- January 2, 2015
वर्षांत समीक्षा 2014-15: शौचालयों के इस्तेमाल की देशव्यापी रियल टाइम निगरानी व्यवस्था शुरू
पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय जनवरी 2015 से शौचालयों के इस्तेमाल की देशव्यापी रियल टाइम निगरानी व्यवस्था शुरू करेगा। स्वच्छ भारत मिशन को बढ़ावा देते हुए यह निगरानी व्यवस्था शुरू करने का फैसला किया गया है। इस व्यवस्था के तहत वर्ष 2019 तक खुले में मल त्याग करने की प्रवृत्ति से देश को शत प्रतिशत मुक्त कराना है। व्यवस्था के अंतर्गत देशभर में लोगों को शौचालयों के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और समय-समय पर इसके उचित प्रयोग की पुष्टि कर मंत्रालय की वेबसाइट पर ऑनलाइन सिटीजन मॉनिटरिंग के तहत मोबाइल फोन, टेबलेट्स और आईपैड का प्रयोग कर विसंगतियों को अपलोड किया जाएगा। इससे पहले केवल शौचालयों के निर्माण की ही निगरानी की जाती थी, लेकिन अब शौचालयों के निरंतर और वास्तविक प्रयोग को सुनिश्चित करने की योजना तैयार की गई है।
स्वच्छ भारत अभियान को मिशन के माध्यम से लागू करने के उद्देश्य से पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय को मजबूत किया जा रहा है। स्वच्छ भारत अभियान के लक्ष्यों को प्रभावी तरीके से प्राप्त करने के लिए और अभियान की निगरानी के लिए दो संयुक्त संचिव, चार निदेशक तथा अधीनस्थ कर्मचारियों को मिलाकर लगभग दो दर्जन अतिरिक्त कर्मचारियों को नियुक्त करने का फैसला भी किया गया है। शौचालयों में नवीन प्रौद्योगिकी को जांचने और ठोस और द्रव्य अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन भी किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की आपूर्ति और स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए एक टेलीफोन हेल्प लाइन भी शुरू की जाएगी।
मंत्रालय की अभिनव पहलें
- स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के प्रावधानों के तहत व्यक्तिगत लाभार्थी, निर्मित शौचालय अथवा संबंधित ढांचे की फोटो को अपलोड करने की व्यवस्था बनाई गई है।
- स्वच्छता का प्रशिक्षण देने के लिए प्रमुख केंद्रों की पहचान।
- राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर मीडिया के माध्यम से प्रचार की व्यवस्था।
- राज्यों के द्वारा ग्राम पंचायत स्तर पर व्यापक प्रचार-प्रसार।
- पेयजल और स्वच्छता नियोजन के लिए संयुक्त दृष्टिकोण।
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- रजोधर्म स्वच्छता प्रबंधन का विशेष ध्यान।
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- ग्रामीण विकास/पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के राष्ट्रीय स्तर निगरानी कर्ताओं के द्वारा वर्ष 2014 में 57 जिलों में कार्यों का मूल्यांकन।
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- एनबीए द्वारा स्वतंत्र रूप से राष्ट्रीय स्तर पर थर्ड पार्टी मूल्यांकन की व्यवस्था शुरू की गई
- मोबाइल की सहायता से पेयजल और स्वच्छता कार्यों की संयुक्त निगरानी
- यूनीसेफ से सहयोग से योजनाओं की खामियों का विश्लेषण
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के मुख्य उद्देश्य
ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना।
स्वच्छ भारत के विजन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता कार्यक्रमों को बढ़ावा देते हुए देश की सभी ग्राम पंचायतों को वर्ष 2019 तक निर्मल के दर्जे तक पहुंचाना।
जागरूकता पैदा कर और स्वास्थ्य शिक्षा देते हुए विभिन्न समुदायों और पंचायती राज संस्थानों को स्वच्छता सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रेरित करना।
पारिस्थितिक की सुरक्षा और स्थाई स्वच्छता के लिए किफायती और समुचित प्रौद्यागिकी को प्रोत्साहन देना।
ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्ण स्वच्छता के लिए समुदाय आधारित पर्यावरणीय स्वच्छता प्रणाली के अंतर्गत ठोस और द्रव्य अपशिष्ट प्रबंधन विकसित करना।
स्वच्छ भारत मिशन के मुख्य संघटक
गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले और गरीबीि[1] रेखा से ऊपर के चुनिंदा (सभी अनुसूचित जाति/जनजाति, छोटे और सीमांत किसान, भूमिहीन श्रमिक, शारीरिक निशक्त और जिन परिवारों की प्रमुख महिला हैं) ऐसे घरों में निजी शौचालयों के निर्माण के लिए रु. 12,000 प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है। इस राशि में केंद्र सरकार रु. 9000 (विशेष श्रेणी वाले राज्यों में रु. 10,800) तथा राज्य सरकार रु. 3000 (विशेष श्रेणी वाले राज्यों में रु. 1200) का सहयोग देगी।
सामुदायिक स्वच्छता परिसरों के निर्माण के लिए 2 लाख रुपए की सहायता दी जाएगी। इस सहायता में केंद्र 60 प्रतिशत, राज्य 30 प्रतिशत और समुदाय 10 प्रतिशत का योगदान करेंगे।
स्वच्छता सामग्री और ग्रामीण स्वच्छता बाजारों के लिए प्रत्येक जिले में 50 लाख तक की सहायता देने की योजना है।
ठोस और द्रव्य अपशिष्ट प्रबंधन के लिए कोष बनाया गया है। 150/300/500 और अधिक घरों वाली ग्राम पंचायतों के लिए 7/12/15/20 लाख की सहायता की योजना है। इस सहायता में केन्द्र 75 प्रतिशत और राज्य 25 प्रतिशत सहायता देगा।
आईईसी के लिए परियोजना लागत की 8 प्रतिशत राशि का प्रावधान। इस राशि में से 3 प्रतिशत का उपयोग केंद्र स्तर पर और पांच प्रतिशत का उपयोग राज्य स्तर पर किया जाएगा। योजना के लिए प्रशासनिक लागत के रूप में दो प्रतिशत का प्रावधान। इस राशि में केन्द्र 75 प्रतिशत और राज्य 25 प्रतिशत सहायता देगा।
योजना :
स्वच्छता एक सोच का मुद्दा है। आईईसी अभियान और अंतर व्यक्तिक संचार के माध्यम से व्यवहार में बदलाव लाने को प्रोत्साहित कर लक्ष्य प्राप्ति सुनिश्चित की जा सकती है।
आईईसी अभियान/अंतर व्यक्तिक संचार कार्यक्रमों में विभिन्न एजेंसियां जैसे- यूनीसेफ, विश्व बैंक के डब्ल्यू एसपी आदि, स्वच्छता पर कार्य कर रहे राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों जैसे- रोटरी, नेहरू युवा केंद्र, सीएलटीएस फाउंडेशन आदि की सहायता प्राप्त करना।
निर्गम (निर्माण) और परिणाम (अच्छे स्वास्थ्य को प्राप्त करने के लिए उठाए गए कदम) की निगरानी की जाएगी।
अच्छी गुणवत्ता वाले शौचालयों के निर्माण को ‘ट्रीगर’ व्यवस्था के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाएगा।
केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर मिशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रशासनिक प्रबंधन को मजबूत बनाया जाएगा। ग्राम पंचायत स्तर पर अधीनस्थ कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय शौचालयों के प्रयोग की निगरानी के परिणामों पर अपनी राय देगा। अभियान के तहत निर्गम व्यवस्था में शौचालयों के निर्माण और लागत पर निगरानी रखी जाएगी।
निगरानी व्यवस्था के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाएगा। हाथ में पकड़े जाने वाली मशीन की सहायता से लाभार्थी, शौचालय और संबंधित ढांचे की फोटो ली जाएंगी।
शौचालयों के लिए उन्नत, किफायती और उपयोग में सरल प्रौद्योगिकी की सहायता से ठोस और द्रव्य अपशिष्ट प्रबंधन किया जाएगा।
आईईसी अभियान, व्यवहार में बदलाव और शौचालय निर्माण के प्रयासों में बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों को स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत प्रोत्साहित किया जाएगा। मिशन के अंतर्गत अच्छा प्रदर्शन करने वाली ग्राम पंचायतों को अपशिष्ट और जल प्रबंधन के लिए राशि प्रोत्साहन स्वरूप दी जाएगी।
उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्तियों, संस्थानों, ग्राम पंचायतों, जिलों और राज्यों के लिए स्वच्छ भारत पुरस्कार की शुरूआत की गई है।