प्रधानमंत्री कार्यालय: 2022 तक “सबके लिए मकान” की समीक्षा – प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री कार्यालय: 2022 तक “सबके लिए मकान”  की समीक्षा – प्रधानमंत्री

नई दिल्ली –  यह बैठक ‘सबके लिए मकान’ मिशन की रूपरेखा तय करने के लिए हुई। सबके लिए मकान सरकार की प्राथमिकता वाली प्रतिबद्धताओं में एक है। जून 2014 में संसद में राष्‍ट्रपति के अभिभाषण में इसका उल्‍लेख हुआ था। अभिभाषण के अनुसार ‘’देश की स्‍वतंत्रता के 75 वर्ष पूरा होने तक प्रत्‍येक परिवार का एक पक्‍का मकान होगा, मकान में पानी का कनेक्‍शन, शौचालय सुविधा, सातों दिन 24 घन्‍टे बिजली सप्‍लाई होगी।

सरकार की यही प्रतिबद्धता 2014-15 के बजट भाषण में सबके लिए मकान की घोषणा में भी व्‍यक्‍त की गई थी। वित्‍त मंत्री ने कहा था ‘’हमारी सरकार 2022 तक सबके लिए मकान देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए मैं गृह ऋण पर अतिरिक्‍त कर प्रोत्‍साहन घोषणा करता हूं ताकि लोग विशेषकर युवा अपना घर बना पायें।

मैं राष्‍ट्रीय आवास बैंक के सहयोग से कम लागत आवास मिशन स्‍थापित करने का प्रस्‍ताव रखता हूं। कम लागात के मकान विकसित करने के लिए प्रोत्‍साहन योजनाएं लाई की जाएंगी।

सरकार की इस प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री इस विजन और प्रतिबद्धता को रूप देने के लिए बैठकें करते रहे हैं। प्रधानमंत्री 22 दिसम्‍बर, 2014 को पिछली बैठक में कार्यक्रम के मूल तत्‍वों पर सहमति वयक्‍त की थी और प्रस्‍ताव को ठीक करने को कहा था। आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय ने बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुरूप कार्यक्रम को नया रूप दिया और कार्यक्रम की अन्तिम डिजाइन प्रधानमंत्री को प्रस्‍तुत की गई।

प्रधानमंत्री को मकान की इस विशाल आवश्‍यकता को पूरा करने में अपनाई जाने वाली दृष्टि के बारे बताया गया। प्रधानमंत्री के समक्ष केन्‍द्रीय तथा राज्‍य स्‍तर पर डिलिवरी व्‍यवस्‍था की पूरी तस्‍वीर प्रस्‍तुत की गई।

2022 तक देश में 2 करोड़ मकान बनाने का प्रस्‍ताव इस कार्यक्रम में है। ऐसे मकान स्‍लम आवास तथा कमजोर वर्गों के लिए वहन करने योग्‍य मकान होंगे। इसके तहत मलिन बस्तियों में रहने वाले शहरी गरीब, शहरी बेघर तथा आश्रय की खोज में शहरी क्षेत्रों में आए प्रवासी कवर किये जाएंगे। यह कार्यक्रम मेट्रों शहर, छोटे शहर तथा सभी शहरी क्षेत्रों में चलाया जाएगा।

यह कार्यक्रम ऐसे मकानों की मांग की समीक्षा तथा संसाधन आवश्‍यकताओं की पहचान के लिए आधारभूत सर्वें से प्रारम्‍भ किया जाएगा। इसके तहत दिल्‍ली में 6 लाख मकान, मुम्‍बई में 16 लाख, चेन्‍नई में 4 लाख तथा कोलकाता में 4 लाख मकान बनेंगे। मांग समीक्षा पूरी होने के बार यह आकंडा ऊपर भी जा सकता है।

इस कार्यक्रम में शहरी सुधार अंग भी शामिल है ताकि शहरी आवास के लिए संसाधन और क्षमता सृजन हो, मार्ग निर्देशक वयवस्‍था हो, और सरकारी समर्थन के साथ-साथ बैंक फाइनेसिंग के अतिरिक्‍त लाभाथिर्यों की ओर से महत्‍वपूर्ण योगदान हो। कार्यक्रम के बड़े हिस्‍से का वित्‍त पोषण पीपीपी मोड में शहरी क्षेत्रों में भूमि तथा अन्‍य संसाधन का लाभ उठाकर किया जाएगा। कार्यक्रम में अनेक प्रक्रिया सुधार तथा नीति परिवर्तन अंतर्निहित है।

प्रधानमंत्री ने सभी संबद्ध विभागों से कार्यक्रम को तत्‍काल अन्तिम रूप देने तथा वैकल्पिक आवास आवश्‍यकताओं के लिए वित्‍त मॉडल तय करने का निर्देश दिया। उन्‍होंने यह सुनिश्चित करने की आवश्‍यकता पर जोर दिया की इस महत्‍वकांक्षी कार्यक्रम को शुरू करने में गुणवत्‍ता से समझौता न हो।

प्रधानमंत्री ने तटीय क्षेत्रों, पर्यावरण संवेदी क्षेत्रों तथा आपदा संभावना वाले इलाकों की सुरक्षा चिन्‍ताओं को शहरों की नियोजन प्रक्रिया शामिल करने का निर्देश दिया। उन्‍होंने कहा कि सफलता की महान कहानियों तथा नवाचारी टैक्‍नोलॉजी का सावधानीपूर्वक अध्‍ययन किया जाना चाहिए ताकि योजना को लागू करने में श्रेष्‍ठ व्‍यवहारों को अपनाया जा सके।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नई योजना के अतंर्गत प्रथम प्राथमिकता गंगा तथा इसकी सहायक नदियों के किनारे बसे शहरों और नगरों को दी जानी चाहिए।

बैठक में शहरी विकास मंत्री श्री वेंकैया नायडू, शहरी विकास राज्‍य मंत्री श्री बाबूल सुप्रियो और वरिष्‍ट अधिकारी उपस्थिति थें।

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