- December 27, 2014
पारदर्शिता लाने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय : मनरेगा स्कीमों की मोबाइल मॉनिटरिंग
नई दिल्ली – ग्रामीण विकास मंत्रालय के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानि एमजीएनआरईजीए (मनरेगा) स्कीमों के लिए मोबाइल मॉनिटरिंग व्यवस्था लागू करने की संभावना है। ऐसा आजमाइशी तौर पर किया जाएगा ताकि, सभी निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग की जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी श्रमिक कार्य स्थल पर मौजूद हैं।
इस कार्यवाही से ग्रामीण निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार रोकने में मदद मिलेगी। साथ ही, केंद्र ने हाल ही में 147 करोड़ रुपये राज्यों को इसलिए मंजूर किए हैं ताकि इन निर्माण कार्यों की सामाजिक लेखा परीक्षा सुदृढ़ बनाई जा सके। ऐसा करने से सावर्जनिक सामाजिक लेखाओं की पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए सामाजिक लेखा परीक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
यह अतिरिक्त अनुदान राज्यों को इसलिए दिया गया क्योंकि वे सांस्थानिक संरचनाओं को सामाजिक लेखा परीक्षा के लिए मुश्किल पा रहे थे और इस पर जो खर्चा आ रहा था उसे कुल मिलाकर 6 प्रतिशत प्रशासनिक व्यय में पूरा नहीं हो पा रहा था।
मनरेगा के अंतर्गत जो संपदा सृजित की जा रही थी उसकी गुणवत्ता और जीवन में सुधार के लिए बेहतर तरीका निकालने के लिए मनरेगा अधिनियम 2005 की अनुसूची–1 को संशोधित किया गया है और यह व्यवस्था कर दी गई है कि जहां तक लागत का सवाल है, 60 प्रतिशत सृजित संपदाएं सीधे खेती से जुड़ी होंगी। भूमि विकास, जल और वृक्ष भी इनमें शामिल हैं।
ये भी अधिसूचित कर दिया गया है कि श्रम घटक का 60:40 अनुपात जिला स्तर पर बनाए रखा जाएगा और यह ब्लॉक स्तर पर नहीं होगा ताकि, ग्राम पंचायतों के अलावा अन्य एजेंसियों द्वारा सृजित निर्माण कार्यों को अलग रखा जा सके। 2015-16 के बजट के मार्गदर्शक नियम इस विषय में स्पष्ट कर दिए गए है और 2500 पिछड़े ब्लॉकों में भागीदारी बढ़ाने और निर्माण कार्यों के नियोजन में वैज्ञानिक तरीके बढ़ाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। समन्वित जल-विभाजक प्रबंधन परियोजनाओं यानि आईडब्ल्यूएमपी में मनरेगा स्कीमों के लिए मार्गदर्शक नियम जारी कर दिए गए है ताकि, इन्हें स्वतंत्र रूप से शुरू किया जा सके।
मंत्रालय ने पिछले महीने एक प्रस्ताव भी तैयार किया है जिसके अंतर्गत महिला स्व-सहायता समूहों को बैंक ऋण योजना के विस्तार किए जाने की योजना है। स्व-सहायता समूहों को 100 अतिरिक्त जिलों में 4 प्रतिशत ब्याज पर ऋण दिए जाएंगे। इन महिला स्व-सहायता समूहों को ऋण सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नाबार्ड जैसे संस्थान सुझाव दें, इस पर विचार के लिए एक विशेषज्ञ महिला समूह श्रीमती ऊषा थोरट, पूर्व उप गवर्नर आरबीआई की अध्यक्षता में गठित किया गया है।
इस समूह की रिपोर्ट मिल गई है और इस पर आगे की कार्यवाही की जा रही है। स्व-सहायता समूहों के लिए ऋण लक्ष्य प्राप्त करने की कार्यवाही योजना पर केंद्रीय स्तर की समन्वय समिति में चर्चा हुई। इस समिति की बैठक 10 सिंतबर, 2014 को हुई थी। स्व-सहायता समूहों की प्रगति पर नजर रखने के लिए सावर्जनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों को सलाह दी गई है कि इससे संबद्ध आंकड़े हर महीने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, एनआरएलएम वेबपोर्टल के साथ साझा करे।
सरकार इस कार्य को ऊंची प्राथमिकता दे रही है इसलिए प्रस्ताव है कि इसका वर्तमान प्रावधान- कि यह परिव्यय एनआरएलएम परिव्यय के 25 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकता, इसे हटा दिया जाए और मांग आधारित बना दिया जाए।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना मार्गदर्शक नियम संशोधित कर दिए गए हैं और उनमें महिला स्व-सहायता समूह शामिल कर दिया गया है ताकि, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कें महिला सहायता में योगदान दे सकें। सामुदायिक आधार पर एक आजमाइशी योजना शुरू की गई है और इसे प्रदर्शन आधारित कर दिया गया है जिसमें ग्रामीण सड़कें शामिल कर दी गई हैं।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के साथ-साथ सड़कों के किनारे पेड़ लगाने की कार्यवाही शुरू की गई है। इसके लिए जुलाई 2014 में मनरेगा के अंतर्गत यह योजना जारी की गई थी। यह संतोष की बात है कि 2014-15 में पांच लाख पौधे लगाने का लक्ष्य पूरा किया गया और 1.02 करोड़ पौधे अब तक लगाए जा चुके है।
मंत्रालय ने एक परिपत्र जारी करके 16 अक्टूबर, 2014 को जारी किया था जिसके जरिए राज्यों को सेतू-सह-बाणधारा का डिजाइन बनाने की अनुमति दी गई थी ताकि, इससे वर्षां जल संचयन किया जा सके और भू-जल की भरपाई हो सके।
एनआरआरडीए सार्वजनिक मामलों के केंद्र (पीएसी) के सहयोग से उन नागरिकों को सुविधा दे रहा है कि वह ग्रामीण सड़कों को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत तीन राज्यों – मेघालय, झारखंड और राजस्थान में निर्माण को सुगम बनाएं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत सड़कों के निर्माण की राज्य परियोजनाओं पर एक अंतर-मंत्रालयी सशक्तीकृत समिति विचार करती है।
इंदिरा आवास योजना (आईएवाई) संबंधी मार्गदर्शक नियम संशोधित कर दिए गए हैं ताकि, राज्य और संघशासित प्रदेश इनमें लचीलापन पाएं और पा सकें। यह फैसला कर सकें कि इस योजना के लाभार्थियों को कितनी किस्तें और कितनी मात्रा में धन की जरूरत हैं। शर्त यह होगी कि किस्तों की अधिकतम संख्या 4 से अधिक ज्यादा नहीं होगी।
राज्यों को यह भी सलाह दी गई है कि वह तुरंत प्रधानमंत्री जन-धन योजना में इंदिरा आवास योजना के लाभार्थियों को शामिल करने की मुहिम चलाएं। खासतौर से इस अभियान में उन लाभार्थियों को शामिल किया जाए जिनके अपने बैंक खाते निकट के बैंकों में नहीं है।
ग्रामीण युवकों के लिए कौशल कार्यक्रम पर फिर से ध्यान दिया गया और पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के अंतर्गत इसकी प्राथमिकता फिर से तय की गई ताकि, ग्रामीण गरीब युवा वर्ग की क्षमता वृद्धि की जा सके और राष्ट्रीय तथा वैश्विक कौशल की जरूरतें पूरी की जा सके।
उन चैम्पियन नियोक्ताओं को प्राथमिकता देने की जरूरत है जो दो वर्षों में ग्रामीण युवा वर्ग के कम से कम 10 हजार लोगों को काम दे सके। इस मामले में तीन संस्थानों के साथ इस मंत्रालय में चैम्पियन एम्प्लॉयर के लिए एक संभवत: ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए है। प्रधानमंत्री का मेक इन इंडिया अभियान संयुक्त भागीदारी के तहत उद्योगों द्वारा आगे बढ़ाया जाएगा। ग्रामीण युवकों और युवतियों के लिए पात्रता मापदंडों का विस्तार कर दिया गया है।
संसद आदर्श ग्राम योजना नाम की एक नई योजना का अनुमोदन किया गया और 11 अक्टूबर, 2014 को इसकी शुरूआत कर दी गई। इसके अंर्तगत समन्वित मिले-जुले और संपूर्ण रूप से गांवों का विकास किया जाएगा। इस योजना के लिए मार्गदर्शक नियम जारी कर दिए गए है। अभी तक 586 संसद सदस्यों ने अपनी ग्राम पंचायतों की पहचान कर ली है।
14 अगस्त, 2014 को विचारों और नवाचार का एक बैंक शुरू किया गया। इसका उद्देश्य देशभर में नवाचारों को बढ़ावा देना है। इसके अंर्तगत ऐसी पर्यावरण व्यवस्था शुरू की जाएगी जिसमें तृणमूल स्तर के नवाचार शामिल किए जाएंगे और उन्हें विकसित किया जाएगा। इससे ग्राम विकास योजनाओं की डिजाइन और गुणवत्ता में सुधार आयेगा और उन्हें लागू करने में आसानी होगी।