• December 8, 2014

निडरता, निष्पक्षता एवं निश्छल भाव से न्यायिक कार्यों को निष्पादित करें -उच्च न्यायालय

निडरता, निष्पक्षता एवं निश्छल भाव से न्यायिक कार्यों को निष्पादित करें -उच्च न्यायालय

जयपुर -राजस्थान उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधिपति श्री सुनील अम्बवानी ने प्रशिक्षणाधीन प्रशिक्षु आर.जे.एस. अधिकारियों से कहा कि वे न्यायालयों में निडरता, निष्पक्षता एवं निश्छल भाव से न्यायिक कार्यों को निष्पादित करें।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधिपति श्री अम्बवानी रविवार को हरीश चन्द्र माथुर लोक प्रशिक्षण संस्थान (ओटीएस) के भगवत सिंह मेहता सभागार में प्रशिक्षणाधीन प्रशिक्षु आर.जे.एस. अधिकारियों की प्रशिक्षण अवधि एक वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित विदाई समारोह को मुख्य अतिथि रूप में सम्बोधित कर रहे थे। समारोह में राजस्थान उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधीश न्यायाधिपति श्री अजय रस्तोगी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारियों को विगत एक वर्ष में प्राप्त किये गये अनुभव व ज्ञान के आधार पर त्वरित न्याय करने एवं पीडि़त को सुलभ एवं सहज न्याय उपलब्ध करवाने के लिए सदैव प्रयासरत रहे।

समापन समारोह में राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधिपतिगणों के साथ-साथ राजस्थान उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल श्री विजय कुमार व्यास, जिला एवं सत्र न्यायाधीश , मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट एवं अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायिक अधिकारियों के साथ अन्य गणमान्य अतिथिगण उपस्थित हुए।

समापन समारोह में पिछले एक वर्ष के दौरान आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के संबंध में जानकारी देते हुए राजस्थान राज्य ज्यूडियिशयल एकेडमी की अतिरिक्त निदेशक श्रीमती नंदिनी व्यास ने समारोह में पधारे सभी अतिथिगणों को स्वागत किया।

कार्यक्रम के दौरान वर्ष 2013-14 बेंच की टॉपर आरजेएस सुश्री सीमा ढाका को उगमराज मेमोरियल की तरफ से स्वर्ण पदक प्रदान किया गया तथा प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारियों को एक वर्ष के प्रशिक्षण समाप्ति पर स्मृति चिन्ह प्रदान किये गये। कार्यक्रम के अंत में उपनिदेशक श्री भवानी शंकर पांडिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

उल्लेखनीय है कि अकादमी द्वारा विगत एक वर्ष में 112 प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारियों को विधि एवं व्यवहार के विभिन्न विषयों एवं पहलुओं पर आधारभूत अकादमिक एवं व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया गया है।

—-

Related post

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

21 दिसंबर विश्व साड़ी दिवस सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”- आज से करीब  पांच वर्ष पूर्व महाभारत काल में हस्तिनापुर…
पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

उमेश कुमार सिंह——— गुरु गोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं। गुरु…
पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

उमेश कुमार सिंह :  गुरुगोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं।…

Leave a Reply