आज भी प्रचीन ग्रंथों में उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि मरीज डॉक्टर के पास उसे भगवान मानकर आता है। डॉक्टर को मरीज के इस भरोसे को कायम रखने के लिए जरूरी है कि वह नवीनतम अनुसंधानों से उन्हें लाभान्वित करे। श्री गुप्ता ने कहा कि कार्यशाला के निष्कर्षों से हमें भी अवगत करवायें। इन्हें वे प्रदेश में लागू करवाने का प्रयास करेंगे।
निदेशक भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, भोपाल प्रोफेसर विनोद सिंह ने अनुसंधान, विज्ञान और प्रकृति के समावेश को समझने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएँ सभी शिक्षण संस्थायों में होनी चाहिए। महानिदेशक विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद् प्रोफेसर प्रमोद वर्मा ने भी सही अनुसंधान विधियों की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सभी शैक्षिक क्षेत्रों में अनुसंधान विधि को सही रूप से जानने की जरूरत है।
निदेशक भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल डॉ.प्रोफेसर मनोज पांडे ने कार्यशाला के उद्देश्य बताये। कार्यशाला में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् के वरिष्ठ वैज्ञानिकों सहित देश के शिक्षकों, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली, आईएमएस, बीएचयू और UCMS दिल्ली, एनआईई चेन्नई से आये प्रोफेसर व्याख्यान देंगे। कार्यशाला में भोपाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, झारखंड और उत्तर प्रदेश के डॉक्टर शामिल हैं।