- February 15, 2015
राष्ट्रीय आदिवासी उत्सव-2015 ‘वनज’ – मंत्री श्री जुएल उरांव
इस मौंके पर श्री उरांव ने कहा कि यह मौका हमें भूतकाल में ले जाता है। विशेषकर यह हमें आदिवासी साप्ताहिक हाट की याद दिलाता है जहां हम मनोरंजन के साथ-साथ गांव के इन बाजारों से रोजमर्रा की सामग्रियां खरीदा करते थे। उन्होंने कहा कि यह सप्ताह शहर में रहने वाले लोगों को देश के दूर-दराज इलाकों में रहने वाले आदिवासी भाई-बहनों से सीधे संपर्क करने का मौका प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह के संपर्क हमारे विविध संस्कृति व समाज में एकजुटता की भावना को मजबूत करता है।
आईजीएनसीए फिलहाल ग्रामीण आदिवासी बाजार और सांस्कृतिक मंच के रूप में तबदील हो चुका है। जहां दर्शकों को ग्रामीण शिल्प, दवाएं और जड़ी-बुटियों से रूबरू होने का मौका मिल रहा है। ये सारे कार्य इसलिए किये जा रहे ताकि देश की संपन्न आदिवासी संस्कृति, कला, चित्रकला, संगीत, नृत्य, आदिवासी दवाएं, खान-पान और विशेषकर आदिवासी व्यंजन की विविधता को प्रदर्शित किया जा सके।
इस मौके पर आईजीएनसीए सभागृह में वृत चित्रों ‘लोढा-ए सिलवान कम्यूनिटी’ और ‘प्रकृति की सन्तान-मिसिंग ट्राइब’ को भी दिखाया गया। साथ ही पारम्परिक आदिवासी ज्ञान, सूझ-बूझ और कौशल पर एक सम्मेलन का आयोजन किया गया।