- March 4, 2015
रेत खनन नीति-2015 मंजूर
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज सम्पन्न मंत्री-परिषद् की बैठक में जन-सामान्य को तर्कसंगत मूल्य पर रेत की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए रेत खनन नीति-2015 को मंजूरी दी गई। खनन नीति में प्रावधान किया गया है कि मध्यप्रदेश राज्य खनिज निगम जिन 18 जिले की 53 तहसील में रेत खदानों का संचालन कर रहा है, वह इन जिलों की सभी तहसील में यह कार्य करेगा। शेष 33 जिले में कलेक्टर द्वारा रेत खदानों की नीलामी ई-ऑक्शन के माध्यम से की जाएगी। इसी प्रकार निगम द्वारा उसके पक्ष में स्वीकृत रेत खनिज के उत्खनि पट्टे से रेत विक्रय के ठेके ई-ऑक्शन के माध्यम से दिये जायेंगें। इस प्रक्रिया में भाग लेने वाले व्यक्ति को अब शासकीय बोली की 25 प्रतिशत राशि की बजाय 10 प्रतिशत राशि अमानत के रूप में जमा करनी होगी। अमानत राशि ई-पेमेंट के माध्यम से जमा की जाएगी। ई-ऑक्शन और अमानत राशि के युक्तियुक्त किये जाने से प्रक्रिया सरल बनेगी और पारदर्शिता बढ़ेगी। इस प्रक्रिया से ज्यादा से ज्यादा लोग रेत के व्यवसाय से जुड़ सकेंगे और रोजगार के नये अवसर निर्मित होंगें। रेत खनन नीति में ई-ऑक्शन/ई-टेंडर में अपसेट मूल्य अनुमोदित खनन योजना अथवा खनन योग्य उपलब्ध रेत मात्रा के आधार पर नियत करने का प्रावधान किया गया है। रेत खनन नीति में मध्यप्रदेश राज्य खनिज निगम के पक्ष में स्वीकृत खदानों से 10 किलोमीटर की परिधि में कोई अन्य रेत खदान स्वीकृत नहीं किये जाने के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है। निगम द्वारा वर्तमान में दी जा रही रायल्टी के समतुल्य राशि लिये जाने का प्रावधान भी समाप्त किया गया है, जिससे उपभोक्ता को सस्ते दाम पर रेत उपलब्ध हो सकें। इसके अलावा बाँध/जलाशय से निकलने वाली रेत खनिज के निवर्तन का प्रावधान भी किया गया है। संचालित रेत खदानों से ग्रामीण लोग स्वयं के उपयोग के लिए नि:शुल्क रेत खनिज प्राप्त कर सकेंगें। नीति में रेत के अधिकाधिक क्षेत्रों को खदान घोषित करने तथा पर्यावरण संतुलन के लिए पर्यावरण स्वीकृति को अनिवार्य करते हुए अधिकतम रेत मात्रा का दोहन किये जाने का प्रावधान है। खुले बाजार में अधिक रेत उपलब्ध होने से यह सस्ते दाम पर उपभोक्ताओं को आसानी से मिल सकेंगी। साथ ही शासन को अधिक राजस्व प्राप्त होगा। संविदा शाला शिक्षक मंत्री-परिषद् द्वारा संविदा शाला शिक्षक श्रेणी-1, श्रेणी-2 और श्रेणी-3 के नियोजन की प्रक्रिया के निर्धारण को मंजूरी दी गयी। इसमें अतिथि शिक्षकों को चयन में अतिरिक्त अंकों का अधिभार दिये जाने का प्रावधान भी शामिल है। जिस अतिथि शिक्षक ने मध्यप्रदेश की एक या अधिक शासकीय शिक्षण संस्था में 200 से 399 दिवस तक शिक्षण कार्य किया हो, उसे पाँच अंक का अधिभार दिया जायेगा। 400 से 599 दिवस तक कार्य करने वाले शिक्षक को दस अंक और 600 दिवस से अधिक कार्य करने वालों को 15 अंक का अधिभार दिया जायेगा। डायल-100 कंट्रोल रूम के लिये 632 करोड़ की परियोजना मंत्री-परिषद् ने आम लोगों को संकट की स्थिति में जल्दी से जल्दी पुलिस सहायता उपलब्ध करवाने की दृष्टि से राज्य स्तरीय डायल-100 कंट्रोल रूम एवं कमाण्ड सेन्टर स्थापित करने की परियोजना की पुनरीक्षित लागत 632 करोड़ 94 लाख रुपये को मंजूरी दी। सेन्टर की स्थापना का उद्देश्य नागरिकों को जल्दी पुलिस सहायता पहुँचाने के साथ-साथ पुलिस व्यवस्था को अधिक जनोन्मुखी तथा उत्तरदायी बनाना है। यह योजना राज्य के दृष्टि पत्र-2018 में शामिल है। पवन ऊर्जा परियोजना नीति मंत्री-परिषद् ने वर्ष 2012 में स्वीकृत पवन ऊर्जा परियोजना नीति में संशोधन का निर्णय लिया। इसके अनुसार अब आवदेक निजी भूमि पर परियोजना स्थापना के लिए कभी भी परियोजना आवंटन के लिए आवेदन कर सकेंगे। ऐसी परियोजनाओं को 24 माह में क्रियाशील करना होगा। साथ ही विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन भूमि संबंधी दस्तावेजों के साथ आवंटन के छह माह के अंदर प्रस्तुत करना होगा। वन भूमि पर परियोजना स्थापना के मामले में शासकीय भूमि के लिए एक बार के विज्ञापन में अधिकतम 100 मेगावाट की सीमा लागू नहीं रखी गई है। आत्मा में नये पद मंत्री-परिषद् ने प्रदेश में कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम (आत्मा) में स्वीकृत पदों के अतिरिक्त 313 नये पद की मंजूरी दी। इनमें संविदा आधार पर राज्य स्तर के लिए जेण्डर समन्वयक तथा प्रत्येक विकास खंड के लिए अतिरिक्त सहायक टेक्नालॉजी मेनेजर के पद शामिल है। आगर जिले के लिए एक परियोजना संचालक, दो उप-परियोजना संचालक, एक लेखापाल सह-लिपिक और एक कम्प्यूटर प्रोग्रामर का पद स्वीकृत किया गया है। मंत्री-परिषद् ने कृषक मित्र का मानदेय 4,000 से बढ़ाकर 6,000 करने का निर्णय लिया। कपास को मंडी फीस से छूट मंत्री-परिषद् ने प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में कपास पर मंडी फीस में एक वर्ष तक एक प्रतिशत छूट देने का निर्णय लिया। इससे कपास के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने में सहायता मिलेगी। सर्व सेवा परियोजना मंत्री-परिषद् ने शासन के विभिन्न विभाग द्वारा दी जा रही अधिक से अधिक सेवाओं को लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम-2010 के अन्तर्गत लाने के लिए विश्व बेंक द्वारा पोषित सर्व सेवा परियोजना को मंजूरी दी। लोक सेवाएँ सिंगल सर्विस डिलेवरी गेटवे के माध्यम से दी जायेगी। जिला स्तर पर कलेक्टर कार्यालय के बेक-एण्ड ऑफिस ऑटोमेशन का कार्य किया जायेगा। सेवाओं के प्रमाण-पत्रों के लीगेसी डाटा का डिजिटाइजेशन कर इलेक्ट्रानिक रिपॉजिटरी में संरक्षित किया जायेगा। सर्व सेवा केन्द्रों/लोक सेवा केन्द्रों को चलाने के लिए आईटी अधोसंरचना को और मजबूत किया जायेगा। |
|
दिनेश मालवीय |