• January 17, 2015

निर्माण क्षेत्र के सुदृढ़ होने से सफल होगा ‘मेक इन इंडिया’

निर्माण क्षेत्र के सुदृढ़ होने से सफल होगा ‘मेक इन इंडिया’

जयपुर – वैश्विक मंदी के दौर से गुजरने के बावजूद भारत में कई वर्षों से चली आ रही बेहतर वृद्घि दर में सेवा क्षेत्र का बड़ा योगदान है। यदि देश की अर्थव्यवस्था में निर्माण क्षेत्र का भी योगदान बढ़े तो भारत शीघ्र ही विश्व की सर्वश्रेष्ठ अर्थव्यवस्थाओं में सम्मिलित हो सकता है और देश में ‘मेक इन इंडिया’  कार्यक्रम का लक्ष्य पूरा हो सकता है।

ये विचार केन्द्र सरकार के औद्योगिक नीति एवं प्रचार विभाग के सचिव श्री अमिताभ कान्त ने व्यक्त किए। श्री कान्त बिड़ला ऑडिटोरियम में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की ओर से आयोजित पार्टनरशिप समिट के दूसरे दिन शुक्रवार को आयोजित हुए चतुर्थ सत्र में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। ‘मेक इन इंडिया: ऑफरिंग ए न्यू पार्टनरशिप अपॉच्र्युनिटी टू इंडस्ट्री’ विषय पर आयोजित हुए इस सत्र में श्री अमिताभ कान्त ने कहा कि भारत के सामने 9-10 प्रतिशत की लगातार वृद्घि दर बनाए रखने की चुनौती है और इसे तभी पूरा किया जा सकता है, जब यहां की युवा पीढ़ी के लिए रोजगारों का सृजन किया जाए। देश में रोजगार के अधिक अवसर तभी सृजित होंगे, जब निर्माण क्षेत्र को सशक्त किया जाएगा।

श्री कान्त ने ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कहा कि इसका उद्देश्य देश को व्यापार के लिए आसान स्थल बनाना है। उन्होंने कहा कि इसके अन्तर्गत एक ही सिंगल फॉर्मेट से सभी व्यावसायिक जरूरतें पूरी करने और औपचारिकताओं को कम से कम किया जा रहा है, जिससे देश में विकास का माहौल बन सके। उन्होंने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मामले में देश को उदारवादी बनाए जाने की बात भी कही। इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में हुए विकास के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि देश में विभिन्न कॉरिडोर तैयार किए जा रहे हैं, तथा स्मार्ट शहर बनाए जा रहे हैं।

सत्र का संचालन करते हुए सीआईआई नेशनल कमेटी ऑन एचआर के अध्यक्ष श्री टी.वी. नरेन्द्रन ने ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की भूमिका रखी और देश के विभिन्न राज्यों में निवेश को लेकर सकारात्मक प्रतिस्पर्धा को अच्छा संकेत बताया। उन्होंने श्रम सुधार को लेकर किए जा रहे प्रयासों में राजस्थान को देश में अग्रणी बताया।

साउथ ऑस्ट्रेलिया के निवेश एवं व्यापार मंत्री श्री मार्टिन हेमिल्टन-स्मिथ ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आर्थिक संबंधों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि शिक्षा और कौशल के मामले में भी दोनों देशों के बीच बेहतर तालमेल है और बड़ी संख्या में भारतीय विद्यार्थी साउथ ऑस्ट्रेलिया में अध्ययन के लिए आते हैं। उन्होंने राजस्थान से साउथ ऑस्ट्रेलिया की तुलना करते हुए कहा कि वहां भी जल संसाधन की कमी है और इसके संरक्षण के प्रयास हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि पानी के बिना वैश्विक अर्थव्यवस्था का अस्तित्व संभव नहीं।

फ्रांस के ऑर्गेनाइजेश फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डवलपमेंट (ओईसीडी) के उप महासचिव श्री विलियम डेनवर्स ने ‘मेक इन इंडियाÓ कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसमें काफी संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि श्रम शक्ति के बेहतर उपयोग से भारत विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता रखता है।

यूके इंडिया बिजनेस काउंसिल की चेयरपर्सन सुश्री पैट्रिशिया हेविट ने राजस्थानी अंदाज में ‘खम्मा घणी’ कहते हुए अपनी बात शुरू की। उन्होंने इस समिट की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि यूके का प्रशासन एवं वहां का व्यापारिक समुदाय ‘मेक इन इंडिया’ का समर्थन करता है। उन्होंने आश्वस्त किया कि भारत में जो निवेश का माहौल तैयार किया जा रहा है उसे देखते हुए यहां ब्रिटेन से और निवेश आएगा।

संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन के महानिदेशक श्री ली योंग ने कहा कि ‘मेक इन इंडियाÓ कार्यक्रम का संगठन समर्थन करता है और इसकी मदद से देश में समावेशी और सतत विकास होगा, यहां की युवा पीढ़ी को रोजगार मिलेगा और वह अधिक समृद्घ होगी।

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