- January 19, 2015
संचार तंत्र ने कम की दूरियाँ – डॉ. दीपक आचार्य
वह दिन अब लद गए जब बैठकों के लिए मीलो का सफर तय कर आने की परपंरा थी। समय, धन व परिश्रम सब कुछ खर्च होता था और दूसरी समस्याएँ रहती थी वो अलग।
सरकारी तंत्र में विचारों, योजनाओं, कार्यक्रमाें व सूचनाओं के आदान-प्रदान में बैठकाें की अनिवार्यता हर स्तर पर महसूस की जाती रही है। पारस्परिक वैचारिक चिंतन व निर्देंशाें के सवंहन के लिए बैठकों की भूमिका स्वयंसिद्ध है।
लेकिन अब कुछ समय से बैठकाें के मामले में अत्याधुनिक संचार तन्त्र व इससे जुड़ी सुविधाओं का इस्तेमाल राज-काज में तेजी से बढ़ा है। इस अत्याधुनिक संचार प्रणाली के प्रयोग के प्रति बढ़ती रही जागरुकता व सहज स्वीकार्यता ने राज- काज के निर्वहन को काफी हद तक आसान व शीघ्रगामी कर दिया है।
ख़ासकर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये होने वाली बैठकों की उपादेयता व गुणवत्ता भी कई गुना बढ़ गई है। राज-काज के बेहतर निर्वहन के साथ ही सुराज के संकल्पों को साकार करने की दिशा में हो रहे प्रयासों को खासा सम्बल मिला है।
सहज हुआ संवाद सम्पर्क
अब सैकड़ों -हजारों किलोमीटर दूर बैठे भी वीसी के माध्यम से एक समय में एक साथ कई स्थानों पर बैंठे व्यक्तियों या समूहों से सम्पर्क स्थापित कर आपस में स्पष्ट रूप से शृव्य-दृश्य चर्चा होने लगी है। इससे संदेशों का तीव्र पारस्परिक संवहन होने लगा है। सीधे संवाद में मुखातिब होने वाला हर शख्स सारी बातों एवं विषयों के प्रति अपनी स्पष्ट समझ भी बना सकता है व कुछ समझ नहीं आने की स्थिति में दुबारा भी पूछकर स्थिति स्पष्ट कर सकता है।
इसके साथ ही आलोच्य विषय से सम्बंधित जिज्ञासा या शंका का भी समाधान हाथोें-हाथ हो जाता है। यह स्थिति सूचना देने जाने वाले और सूचना पाने वाले लक्ष्य समूह दोनों के लिए आदर्श व पूर्ण पारदर्शी कही जा सकती है।
समय, श्रम व धन की बचत
वीडियो कांफ्रेंसिंग का नेटवर्क अब दिल्ली व जयपुर से लेकर जिलाें, उपखण्ड मुख्यालयों व ब्लॉक मुख्यालयों तक पसरा हुआ है। वीडियो कांफ्रेंसिंग ने बैठकों के लिए आवागमन की तमाम झंझटों को दूर कर दिया है, समय व श्रम की बचत की है।
अब तक होती रही बैठकों में दफ्तर का मुखिया ही भाग लेता रहा है जिसके माध्यम से ऊपर के निर्देशोें को निचले स्तर के अधिकारियों व कार्मिकाें तक पहुंचाने की कुछ न कुछ खामियों का रहना या सभी की समझ स्पष्ट होने मे दिक्कतें महसूस होने की सम्भावना भी स्वाभाविक तौर पर बनी रहती थी लेकिन वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से होने वाली बैठकाें में अब ऊपर से लेकर नीचे के तक के तमाम स्तर के अधिकारियों के साथ ही सम्बंधित विषय से सम्बद्ध कार्मिकों की भी भागीदारी रहने लगी है। पहले बैठकों में आने वाले अधिकारी जानकारी या दस्तावेज पेश कर पाने की स्थिति में नही होते थे लेकिन अब कुछ भी जानकारी या दस्तावेज चाहे जाने पर तत्काल उपलब्ध हो सकने की सुविधा है। अब अक्सर वीसी के दौरान अधिकारियों के साथ मातहताें की पूरी टीम बैठने लगी है। इससे वांछित जानकारी की त्वरित प्राप्ति भी अच्छी तरह सुनिश्चित हुई है।
निर्देशों का क्रियान्वयन हुआ आसान
इसका फायदा यह है कि कोई सा विषय, विचार या निर्देश अब पूरी सहजता व सरलता से उन सभी तक पहुँचने लगा है जिन पर क्रियान्वयन का जिम्मा है। इससे राजकीय योजनाओं व कार्यक्रमों के क्रियान्वयन को गति मिली है व राज-काज का संपादन काफी हद तक चमत्कारिक रूप से आसान होता जा रहा है।
अब इस संचार सुविधा को ग्राम पंचायत स्तर तक ले जाने की कवायद की जा रही है ताकि सुराज के लिए ई-गवर्नेन्स का भरपूर उपयोग किया जा सके।
समस्या समाधान ने पायी रफ्तार
राजधानियों, संभाग व कई जिला मुख्यालयाेंे पर अब एकाधिक वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष हैं जबकि ब्लॉक स्तर पर भी यह सुविधा उपलब्ध है। वीडियो कान्फ्रेंसिंग के प्रयोग ने जन समस्याओं व क्षेत्रीय समस्याओं के निराकरण की दिशा में भी क्रांतिकारी बदलाव दर्शाया है। अब समस्या सुनने के लिए अकेला स्थानीय अधिकारी ही मौजूद नहीं होता बल्कि विभागीय अधिकारियों की ऊपर तक की पूरी श्रृंखला इसे सुनती व देखती है इससे समस्याओं के हल होने की संभावनाएं बलवती हुई हैं। समस्या समाधान की दिशा में वीडियो कान्फ्रेंसिंग से जन सुनवाई में हाथों हाथ निस्तारण प्रभावित लोगों के लिए वरदान सिद्ध हुआ है।
इन सभी स्थितियों को देखते हुए यह कहना समीचीन होगा कि वीडियो कान्फ्रेंसिंग युग का राज-काज सुशासन की स्थापना में महत्त्वपूर्ण आयाम स्थापित करेगा।
राजस्थान बन रहा अग्रणी
इस मामले में राजस्थान प्रदेश में विभिन्न स्तरों पर हो रहे बेहतर व बहुआयामी प्रयासों ने प्रदेश को ई-गवर्नेंस की दिशा में बेहतर मुकाम दिया है। सरकार की ठोस पहल व जनोन्मुखी प्रयासों ने राजस्थान में लोक मंगल की धाराओं का प्रवाह तीव्रतर किया है, यह गर्व का विषय है।
सुशासन का सुनहरा स्वरूप आएगा सामने
आई.टी.विशेषज्ञ, कोटा एनआईसी के प्रभारी अधिकारी श्री मुकेश कुमार झा मानते हैं कि अत्याधुनिक संचार सुविधाओं भरी इस नई व्यवस्था से शासन-प्रशासन के कार्य सम्पादन में तेजी आई है और जैसे-जैसे इसका प्रसार होगा, लोक कल्याण के लक्ष्य पाने मे सहूलियतें होंगी व सुशासन का प्रभावी तथा सुनहरा स्वरूप सामने आएगा।