- December 8, 2014
पंजाबी भाषा के प्रचार -प्रसार नये तरीके अब साईकिल
सिरसा(प्रैसवार्ता)। हरियाणा और पंजाब में डेरों के बढ़ते प्रभावों के चलते चंडीगढ़ का एक प्रोफेसर जागरूकता को लेकर निकल पड़ा है। साइकिल पर पंजाबी भाषा की तख्ती लगाए प्रोफेसर दोनों राज्यों में पंजाबी भाषा के प्रति लोगों में दिलचस्पी पैदा करने के लिए प्रयासरत है। रविवार को साइकिल पर सिरसा पहुंचने पर चंडीगढ़ के गवर्नमेंट कॉलेज 46 के सोशियालॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर पंडित राव धरेन ओवर ने डेरा सच्चा सौदा में गेट पर पहरेदारों को अपने डेरे में पंजाबी भाषा सिखाने के लिए एक अनुरोध पत्र दिया है। ताकि डेरे के अनुयायी पंजाबी भाषा से दूर हो। साथ ही कहा कि न्यायपालिका का पूरा सम्मान किया जाए और डेरों की गतिविधियों में पारदर्शिता लाई जाए।
धार्मिकग्रंथों से दूर हो रहे हैं डेराें के अनुयायी
असिस्टेंटप्रोफेसर ने कहा कि हरियाणा और पंजाब में लोग गुरु ग्रंथ साहिब, भगवत गीता, कुरान शरीफ और बाइबल जैसे धार्मिक ग्रंथों से दूर होकर डेरों के अनुयायी बन कर रह गए है। ये डेरे उपरोक्त ग्रंथों को पढ़ाने की बजाए अपनी ही पुस्तकें पढ़ाकर पुरातन ग्रंथों और भाषाओं से दूर कर रहे हैं। कर्नाटक मूल के असिस्टेंट प्रोफेसर ने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब में 15 संतों की बाणी दर्ज है। असिस्टेंट प्रोफेसर शहर में आने के बाद गाड़ी से अपनी साइकिल निकालता है और उस पर पंजाबी भाषा की वर्ण माला लिख कर प्रचार करता है।
जपुजीसाहिब का कर चुके हैं कन्नड़ में अनुवाद
पंडितराव ने कहा कि उसे पंजाबी, हरियाणी और संस्कृत भाषाओं के प्रति खासा लगाव है। वह जपुजी साहिब और हरियाणवी रागिनी का कन्नड़ भाषा में अनुवाद कर चुके हैं। वह बरवाला में भी लोगों को पंजाबी, संस्कृत भाषाओं के प्रति जागरूक कर रहा है। सिरसा के बाद वह अब पंजाब के नूरमहल स्थित आशुतोष महाराज के डेरे पर जाकर पंजाबी भाषा के प्रति लोगों में लगाव पैदा करने के लिए जाएगा। इसके बाद वह डेरा ब्यास में भी जाएगा।