वर्षांत समीक्षा 2014- सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता विभाग

वर्षांत समीक्षा 2014- सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता विभाग
  •  युवा एवं शुरू करने वाले अनुसूचित जाति के उद्यमियों के लिए ऋण वृद्धि गारंटी स्‍कीम
  • वित्‍तीय रूप से सक्षम शौचालय परियोजनाओं तथा स्‍वच्‍छता संबंधी कचरा इकट्ठा करने वाले वाहनों से संबंधित के लिए ‘स्‍वच्छता उद्यमी योजना’
  • संविधान (अनुसूचित जाति आदेश) संशोधन विधेयक 2014 पारित
  • नशाखोरी एवं नशीले पदार्थ (मादक द्रव्‍य) दुरुपयोग संशोधन, 1.1.2015 से प्रभावी
  • सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता विभाग     

नई दिल्ली  –  सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता (सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता विभाग) को समाज के पिछडे तबकों के सशक्‍तीकरण का काम सौपा गया है। इसके लक्ष्‍य समूह यह हैं- (1) अनुसूचित जाति (अ.जा) (2) अन्‍य पिछडे वर्ग (ओबीसी) (3) वरिष्‍ठ नागरिक तथा (4) नशीले पदार्थेां के दुरुपयोग से पीडि़त जन।

2013-2014 में योजना परिव्‍यय में वृद्धि

2013-2014 में इस मंत्रालय के योजना परिव्‍यय में 1.65 प्रतिशत वृद्धि की गई और यह राशि रुपये 6165 करोड़ हो गई। इस मंत्रालय को जो योजना परिव्‍यय आवंटित किया गया, उसमें 11वीं योजना के 11655.20 करोड़ से बढ़ाकर 12वीं योजना अवधि में रुपये 29400 करोड़ कर दिया गया।

2014 में समाज के कमजोर वर्गों को सशक्‍तीकृत करने के जो उपाय किये गये उनका विवरण नीचे दिया जा रहा है-

1. अनुसूचित जातियों का विकास

अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों (अत्‍याचार निवारण) अधिनियम 1989: अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों (अत्‍याचार निवारण) अधिनियम 2014, लोकसभा में 16.07.2014 को यह विधेयक पेश किया गया। यह विधेयक लोकसभा ने 17.07.2014 को विचार के लिए सूचीबद्ध किया और माननीय अध्‍यक्ष के निर्देश पर इस विधेयक को संसद की स्‍थायी समि‍ति‍ विभाग को जांच एवं रिपोर्ट के लिए भेजा गया।

संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (संशोधन) विधेयक 2014: इस विधेयक को यह संविधान संशोधन विधेयक केरल राज्‍य (ऐसी ही दो जातियों को शामिल किये जाने के बारे में), मध्‍य प्रदेश (ऐसी ही एक जाति को शामिल किये जाने के बारे में), ओडीशा (ऐसी ही चार जातियों को शामिल किये जाने के बारे में), त्रिपुरा (ऐसी ही तीन जातियों के शामिल किये जाने के बारे में) और सिक्‍कि‍म (ऐसी ही एक जाति को बाहर करने के बारे में) था और इसे लोकसभा में 11.08.2014 को पेश किया गया। इस विधेयक को लोकसभा ने 27.11.2014 को और राज्‍य सभा ने 08.12.2014 को पास कर दिया है। इस विधेयक को अब राष्‍ट्रपति के पास उनकी सहमति के लिए भेजा गया है।

संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (संशोधन) विधेयक 2014: इस के जरिए आठ ऐसी ही जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने का प्रस्‍ताव है। ये जातियां हरि‍याणा (एक), कर्नाटक (एक), ओडीशा (छह), दादरा एवं नगर हवेली (एक) तथा उत्तराखंड की जगह राज्‍य का नाम उत्‍तरांचल रखने संबंधी विधेयक राज्‍य सभा में 11.02.2014 को पेश किया गया। यह विधेयक संसद की स्‍थायी समिति जो सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता से संबंधित है, को जांच और रिपोर्ट के लिए भेज दी गई। इस समि‍ति की 26.11.2014 को बैठक होने वाली थी। इसमें अनुसूचित जाति के राष्‍ट्रीय आयोग के विचार सुने गये, साथ ही, सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता विभाग के सचिव और भारत के महापंजीयक के विचार सुने गये।           

अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों का संशोधन (अत्‍याचार निवारण) नियम 1995: इन नियमों को 1995 में अधिसूचित किया गया था। 23.12.2011 को इन्‍हें पुनरीक्षित किया गया। इन नियमों में और संशोधन करके 50 प्रतिशत वृद्धि की गई और दण्‍ड राशि 75,000 से 7,50,000 लाख (अपराध के अनुसार) को 23.06.2014 को अनुमोदित कर दी गई। इस समय इस पर भारत के असाधारण गजट में अधिसूचित करने की प्रक्रिया चल रही है।

अनुसूचित जातियों के लिए काम करने वाले स्‍वयंसेवी संगठनों को दी जाने वाली अनुदान राशि में वित्‍तीय संशोधन करके उसमें वृद्धि करना (पि‍छला संशोधन 1998 में): इस योजना को पुनरीक्षित कर दिया गया है और इसकी सूचना राज्‍यों/संघ शासित प्रदेशों को 15 जुलाई, 2014 के पत्र द्वारा भेज दी गई है। निम्‍नलिखित संशोधन किये गये हैं-

  • आमतौर पर 100 प्रतिशत वृद्धि
  • शिक्षकों का मानदेय बढ़ा दिया गया है और इसे कस्‍तूरबा गांधी विद्यालय के शिक्षकों के बराबर कर दिया गया है।

 स्‍वच्‍छता उद्यमी योजना: प्रधानमंत्री द्वारा 2 अक्‍तूबर, 2014 को शुरू किये गये स्‍वच्‍छ भारत अभियान के एक अंग के रूप में सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्री ने एनएसकेएफडीसी की नई स्‍कीम स्‍वच्‍छता उद्यमी योजना की शुरूआत की। यह उद्घाटन 02 अक्‍तूबर, 2014 की वित्‍तीय रूप से सक्षम सामुदायिक शौचालय परियोजनाओं और सफाई से जुड़ी कचरा इकट्ठा करने वाली गाडि‍यों के लिए शुरू की गई।

15 जनपथ पर नई दिल्‍ली में डॉ. अम्‍बेडकर सामाजिक न्‍याय के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय केन्‍द्र की स्‍थापना:

सरकार ने लगभग 195 करोड़ रुपये की लागत से नई दिल्‍ली के जनपथ पर इस केन्‍द्र की स्‍थापना किये जाने का अनुमोदन कर दिया गया है। नई दिल्‍ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) ने 20.11.2014 को इसकी वास्‍तुशात्र संबंधी योजना  और डिजाइन को अनुमोदित कर दिया है।

सरकार ने डाक्‍टर अम्‍बेडकर स्‍मारक, 26, अलीपुर रोड़ दिल्‍ली को पूरी तरह विकसित करने का फैसला किया है। इस सिलसिले में प्रारंभिक कार्य शुरू हो गया है। वास्‍तुशात्र संबंधी योजना को माननीय सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्री ने 27.11.2014 को अनुमोदन प्रदान कर दिया है।

अनुसूचित जाति उद्यमी योजना के लिए वेंचर पूंजी कोष का सृजन:

सरकार ने अनुसूचित जातियों के लिए एक नया वेंचर केपिटल फंड स्‍थापित करने का फैसला किया है। इसके लिए रुपये 200 करोड़ का कोष स्‍थापित किया गया है। यह स्‍कीम आईएफसीआई से सलाह मशिवरा करके तैयार की गई है। वित्‍त से संबंधित स्‍थायी समि‍ति, जिसके अध्‍यक्ष सचिव (सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता विभाग) हैं, की बैठक 03.12.2014 को हुई। इसमें इस प्रस्‍तावित योजना पर विचार किया गया। सक्षम प्राधिकारी ने इस योजना को अनुमोदित कर दिया है। यह कोष 2014-15 में और आगे भी, संचालन योग्‍य हो जाएगा।

युवा एवं शुरू करने वाले अनुसूचित जाति से संबंधित उद्यमियों के लिए संवर्धित ऋण गारंटी योजना:

वित्‍त मंत्री ने 10 जुलाई, 2014 को दिये गये अपने 2014-15 के बजट भाषण में एलान किया था कि 200 करोड़ रुपये की राशि युवा एवं शुरू करने वाले अनुसूचित जाति से संबंधित उद्यमियों के लिए संवर्धित ऋण गारंटी योजना के लिए आवंटित की जाएगी। इससे जो अनुसूचित जाति के लोगों को प्रोत्‍साहित करने में खर्च किया जाएगा। इससे नये लोगों को काम मिलेगा और अनुसूचित जातियों में विश्‍वास जगेगा।

इस कदम से सामाजिक क्षेत्र में उपायों के द्वारा अनुसूचित जातियों में उद्यमियों को प्रोत्‍साहित किया जाएगा और उन्‍हें रियायती दरों पर ऋण सुविधा दी जाएगी।

इस प्रस्‍तावित स्‍कीम को वित्‍त की स्‍थायी समिति (एसएफसी) ने मंजूरी 17.10.2014 को दे दी है। यह स्‍वीकृति‍ आईएफडी सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई है। लेकिन इस स्‍कीम के लिए बजट आवंटित न होने के कारण इस स्‍कीम का एसएफसी ज्ञापन अंतर मंत्रालय परामर्श के लिए संचालित नहीं किया गया है।

डायरेक्‍ट बेनिफिट ट्रांस्‍फर (डीबीटी) स्‍कीम का कार्यान्‍वयन:

प्रधानमंत्री कार्यालय ने अपने आईडी दिनांक 26.03.2013 के जरिए 121 जिलों की एक सूची डीबीटी स्‍कीम के लिए चुन कर भेजी थी। इस सिलसिले में जरूरी प्रोफारमे सेंटर प्‍लान स्‍कीम मानिटरिंग सिस्‍टम (सीपीएसएमएस) पोर्टल पर फरवरी 2014 में अपलोड किये गये थे। आठ राज्‍यों/संघ शासित प्रदेशों और 15 बड़े संस्‍थानों द्वारा भेजी गई डिजिटल रूप से हस्‍ताक्षरित अंकीय लाभार्थियों की सूची तीन छात्रवृति स्‍कीमों के लिए प्राप्‍त करने के बाद सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता विभाग ने 45,184 लाभार्थियों के बैक खातों में सीधे 1062.37 लाख रुपये भेजे।

वर्ष 2014-15 के लिए आज तक इस विभाग ने 6.43 लाख रुपये सीधे 9 लाभार्थियों के बैक खातों को भेजे हैं। लगभग 15 प्रस्‍ताव प्रोसेस किये जा रहे हैं और इसकी रकम भी जल्‍द ही डीबीटी योजना के अंतर्गत बैक खातों को भेज दी जाएगी।

अनुसूचित जाति प्रमाण पत्रों के जमा कर्ता:

अनुसूचित जातियों के जो लोग सरकार की विभिन्‍न स्‍कीमों से लाभ उठाने के पात्र हैं उनके लिए अनुसूचति जाति प्रमाण पत्र बहुत जरूरी होता है क्‍योकि इसके जरिए ही वे अनुसूचित जाति योजनाओं का लाभ उठा पाते हैं। यह एक प्रमुख दस्‍तावेज है। समय-समय पर इस प्रकार के प्रमाण पत्रों के फर्जी होने की शिकायतें मिलती रही हैं। यह एक अच्‍छा विचार होगा की इस प्रकार के सभी प्रमाणपत्रों का एक अंकीय डाटाबेस तैयार कर लिया जाए। इसे आधार संख्‍या से जोड़ दिया जाए जिसे एससी लाभार्थी/स्‍कीम लागू करने वाली एजेंसियां आसानी से देख सकें। यह अनुसूचित जाति लाभार्थियों के लिए बहुत मददगार साबित होगा और दूसरी तरफ फर्जी प्रमाण पत्रों की समस्‍या पर भी रोक लगने में सहायता मिलेगी।

इस प्रकार के प्रमाणपत्र जारी करने का काम राज्‍य/संघ शासित प्रदेशों के अधिकार क्षेत्र में आता है। सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता विभाग का प्रस्‍ताव है कि एक ऐसी स्‍कीम बनाई जाए जिसके जरिए राज्‍यों/संघ शासित प्रदेशों को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र के जमा कर्ता विकसित करने में सहायता दी जाए।

2. पिछड़ा वर्ग विकास

  • यह पहला महत्‍वपूर्ण मौका है जब बजट का 90 प्रतिशत जो 1000 करोड़ रुपये के आस-पास बैठता है, को तीसरी तिमाही के आखि‍र में और पहले अन्‍य पिछड़े वर्गों के कल्‍याण पर खर्च करने के लिए जारी कर दी जाए।
  • 300 अन्‍य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) छात्रों के लिए एक राष्‍ट्रीय फेलोशिप योजना शुरू की गई। इसकी दरें जेआरएफ के लिए प्रतिमास 18000 रुपये से संशोधित करके 25000 रुपये प्रतिमास कर दी गई और एसआरएफ के 20000 रुपये प्रतिमास से बढ़ाकर 28000 रुपये प्रतिमास कर दी गई।
  • अन्‍य पिछड़े वर्गों के 25 छात्रों को राष्‍ट्रीय विदेश छात्रवृति देने की नई स्‍कीम ओबीसी छात्रों के लिए शुरू की गई। इसके जरिए ये छात्र विदेश में अपने उच्‍च शिक्षा पाठ्यक्रम पूरे कर सकेंगे।
  • ओबीसी छात्रों और छात्राओं के लिए हास्‍टलों का निर्माण संबंधित मापदंड संशोधित कर दिये गये और प्रति यूनिट लागत बढ़ाकर रुपये 1.40 लाख प्रति हास्‍टल सीट की जगह रुपये 3.50 लाख पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के लिए 3.25 लाख रुपये हिमालयी राज्‍यों के लिए और 3.00 लाख रुपये देश के शेष भागों के लिए कर दी गई। इससे हास्‍टल निर्माण की गुणवत्‍ता में सुधार आएगा।
  • अन्‍य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के कल्‍याण के लिए काम करने वाले स्‍वयं सेवी संगठनों को सहायता की स्‍कीम संशोधित करके कौशल विकास पर ज्‍यादा ध्‍यान दिया गया।
  • यह मंत्रालय केन्‍द्रीय विश्‍व विद्यालयों/ संस्‍थानों के साथ भागीदारी कर रहा है और कल्‍याण योजनाओं तथा रिपोर्टें तैयार करने के लिए, मानिटरिंग और मूल्‍यांकन हेतु डाटाबेस तैयार करने के प्रभावशाली और नये तरीकों के बारे में प्रस्‍ताव और विचार आमंत्रित कर रहा है।
  • एनबीसीएफडीसी द्वारा शुरू किये गये ऋणों की वसूली में सुधार के लिए उनकी ई-ट्रैकिंग।
  • 6460 लाभार्थियों को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही, 1000 रुपये  प्रतिमास की दर से हर प्रशिक्षण लाभार्थियों को छात्रवृति दी गई। यह पहला मौका था जब ऐसा किया गया।
  • राष्‍ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के कामकाज को मजबूत बनाने के लिए भर्ती नियम बनाये गये और उन्‍हें अधिसूचित किया गया।
  • एक नई वेबसाइट एनबीसीएफडीसी के लिए शुरू की गई। यह इं‍टरक्‍टिव है।

प्रस्‍तावित गतिविधियां/उपाय

  • अन्‍य पिछड़े वर्गों के लिए राष्‍ट्रीय विदेश छात्रवृति हमारे 100 छात्रों के लिए संशोधित की जाएगी। फिलहाल यह 25 छात्रों के लिए है।
  • डीएनटी के लिए एक नई स्‍कीम यानि डॉ अम्‍बेडकर प्री-मैट्रि‍क स्‍कॉलरशि‍प स्‍कीम फॉर दी डीएनटीज शुरू की जा रही है। इसी तरह पोस्‍ट मैट्रि‍क डॉक्‍टर अम्‍बेडकर छात्रवृति योजना और हास्‍टल बनाने की नाना जी देशमुख योजना भी समाज के इन वर्गों के लिए शुरू की जाएगी।
  • आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (ईबीसीज) के लिए डॉ. अम्‍बेडकर पोस्‍ट मैट्रि‍क स्‍कॉलरशि‍प स्‍कीम और डॉ. अम्‍बेडकर नेशनल ओवरसीज स्‍कॉलरशि‍प शुरू की जा रही हैं।
  • डीएनटी कमीशन को चालू किया जाएगा और उसके लिए एक अध्‍यक्ष, सदस्‍य तथा सदस्‍य सचिव नियुक्‍त किये जाएगें।
  • 60 ओर छात्रों को ओबीसी की राष्‍ट्रीय फैलोशि‍प उपलब्‍ध कराई जाएगी।
  • बीसी स्‍कीम के तहत जनवरी 2014 तक 100 प्रतिशत कोष जारी करना।
  • किसी को दो बार ना मिल जाए और कुशलता बढ़ाने के लिए एक ई स्‍कालरशि‍प पोर्टल का विकास करना।
  • बाजार से सही मूल्‍य दिलाने के उद्देश्‍य से दस्‍तकारों द्वारा बनाई गई वस्‍तुओं का ई- मार्केटिंग करना।

3.    सामाजिक सुरक्षा

वरिष्‍ठ नागरिक:

बुजुर्गों के लिए एकीकृत कार्यक्रम (आईपीओपी)

मंत्रालय ने बुजुर्गों के लिए एकीकृत कार्यक्रम, वृद्ध पेंशन 1992 से शुरू किया था। एनजीओ और पंचायती राज आदि संस्‍थाओं के माध्यम से वरिष्‍ठ नागरिकों को जरूरत के अनुसार सुविधाएं मुहैया कराना जैसे छत, भोजन, दवाएं और मनोरंजन के साधनों के अलावा उन्‍हें उत्‍पादक कार्यों में और गतिशील बनाने के लिए प्रोत्‍साहित करना आदि शामिल हैं। इस स्‍कीम को पिछली बार 1 अप्रैल, 2008 को पुन‍रीक्षित किया गया था। इसकी लागत और अन्‍य मानक का निर्धारण कर दिया गया है जो 1 अप्रैल, 2015 तक लागू रहेगा।

आईपीओपी स्‍कीम के तहत एनजीओ के प्रस्‍ताव को ऑन-लाइन स्‍वीकार करने की शुरूआात चालू वित्‍तीय वर्ष (2014-15) में हो गई है।

इस योजना के तहत भौतिक व वित्‍तीय उपलब्धि‍ को दिखाते हुए (30.11.2014) तक का ब्‍यौरा प्रस्‍तुत है।

राष्‍ट्रीय आवंटन                   : रू. 50.00 करोड़

फण्‍ड जारी                          : 7.36 करोड़

लाभांवित जो शामिल हुए        : 8945

प्रोजेक्‍ट सहायता                  : 167

एनजीओ द्वारा उपलब्‍ध सहायता   : 133

बुजुर्गों के लिए राष्‍ट्रीय नीति (एनपीओपी),  1999: 

बुजुर्गों के लिए राष्‍ट्रीय नीति (एनपीओपी), 1999 की घोषणा जनवरी, 1999 में की गई थी। जिसमें बुजुर्गों को सकुशल रखने के लिए प्रतिबद्धता दौहराई गई थी। इस नीति के तहत बुजुर्गों का ध्‍यान रखने के लिए राज्‍यों को निर्देशित किया गया था कि वे उन्‍हें वित्‍तीय सहायता, खाद्य सुरक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा और छत के अलावा अन्‍य जरूरत की चीजे प्रदान करना, विकास में भागीदार बनाना, शोषण और दुर्व्यवहार से बचाना तथा उन्‍हें ऐसी सुविधाएं प्रदान करना ताकि उनका जीवन स्‍तर ऊंचा हो सकें। इस नीति की समीक्षा जनसांख्यिकीय रूपरेखा, सामाजिक आर्थिक जरूरतों, सामाजिक मूल्‍य एवं व्‍यवस्‍था और विज्ञान एवं तकनीकी की तरक्‍की में सहभागी बनाना जैसे कार्य शामिल हैं। वरिष्‍ठ ना‍गरिकों के लिए नई राष्‍ट्रीय नीति का मसौदे को अंतिम रूप दिया जा चुका है।

वरिष्‍ठ नारिक अंतराष्‍ट्रीय दिवस समारोह (आईडीओपी):

     हर वर्ष पहली अक्‍टूबर को अंतराष्‍ट्रीय वरिष्‍ठ नागरिक दिवस अन्‍य कार्यक्रमों की तरह मनाया जाता है। इस कार्यक्रम के तहत प्रतिष्ठित वरिष्‍ठ नागरिकों को उनके बेहतरीन सेवा और योगदान के लिए विशेष तौर पर निर्धन बुजुर्गों के लिए मंत्रालय ने जनवरी, 2013 में राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार (वयोश्रेष्‍ठ सम्‍मान) की घोषणा की थी।

1 अक्‍टूबर, 2014 को वयोश्रेष्‍ठ सम्‍मान- विभिन्‍न श्रेणियों के तहत वरिष्‍ठ नागरिकों के लिए राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार माननीय लोक सभा अध्‍यक्ष द्वारा प्रख्‍यात वरिष्‍ठ नागरिकों और संस्‍थानों को बुजुर्गों की सेवा में योगदान के लिए प्रदान किया गया था।

अंतर-पीढ़ी वाकोथान द्वारा 1 अक्‍टूबर, 2014 को प्रात: नई दिल्‍ली में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था और इसके साथ ही 20 राज्‍यों के राजधानियों में भी कार्यक्रम आयोजित किए गए थे, जिसमें भुवनेश्‍वर, कोलकाता, हैदराबाद, मुम्बई, शिमला, जयपुर, गुवाहाटी, अहमदाबाद, दहरादून, चैन्‍नई, कोची, पटना, चंडीगढ़, रांची, अगरतला, भोपाल, रायपुर, शिलांग, बैंगलुरू और पुडुचैरी शामिल है।

राष्‍ट्रीय वरिष्‍ठ नागरिक सम्‍मान: वयोश्रेष्‍ठ सम्‍मान की प्रगति की समीक्षा प्रस्‍तुत है।

सेमि‍नार और कांफ्रेंस:

राज्‍यों के समाज कल्‍याण मंत्री और सचिव/ प्रधान सचिवों के साथ 22-23 अगस्‍त, 2014 को विज्ञान भवन, नई दिल्‍ली में दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया था। इस सेमिनार को माननीय मंत्री ने भी सम्‍बोधित किया था।

10-13 जून, 2014 को हैदराबाद में आयोजित उम्र आधारित बारहवें ग्लोबल अंतर्राष्‍ट्रीय कांफ्रेंस (आईएफए) को मंत्रालय ने सहयोग दिया था। इसे माननीय सामाज कल्‍याण मंत्री ने संबोधित किया था।

मंत्रालय ने बहुक्रियाशील उत्‍सव जो कि ‘जीवेमा श्रद्धा शत्‍तम’ (क्‍या मैं सौ साल जी सकता हूं) पर आ‍धारित, क्रियाशील और स्‍वस्‍थ्‍य उम्रदराजों के लिए था, उत्‍सव को सहयोग प्रदान किया था जिसका आयोजन आरआरटीसी, अनुग्रह दिल्‍ली द्वारा 16 अक्टूबर, 2014 को चिन्‍मय मिशन ऑडिटोरियम, लोधी रोड़ पर किया गया था। माननीय मंत्री ने इस दौरान वर्कशॉप का उद्घाटन किया था और इसे संबोधित भी किया था।

संयुक्‍त राष्‍ट्र के जनसंख्‍या निधि (यूएनएफपीए) कार्यक्रम ” भारत के बुजुर्ग: गौरव, स्‍वास्‍थ्‍य और सुरक्षा” का आयोजन 4 व 5 दिसम्‍बर, 2014 को नई दिल्‍ली में किया गया था जिसमें मंत्रालय सह-प्रायोजक था। इस कार्यक्रम को माननीय समाज कल्‍याण मंत्री और सचिव, समाज कल्‍याण ने संबोधित किया था।

ड्रग्स से बचाव:

समाज कल्‍याण और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा शराब और ड्रग्स से बचाव की केन्‍द्रीय योजना को एनजीओ, पंचायती राज संस्‍थाओं, स्थानीय शहरी विकास आदि को एकीकृत पुनर्वास केन्‍द्रों में ड्रग्‍स एवं अन्‍य नशा से मुक्ति कार्यक्रम के संचालन के लिए इन संस्‍थाओं को सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना के तहत स्‍वयंसेवी संस्‍थाओं या अन्‍य सक्षम एजेंसियों को पुनर्वास केन्‍द्र के संचालन या निर्माण के लिए 90 प्रतिशत तक वित्‍तीय सहायता उपलब्‍ध कराई जाती है। पूर्वोत्‍तर राज्‍यों, सिक्‍कि‍म तथा जम्मू एवं कश्‍मीर में सहायता राशि 95 प्रतिशत तक दी जाती है। कुल मि‍लाकर 22 दिसम्‍बर, 2014 तक वित्‍तीय वर्ष 2014-15 तक 17.89 करोड़ रुपये जारि किए जा चुके है जो कि शराब और ड्रग्स से बचाव के लिए 50 करोड़ रुपये निर्धारित है।

फैलाव और ड्रग्‍स की प्रवृत्ति:

संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ के ड्रग्‍स और अपराध शाखा (यूएनओडीसी) और समाज कल्‍याण और अधिकारिता मंत्रालय के संयुक्‍त सहयोग से 2000-2001 में (रिपोर्ट 2004 में प्रकाशित हुई) एक राष्‍ट्रीय सर्वेक्षण किया गया था। जिसमें भारत में 732 लाख लोग शराब और ड्रग्‍स सेवन कर रहे थे। इसमें से 27 लाख भांग का सेवन, 20 लाख अफीम का और 625 लाख लोग शराब का सेवन कर रहे थे। इसमें से लगभग 26 प्रतिशत, 22 प्रतिशत और 17 प्रतिशत नशे के आदि थे और इसके बगैर नहीं रह सकते थे। सर्वेक्षण में यह भी खुलासा हुआ था कि दर्द निवारक दवाईयां नींद की गोलियां आनंद प्रदान करने वाली दवाएं हॉलिसिनेजन्‍ह आदि भी ड्रग्‍स के रूप में इस्‍तेमान किये जाते थे। सर्वेक्षण में यह पाया गया था ज्‍यादातर भुक्‍तभोगी  30 से कम उम्र के थे और वे उपचार के लिए नहीं जाते थे, इसमें से कुछ ही उपचार कराने गए थे। आगे यह बताया गया था कि अफीम का सेवन करने वाले ज्‍यादातर रोगी मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी राजस्‍थान के थे। कुल मिलाकर नमूने के तौर पर (12-60 वर्ष के 40,697 पुरूष, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में) देश की जनसंख्‍या के अनुसार, किसी न किसी रूप में ड्रग्‍स सेवन करते थे।

बदलते परिवेश में विश्‍वसनीय आंकड़ा तैयार करने के लिए एक नए विस्‍तृत राष्‍ट्रीय सर्वेक्षण की जरूरत है, जिसमें राष्‍ट्रीय सेम्‍पल सर्वे जैसे संस्‍थाओं की सहभागिता जरूरी है ताकि राष्‍ट्रीय स्‍तर पर वर्तमान में ड्रग्‍स के प्रति झुकाव और इसके विस्‍तार की जानकारी मिल सके। राष्‍ट्रीय सेम्‍पल सर्वे संस्‍थान ने मार्च, 2010 में अमृतसर, इ्म्‍फाल और मुम्‍बई में एक पॉयलट सर्वे कराया था। इस सर्वे की रिपोर्ट जनवरी, 2011 में सामने आई। पॉयलेट सर्वे रिपोर्ट के अध्‍ययन के उपरांत यह पाया गया कि यह सर्वे अधूरा है क्‍योंकि इसमें आयु वर्ग, सीमित क्षेत्र में सर्वे होना जैसे केवल अमृतसर, इम्‍फाल और मुम्‍बई में जबकि इसे पूरे राज्‍य में पंजाब/महाराष्‍ट्र/ मणिपुर में होना चाहिए था। बेघरों, पटरी लगाने वालों, गली मोहल्‍ले के बच्‍चों, कूड़ा चुन्‍ने वाले बच्‍चों, विश्‍वविद्यालय, कॉ‍लेज, स्‍कूल कैम्‍पस, उसके आस-पास के क्षेत्र, हाईवेज, सड़क के किनारे बने होटल, ढ़ाबों को ही शामिल किया गया था। जरूरत इस बात की है कि एक वित्‍तरीत पॉयलट सर्वेक्षण कराया जाए।

वर्तमान में राष्‍ट्रीय सांख्यिकी आयोग के साथ राष्‍ट्रीय सेम्‍पल सर्वे को मिलाकर एक कार्यकारी दल के रूप में नोडल एजेंसी का गठन किया गया है जो पंजाब और मणिपुर में ऐसे पॉयलट सर्वे करेगा जिसमें नए तथ्‍य शामिल किए जाएंगे। इसे ध्‍यान में रखते हुए राष्‍ट्रीय सेम्‍पल सर्वे संस्‍थान में इसकी रूपरेखा बनानी शुरू कर दी है। ऐसा प्रस्‍ताव है कि सर्वे राष्‍ट्रीय स्‍तर पर कराया जाए और पॉयलट सर्वे के दौरान किए गए सर्वे के तथ्‍यों को विस्‍तृत रूप में सामने लाया जायेगा।

 सर्वे में देरी और पंजाब तथा मणिपुर में अधिक  समस्या को देखते हुए मंत्रालय ने क्षेत्रीय संसाधन और प्रशिक्षण केन्द्र (आरआरटीसी), पंजाब एवं आरआरटीसी मणिपुर के जरिये इन दो राज्यों में सर्वे कार्य भी शुरू किया जिसमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान, इम्फाल को शामिल किया गया है।

जागरूकता बढ़ाने  के कार्यक्रमः

वर्ष 2011-12 में मंत्रालय ने पंजाब और मणिपुर में जागरूकता बढ़ाने के कार्यक्रम आयोजित किये गये, जिसके तहत पंजाब के दस जिलों के 3000 गांवों और मणिपुर के सात जिलों में 750 गांवों को कवर किया गया।  यह कार्यक्रम नेहरू युवा केन्द्र संगठन के माध्यम से आयोजित किये गये। व्यसन     के आदी लोगों की पहचान की गई और नशे की  आदत छुड़ाने के लिए नशा मुक्ति कैंप आयोजित किये गये। इस परियोजना की कुल लागत 3.5 करोड़ रुपये थी। पंजाब में नशा करने वालों की अधिक संख्या को देखते हुए मंत्रालय ने नेहरू युवा केन्द्र संगठन के जरिये अक्टूबर 2014 में एक बार फिर राज्य में जागरूकता बढ़ाने के कार्यक्रम आयोजित किये।

26 जून 2014 को नशीली दवाओं के दुरूपयोग और उनकी तस्करी की रोकथाम के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनानाः

मंत्रालय, 26 जून 2014 को नशीली दवाओं के दुरूपयोग और उनकी तस्करी की रोकथाम के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाता है। भारत सरकार ने वर्ष 2013 से शराब और नशीले पदार्थों पर पांबदी लगाने के क्षेत्र में बेहतर सेवाओं के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार योजना शुरू की है। इस वर्ष भी 26 जून 2014 को राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह सफलतापूर्वक आयोजित किया गया और महामहिम राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कार वितरित किये गये।

दवाओं की मांग में कमी लाने के लिये राष्ट्रीय नीतिः

दवाओं की मांग में कमी लाने के लिये राष्ट्रीय नीति तैयार की गयी और इस पर सभी भागीदारी से टिप्पणियां/सुझाव आमंत्रित करने के लिए इसे नवंबर 2014 में मंत्रालय की वेबसाइट पर डाला गया था। दवाओं की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय नीति में प्राथमिक क्षेत्रः

  • सभी स्तर पर शिक्षा व जागरूकता बढ़ाना
  • उपचार और पुनर्वास (व्यक्ति का पूरा स्वास्थ्य लाभ)
  • सेवा प्रदाताओं का नेटवर्क
  • कुशल कामगार तैयार करने के मद्देनजर दवाई के क्षेत्र में सेवा प्रदाताओं की क्षमता का विकास और प्रशिक्षण
  • आंकड़े एकत्रित करना और प्रबंधन
  • अंतर क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
  • इस नीति में, मानकीकृत उपचार/सुविधाएं प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा अन्य भागीदारों के सहय़ोग से नशा मुक्ति केन्द्र की मान्यता के लिए एक प्रणाली का प्रस्ताव है।

शराब और नशीले पदार्थों (मादक द्रव्‍य) पर प्रतिबंध की योजना के लागत मानदंड में संशोधन

शराब और नशीले पदार्थों (मादक द्रव्‍य) पर प्रतिबंध में सहायता के लिए वर्तमान योजना में संशोधन किया गया है जो 01-01-2015 से प्रभावी होंगे।

ट्रांसजेंडर व्यक्तियों से संबंधित मुद्दे

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को जुलाई 2012 से ट्रांसजेंडर के लिए नोडल मंत्रालय के तौर नामित किया गया है। ट्रांसजेंडर समुदाय द्वारा झेली जा रही समस्याओं का गहन अध्ययन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट 27 जनवरी 2014 को सौंप दी थी जिसमें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की स्थिति में सुधार के लिए विभिन्न उपाय सुझाये गये थे। विशेषज्ञ समिति द्वारा दी गई सिफारिशों पर सुझावों/विचारों के लिए संबंधित केन्द्रीय मंत्रालय और राज्य/संघ शासित प्रदेश सरकारों से विचार-विमर्श किया गया और उनकी ओर से की जाने वाली कार्यवाही पर भी निर्णय लिया गया।

विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की कि ‘विभिन्न मंत्रालयों और राज्यो/संघ शासित सरकारों द्वारा ट्रांसजेंडर समुदाय के कल्याण कार्यों में समन्वय के लिए अंतर मंत्रालयी समिति के रूप में एक स्थाई समन्वय प्रक्रिया बनाई जा सकती है जिसमें संबंधित केन्द्रीय मंत्रालय और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि शामिल हों।’ इसी अनुसार इन मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए एक अंतर मंत्रालयी समिति का गठन भी किया गया है।

15 अप्रैल 2014 को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के मुद्दों पर राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (एनएलएसए) द्वारा दायर की गई याचिका संख्या 4000/2012 पर अपने निर्णय में  माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर समुदाय के कल्याण के लिए विभिन्न कदम उठाने का केन्द्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया। न्यायालय के उपरोक्त निर्णय में विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों की जांच करने को भी कहा गया। अब तक तीन अंतर मंत्रालयी बैठकें हो चुकी हैं।

विशेषज्ञ समिति ने अऩ्य विषयों पर ट्रांसजेंडर समुदाय के सशक्तिकरण के लिए एक मुख्य योजना बनाने की सिफारिश की। इसी के अनुसार मंत्रालय ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण के लिए मुख्य योजना तैयार कर रहा है।

भिखारियों/निराश्रितों के लिए पुनर्वास योजना

संविधान की किसी भी सूची में भिखारी या भीख शब्द का उल्लेख नहीं है। हालांकि संविधान की सांतवीं अऩुसूची में राज्य सूची की प्रविष्टि -9 के अनुसार निशक्त और रोजगार नहीं कर पाने वाले व्यक्तियों को राहत पहुंचाना राज्य का अधिकार क्षेत्र है। समवर्ती सूची की प्रविष्टि-15 के अऩुसार ‘भीख मांगना’ एक समवर्ती विषय है। उपलब्ध जानकारी के अऩुसार वर्तमान में 20 राज्यों और दो संघ शासित प्रदेशों ने अपना भिक्षावृत्ति विरोधी कानून लागू किया है या अऩ्य राज्यों में लागू कानून को अपनाया है। कई राज्यों/संघ शासित प्रदेशों द्वारा भिक्षावृत्ति से संबंधी कानून लागू किया गया है। हालांकि राज्यों में इस कानून के प्रावधान अलग-अलग हैं और भिखारियों के पुनर्वास के लिए उपायों सहित इन्हें लागू करने की स्थिति एक समान नहीं है।

निराश्रित की सुरक्षा, देखभाल और पुनर्वास के लिए एक ड्राफ्ट योजना पर विचार किया जा रहा है।

युवाओं में कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण  

कौशल विकास, उद्यमिता, युवा मामले और खेल मंत्रालय,कौशल विकास एवं उद्यमिता विभाग, भारतीय खेल प्राधिकरण, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम नई दिल्ली-110003 और राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी (एनएसडीए) युवाओं के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण और विभाग हेतु तय किये गये 2014-15 के लिए लक्ष्यों में प्रगति की निगरानी करती है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के लिए वर्ष 2014-15 में 82,750 का लक्ष्य रखा गया था। विभाग ने नवंबर 2014 तक राष्ट्रीय संस्थान/निगम और राज्य सरकारों/संघ शासित प्रशासनों द्वारा चिन्हित प्रशिक्षण प्रदाताओं के जरिये 36,480 युवाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान किया जो 44.08 प्रतिशत है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2014-15 के अंत तक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

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